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आपने बॉलीवुड के कई गानों के दौरान, उंचाई पर रोप-वे की सवारी करते और गाना गाता गाते कलाकारों
को अवश्य देखा होगा! हालांकि इनमें से अधिकाशं गानों या फिल्मों को विदेशी हवाई रोपवे (foreign
aerial ropeway) में फिल्माया गया है, लेकिन हमारे आम जौनपुर वासियों को भी जल्द ही ऊंचाई पर
दौड़ने वाली इस शानदार सवारी का मजा लेने का मौका मिल सकता है, क्यों की भारत सरकार द्वारा
जौनपुर के निकट वाराणसी में ₹400 करोड़ की लागत से शीघ्र ही हवाई रोपवे का काम शुरू होने वाला है!
रोप वे पवरिवहन के लिए प्रयोग की जाने वाली एक, सरल सस्ती लेकिन शक्तिशाली तकनीक होती है।
यह तकनीक, माल ढोने और लोगों के परिवहन हेतु सबसे ऊर्जा-कुशल रूपों में से एक मानी जाती है।
रोपवे निरंतर गति के सिद्धांत पर आधारित होती है। जैसे, यह एक बंद प्रणाली है जिसे अपने वजन को
स्थानांतरित करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता नहीं होती है। रोपवे को केवल यांत्रिक घर्षण को दूर करने
और ऊपर/नीचे की ओर असमान पे लोड को स्थानांतरित करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
रोपवे के निर्माण के लिए आमतौर पर उपयोग की जाने वाली सामग्री, सबसे पहले लकड़ी, फिर फाइबर
और फिर स्टील की रस्सियाँ प्रयोग होने लगी। स्टील की रस्सियों और इलेक्ट्रिक मोटरों की शुरूआत, इस
क्षेत्र में एक क्रन्तिकारी और दक्षतापूर्ण खोज साबित हुई।
1980 के दशक में पहले से ही परिवहन के लिए ऐसी हवाई प्रणालियों को बढ़ावा देने के लिए कई
सम्मेलन आयोजित किए जाने लगे। हालांकि इसके बावजूद सार्वजनिक शहरी हवाई परिवहन को
आशापूर्ण बढ़ावा नहीं मिल सका। 1885 और 1914 के बीच सार्वजनिक परिवहन के लिए लगभग 30 से
अधिक फनिक्युलर “funicular” (एक केबल रेलमार्ग, विशेष रूप से एक पहाड़ी पर, जिसमें आरोही और
अवरोही कारें असंतुलित होती हैं।) निर्मित किये गए। उदाहरण के तौर पर 1899 के दशक में फ्राइबर्ग
शहर (Freiburg City) में फनिक्युलर (Funicular) का संचालन किया गया था और यह अपनी 100वीं
वर्षगांठ के बाद अभी भी चल रहा है।
इन सभी प्रयासों के बावजूद, सार्वजनिक रोपवे परिवहन को अब तक मामूली सफलता ही हासिल हुई है
जिसका एक प्रमुख कारण, शहरी योजनाकारों में रोपवे के संदर्भ में जानकारी की कमी भी है।
आधुनिक रोपवे शहरी-ग्रामीण परिवहन की सुविधा के लिए स्थापित किए जा सकते हैं। इतिहास में पीछे
मुड़कर देखने पर हम पाते हैं कि पहले रोपवे का आविष्कार परिवहन के लिए किया गया था। यह मुख्य
रूप से नदियों, घाटियों या पहाड़ों में माल परिवहन के आसान और सुलभ साधनों के तौर पर उभरे।
आल्प्स (alps) जैसे कई गांवों में अभी भी यह बाकी दुनिया से जुड़े रहने का एकमात्र तरीका है।
दुनिया का सबसे प्रसिद्ध रोपवे इस्तांबुल में फनिक्युलर (Funicular in Istanbul) है, जो कवाटस में
सबसे महत्वपूर्ण बोस्पोरस-फेरी टर्मिनलों (Bosporus-Ferry Terminals) को शहर के केंद्र में स्थित मेट्रो
स्टेशन तकसीम (Taksim) से जोड़ता है। प्रति घंटे 7'500 व्यक्तियों की क्षमता के साथ, यह प्रतिदिन
लगभग 30,000 लोगों को परिवहन कराता है।
यदि हम भारत में सार्वजनिक हवाई रोपवे की बात करें तो, हमारे जौनपुर के निकट स्थित वाराणसी शहर
जल्द ही सार्वजनिक परिवहन के रूप में रोपवे सेवा शुरू करने वाला पहला भारतीय शहर बन जाएगा।
यातायात की भीड़ को कम करने के लिए प्रस्तावित रोपवे का निर्माण कैंट रेलवे स्टेशन (वाराणसी
जंक्शन) से चर्च स्क्वायर (Church Square) (गोदौलिया) के बीच किया जाएगा। यह रोपवे दोनों स्टेशनों
के बीच की यात्रा को केवल 15 मिनट तक ही सीमित कर देगा।
लंबे समय से वाराणसी शहर को एक
सार्वजनिक परिवहन सेवा की आवश्यकता थी। इसलिए व्यापक गतिशीलता योजना के अनुसार,
यातायात में सुधार हेतु, रोपवे प्रणाली एक व्यवहार्य विकल्प मानी गई। लगभग 3.45 किमी की हवाई
दूरी को कवर करने वाली, इस भावी परियोजना की लागत ₹400 करोड़ से अधिक बताई जा रही है।
परियोजना की लागत को केंद्र और राज्य के बीच 80:20 पर बांटा गया है।
इस रोपवे में 45 मीटर की ऊंचाई पर करीब 220 ट्रालियां दौड़ेंगी। इन ट्रॉलियों में एक बार में एक साथ
लगभग 4,000 लोग एक दिशा में यात्रा कर सकेंगे। इन रोपवे के लिए कैंट रेलवे स्टेशन (Cantt Railway
Station) मुख्य टर्मिनस (main terminus) होगा, तथा अन्य स्टेशन साजन तिराहा, रथयात्रा और
गिरजा घर चौराहा क्रॉसिंग (crossroad crossing) होंगे। रोपवे प्रणाली को डीपीआर द्वारा मंजूरी दे दी
गई है और बोली प्रक्रिया 11 दिसंबर तक पूरी हो जाएगी। सरकार की इस महत्वाकांक्षी परियोजना के 24
महीनों में पूरी होने की संभावना है।
संदर्भ
https://bit.ly/37LImgo
https://bit.ly/3vmKxji
https://bit.ly/3vKFhVT
चित्र संदर्भ
1 चित्रकूट रोपवे को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. एरियल रोपवे, क्लॉटन ब्रिकवर्क्स को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. एक पुराने रोपवे को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. शहर के ऊपर रोपवे को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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