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प्रकृति ने इंसानों की रचना इतनी श्रेष्ठता के साथ की है कि, हम केवल किसी घटना के बारे में सुनकर या
देखकर ही, न केवल पूरे परिदृश्य की कल्पना कर सकते हैं, बल्कि हम उस घटना की वास्तविक परिस्थिति
की अनुभूति करने में भी सक्षम हैं! मिसाल के तौर पर आज से कई दशक पूर्व कैमरे की खोज ने इंसानों को
अपनी पुरानी यादें सहेजने तथा सूचना के त्वरित एवं दृश्यमान संचार (visible communication) को
सक्षम कर दिया! जहां इन कैमरों ने युद्ध जैसे विषम और दुखद हालातों के दर्द को केवल युद्ध पीड़ितों तक
ही सीमित न रखते हुए, पूरी दुनियां को युद्ध की तस्वीरों के माध्यम से युद्ध पीड़ितों के दुःख-दर्द की
अनुभूति करने की क्षमता प्रदान की!
युद्ध के दौरान युद्ध के हालातों को बयां करती तस्वीरों को, युद्ध फोटोग्राफी में शामिल किया जाता है।
इसमें सशस्त्र संघर्ष के दौरान लोगों और स्थानों पर इसके प्रभावों की तस्वीरें लेना शामिल है। तस्वीरें
खींचने की इस शैली में भाग लेने वाले फोटोग्राफर कई बार खुद को संकट की स्थिति में फंसा लेते हैं, और
कभी-कभी अपनी तस्वीरों के कारण युद्ध के मैदान में ही मारे जाते हैं।
रोजर फेंटन (Roger Fenton) पहले युद्ध फोटोग्राफरों में से एक थे। उन्होंने क्रीमियन युद्ध (Crimean
War) (1853-1856) की छवियों को अपने कमरे में कैप्चर किया! वर्ष 1850 के दशक में फोटोग्राफी के
आविष्कार के साथ ही जन जागरूकता बढ़ाने और युद्ध की घटनाओं को संचित करने की संभावना पहली
बार खोजी गई थी। चूंकि शुरुआती फोटोग्राफर तत्कालीन विषयों की छवियां बनाने में सक्षम नहीं थे,
इसलिए उन्होंने युद्ध के अधिक गतिहीन पहलुओं जैसे किलेबंदी, सैनिक, और लड़ाई से पहले और बाद के
दृश्यों को रिकॉर्ड किया। युद्ध फोटोग्राफी के समान ही सैनिकों के चित्रों का भी अक्सर मंचन किया जाता
था। एक तस्वीर खींचने के लिए, विषय (व्यक्ति) को कुछ मिनटों के लिए पूरी तरह से स्थिर होना पड़ता
था। कुछ इतिहासकार , बंगाल सेना में एक सर्जन जॉन मैककॉश (John McCosh) को पहला युद्ध
फोटोग्राफर मानते है। उन्होंने 1848 से 1849 तक द्वितीय आंग्ल-सिख युद्ध का दस्तावेजीकरण करने
वाली तस्वीरों की एक श्रृंखला का निर्माण किया। इस चित्र में उनके साथी अधिकारियों, अभियानों के प्रमुख
आंकड़े, प्रशासकों, उनकी पत्नियों और बेटियों के चित्र शामिल थे। साथ ही उन्होंने स्थानीय लोगों,
वास्तुकला,तोपखाने की जगह और विनाशकारी परिणाम की तस्वीरें भी लीं। मैककॉश ने बाद में द्वितीय
आंग्ल-बर्मी युद्ध (1852–53) की तस्वीर खींची, जहां उन्होंने यांगून और बर्मी लोगों में सहकर्मियों, कब्जे में
ली गई बंदूकें और मंदिर की वास्तुकला की तस्वीरें खींची।
युद्ध फोटोग्राफी का पहला आधिकारिक प्रयास, ब्रिटिश सरकार द्वारा क्रीमिया युद्ध की शुरुआत में किया
गया था। मार्च 1854 में, गिल्बर्ट इलियट (Gilbert Elliot) को, बाल्टिक सागर के तट पर रूसी किलेबंदी के
दृश्यों की तस्वीरें लेने के लिए नियुक्त किया गया था। वहीँ रोजर फेंटन (Roger Fenton) पहले
आधिकारिक युद्ध फोटोग्राफर और जनता के लाभ के लिए युद्ध के व्यवस्थित कवरेज का प्रयास करने
वाले पहले व्यक्ति थे।
आज 21वीं सदी में पत्रकारों और फोटोग्राफरों को सशस्त्र युद्ध के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों द्वारा संरक्षित
किया जाता है। लेकिन आज सशस्त्र संघर्ष में आतंकवाद के आगमन के साथ ही, युद्ध फोटोग्राफी और
अधिक जोखिम भरी हो गई है, क्योंकि कुछ आतंकवादी जानबूझ कर पत्रकारों और फोटोग्राफरों को निशाना
बनाते हैं। इसका एक मामला तब सामने आया जब इराक युद्ध में, 2003 से 2009 तक संघर्ष के दौरान 36
फोटोग्राफरों और कैमरा ऑपरेटरों का अपहरण या हत्या कर दी गई थी।
युद्ध फोटोग्राफी की निराशा और विनाश की इन तस्वीरों को देखकर हमें यह सीखना चाहिए, की हमें क्या
बेहतर करना चाहिए और युद्ध में प्रवेश करने से पहले समाज को दो बार क्यों सोचना चाहिए। इतिहास ने
हमें युद्ध फोटोग्राफी के महत्व को दिखाया है। उदाहरण के लिए, वियतनाम युद्ध के दौरान वियतनाम से
युद्ध की तस्वीरों ने कई अमेरिकी नागरिकों को इस युद्ध से घृणा करने के लिए मजबूर कर दिया।
पहले जनता युद्ध का आतंक, केवल शाम की खबर या अखबार में देखती थी। आज भले ही हम में से
अधिकांश भौतिक रूप से युद्ध के केंद्र में नहीं होते, लेकिन यह तस्वीरें हमें उन बेक़सूर नागरिकों के आंसू
दिखाती हैं युद्ध फोटोग्राफी एक सकारात्मक काम यह भी करती है की, यह वाले आम लोगों को युद्ध से
बचने की कोशिश करने वाले आम नागरिकों की रक्षा करने के लिए प्रेरित भी करती है।
यहां उन महत्वाकांक्षी फोटोग्राफरों के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं जो युद्ध की सच्चाई को अपने कैमरों में
कैद करना चाहते हैं:
1. बहुत सारे उपकरण न ले जाएं: युद्ध के दौरान फोटोग्राफर को दिन भर अपने पैरों पर खड़ा होना पड़ता है,
इसलिए केवल वही ले जाएं जो अत्यंत आवश्यक हो।
2 . युद्ध कोई खेल नहीं है: युद्ध की तस्वीरें लेने के इच्छुक फ़ोटोग्राफ़र को उन प्रभावों को समझना चाहिए
जो उन्हें युद्ध के दौरान झेलने को मिल सकते हैं।
3. संपादित तस्वीरें न भेजें: युद्ध की फोटोग्राफी, युद्ध की वास्तविकता का दस्तावेजीकरण करने के लिए
खिंची जाती है, और जो तस्वीरें संपादित की गई हैं, वे इसके विपरीत करती हैं। उदाहरण के तौर पर
फ़ोटोग्राफ़र ब्रायन वाल्स्की (Brian Walsky) ने इराक युद्ध की दो तस्वीरों को मिलाकर एक और
दिलचस्प तस्वीर बनाई। बाद में उसे उसके कार्यों के कारण निकाल दिया गया, क्योंकि वह वास्तव में
सच्चाई का दस्तावेजीकरण नहीं कर रहे थे।
25 जनवरी से 8 अप्रैल 2022 तक, एक युद्ध फोटोग्राफर, वादिम घिरदा ने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की
कुछ सबसे शक्तिशाली और पहचानने योग्य तस्वीरें खींची। जब वह सिर्फ 18 साल के थे तब से उन्होंने
रोमानिया, मोल्दोवा, सर्बिया, मैसेडोनिया (Romania, Moldova, Serbia, Macedonia) और हाल ही में,
यूक्रेन जैसे देशों में जटिल सामाजिक और राजनीतिक संघर्षों को कवर किया है। उन्होंने यूक्रेनी शहर बूचा
(Bucha) में भयावहता की तस्वीरें भी लीं, जहां यूक्रेनी अधिकारियों के अनुसार रूसी सैनिकों ने युद्ध
अपराध किये थे।
संदर्भ
https://bit.ly/3vJ4Wj4
https://bit.ly/3ydtdiQ
https://bit.ly/3s8kKK0
चित्र संदर्भ
1 युद्ध की तस्वीर को खींचते फोटोग्राफर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. रोजर फेंटन (Roger Fenton) पहले युद्ध फोटोग्राफरों में से एक को दर्शाता एक चित्रण (Store norske leksikon)
3. वियतनाम युद्ध की तस्वीर को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. रोजर फेंटन (Roger Fenton) की फोटोग्राफ को दर्शाता एक चित्रण (Look and Learn)
5. यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की कुछ सबसे शक्तिशाली और पहचानने योग्य तस्वीर (flickr)
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