समयसीमा 237
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 948
मानव व उसके आविष्कार 725
भूगोल 236
जीव - जन्तु 275
Post Viewership from Post Date to 30- Apr-2022 | ||||
---|---|---|---|---|
City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
3337 | 141 | 3478 |
औपनिवेशिक काल में आयरलैंड (Ireland) और भारत के बीच चिह्नित कई संबंध को देखा जा सकता
है।जिसमें विशेष रूप से चिह्नित आयरलैंड का "आलू अकाल" है जिसने आयरलैंड की 20% आबादी
को मार डालाथा। जिस कारण बहुत से लोग जीवनयापन करने के लिए देश से बाहर चले गए, विशेष
रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका (America) और भारत में। एक समय में ईस्ट इंडिया कंपनी की
भारतीय सेना में 42% आयरिश सैनिक शामिल थे।वहीं 1886 में राजप्रतिनिधि की परिषद में पांच
आयरिश नागरिक थे। 1890 के दशक के दौरान आठ भारतीय प्रांतों में से सात एक समय में
आयरिश लोगों के नेतृत्व में थे और मामूली ग्रामीण पृष्ठभूमि के दो आयरिश कैथोलिक (Catholics),
एंटनी मैकडोनेल (Antony MacDonnell) और माइकल ओ'डायर (Michael O'Dwyer), दोनों को
लेफ्टिनेंट-गवर्नर बनाया गया। मेयो (Mayo) का छठा राजा सभी राजप्रतिनिधि में सबसे सफल और
सहानुभूति रखने वालों में से एक थे।वहीं लॉर्ड कॉर्नवालिस (Lord Cornwallis) और चार्ल्स ट्रेविलन
(Charles Trevylan) जैसे ब्रिटिश प्रशासकों ने अपने जीवन-यात्रा के दौरान आयरलैंड और भारत दोनों
में ब्रिटिश हितों के लिए सेवा करी। लॉर्ड कॉर्नवालिस, भारत में गवर्नर-जनरल (1786-1793),जिनके
स्थायी बंदोबस्त ने जमींदारों के बीच कर वसूलने से सम्बंधित एक स्थाई व्यवस्था को बनाया था।
कॉर्नवालिस बाद में आयरलैंड (1798-1801) के लॉर्ड-लेफ्टिनेंट बन गए, जहां उन्होंने 1799 में
आयरलैंड और ब्रिटेन के संघ का निरीक्षण किया, जिसने उनकी संसदों का विलय कर दिया और
आयरलैंड कि नाममात्र की स्वतंत्रता को भी समाप्त कर दिया।
उस समय आयरिश किसानों का जीवन इतना दयनीय था कि 1800 में आयरलैंड के पहले भारतीय
आगंतुकों में से एक मिर्जा अबू तालेब खान ने लिखा कि "भारत के किसान उनकी तुलना में समृद्ध
हैं"। खान ने कहा कि भारतीयों को तापक पर खर्च नहीं करना पड़ता था और उनके पास सस्ता
भोजन था। आयरलैंड की अधिकांश कृषि उपज वहां तेजी से बढ़ते शहरों और सैन्य अभियानों को
बढ़ावा देने के लिए ब्रिटेन भेज दी जाती थी।अनाज निर्यात करने के लिए मजबूर आयरिश किसान
आलू पर निर्भर हो गए। 1845 में आयरलैंड में आलू का प्रकोप आया और उसके बाद आए अकाल ने
दस लाख लोगों की जान ले ली और एक लाख से अधिक लोग पलायन करने के लिए मजबूर हो
गए, जिससे जनसंख्या में 20% की कमी आई। फिर भी चार्ल्स ट्रेवेलियन (Charles Trevelyan)
जैसे ब्रिटिश प्रशासकों ने अनाज निर्यात जारी रखने और अकाल राहत प्रदान करने के सीमित प्रयासों
पर जोर दिया। ट्रेवेलियन को आयरलैंड से पहले भारत में तामील किया गया थी, और आयरिश
अकाल के बाद वे पहले मद्रास के गवर्नर और फिर भारतीय वित्त सदस्य (मंत्री) के रूप में वापस
भारत लौट आए।अकाल के दौरान, राहत के लिए पहला सार्वजनिक धन कलकत्ता में ईस्ट इंडिया
कंपनी द्वारा नियोजित आयरिश सैनिकों और अफसरों से आया था। आयरलैंड के हालातों के बारे में
खबर सुनकर भारत में रह रहे आयरिशों ने £14,000 जुटाए, जो उस समय के लिए एक बड़ी राशि
थी, इससे अंग्रेजों को काफी शर्मिंदगी महसूस हुई और उन्होंने राहत समग्री का आयोजन किया।भारत
में इतने सारे आयरिश काम कर रहे थे, यह दर्शाता है कि कैसे आयरलैंड साम्राज्य चलाने के लिए
श्रम का स्रोत बन गया था। इसने विद्रोही ऊर्जाओं को भी दूर कर दिया।
दोनों देशों में अंग्रेजों ने अपने शासन का समर्थन करने के लिए एक शिक्षित वर्ग बनाने की उम्मीद
की थी और जबकि कई इस पर अमल रहे, लेकिन अन्य के मन में शिक्षा ने राष्ट्रवादी भावना को
जीवंत किया। चार्ल्स पार्नेल जैसे आयरिश राष्ट्रवादियों और दादाभाई नौरोजी जैसे भारतीय राष्ट्रवादियों
ने ब्रिटिश शोषण को उजागर करने के लिए ब्रिटिश संसद की स्वतंत्रता का इस्तेमाल किया।सर्वेक्षण
जैसे साम्राज्यवादी शासन को बनाए रखने के उद्देश्य से बनाई गई परियोजनाओं ने आयरलैंड और
भारत दोनों की भाषाओं, मिथकों और परंपराओं पर बहुत सी जानकारी को प्रकाश में लाया था।
आयरलैंड में डब्ल्यू.बी येट्स (W.B. Yeats) और भारत में रवींद्रनाथ टैगोर जैसे लेखकों और
कलाकारों ने राष्ट्रीय पहचान और गौरव की एक नई भावना को उत्पन्न करने के लिए इन सीखों पर
निर्माण किया।
एक और राजनीतिक कड़ी एनी बेसेंट के साथ आई।एक युवा आयरिश महिला के रूप में वह एक श्रम
संघवादी थीं, लेकिन फिर उन्होंने थियोसॉफी (Theosophy -एक आंदोलन जो भारतीय और सेल्टिक
पौराणिक कथाओं पर आधारित था) की खोज की।यह आंदोलन उन्हें भारत ले आया, यहां उन्हें अपनी
गतिविधियों के लिए व्यापक प्रयोजन मिला। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना में मदद की
और जेम्स और मार्गरेट कजिन्स जैसे अन्य आयरिश कार्यकर्ताओं को उसका अनुसरण करने के लिए
आकर्षित किया।1916 के ईस्टर राइजिंग (Easter Rising) के साथ आयरिश राष्ट्रवाद हिंसक हो
गए। हालांकि हेनरी ह्यूग ट्यूडर (Henry Hugh Tudor) के नेतृत्व में एक पुलिस बल, ब्लैक एंड
टैन्स (Black and Tans) द्वारा विद्रोह को क्रूरता से दबा दिया गया था, इन्होंने भारत में सेवाकरते हुए दमनकारी रणनीति को सीख लिया था। उनकी यातनाओं की कहानियां भारत में गूंज उठीं,
जहां जून 1920 में एक आयरिश सैन्य दल कनॉट रेंजर्स (Connaught Rangers) ने जालंधर और
सोलन में विद्रोह कर दिया।सैनिकों ने सिन फेन (आयरिश राष्ट्रवादी) और प्राइवेट जेम्स डेली के
नेतृत्व में एक समूह ने सोलन शस्त्रागार को जब्त करने की कोशिश करी।लेकिन कम बल की वजह
से विद्रोह को ब्रिटिश द्वारा जल्द ही दबा दिया गया, डेली को गोली मार दी गई थी, विद्रोह के लिए
खड़े हुए ब्रिटिश सैनिकों को भी मार डाला गया था, और पूरी घटना काफी हद तक शांत हो गई थी।
लेकिन आयरलैंड ने आजादी हासिल करने के बाद, जीवित विद्रोहियों को मुक्त करने के लिए
समझौता वार्ता की और 1970 में डेली के अवशेषों को आयरलैंड वापस कर दिया गया। सिन फेन की
हिंसक रणनीति में अरबिंदो घोष (आध्यात्मिकता में परिवर्तित होने से पहले) जैसे भारतीय समर्थक
थे।ब्रिटेन से आयरलैंड को स्वतंत्रता मिलने से भारत को भी काफी लाभ हुआ।
संदर्भ :-
https://bit.ly/3EA8erq
https://bit.ly/3L9afNZ
https://bit.ly/3OwgSvG
चित्र संदर्भ
1 मानचित्र में आयरलैंड और भारत को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. टीपू सुल्तान और मैसूर युद्ध बंधक राजकुमारों द्वारा 1793 में लॉर्ड कॉर्नवालिस के हाथों में निश्चित संधि को दर्शाता एक चित्रण (lookandlearn )
3. चार्ल्स ट्रेवेलियन (Charles Trevelyan) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. कनॉट रेंजर्स बैज 1914 को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.