कैसे बढ़ाएं जौनपुर में स्थाई पर्यटन, जहां पर्यटक तथा पर्यावरण दोनों खुश रहें?

जलवायु व ऋतु
18-04-2022 09:16 AM
Post Viewership from Post Date to 23- Apr-2022
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
676 111 787
कैसे बढ़ाएं जौनपुर में स्थाई पर्यटन, जहां पर्यटक तथा पर्यावरण दोनों खुश रहें?

जिस प्रकार रात के अंधेरे में जगमगाते, सैकड़ों जुगनू छोटे-छोटे बच्चों को, अनायास ही अपनी और आकर्षित करते हैं! उसी प्रकार, भारत की हजारों सांस्कृतिक धरोहरें और पर्यटन स्थल, दुनियाभर के पर्यटकों को अपनी ओर कौतुहल से खीचंते हैं! आज भारत को आवश्यकता है तो केवल, इन पर्यटन स्थलों को, और अधिक सवारने, पर्यटकों हेतु सुलभ तथा स्थाई बनाने की!
स्थायी पर्यटन को सतत पर्यटन (Sustainable Tourism) भी कहा जाता है, जिसके अंतर्गत पर्यटकों, उद्योगों और विशेष तौर पर पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए, पर्यटन को आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय तौर पर सुलभ बनाया जाता है। इसमें पर्यटन के सभी प्रकारों को और अधिक स्थाई बनाने का प्रयास किया जाता है। स्थाई पर्यटन में संपूर्ण पर्यटन अनुभव शामिल है, जिसमें आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय मुद्दों के साथ-साथ पर्यटकों के अनुभवों को बेहतर बनाने के प्रयास भी शामिल है। स्थायी पर्यटन की अवधारणा का उद्देश्य पर्यटन गतिविधियों के नकारात्मक प्रभावों को कम करना होता है। सतत पर्यटन को पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक समानता, जीवन की गुणवत्ता, सांस्कृतिक विविधता, रोजगार, समृद्धि और अर्थव्यवस्था के लिए, पूरी तरह से सुरक्षित और व्यावहारिक होना चाहिए! इसके अंतर्गत बढ़ते पर्यटन के कारण होने वाले नकारात्मक प्रभावों को कम करने का प्रयास किया जाता है।
स्थायी पर्यटन से संबंधित चुनौतियों में विस्थापन, पुनर्वास, पर्यावरणीय प्रभाव और नवीन तौर पर COVID-19 महामारी के प्रभाव भी शामिल हैं। विभिन्न क्षेत्रों को पर्यटकों के लिए अधिक सुलभ बनाने के परिणाम स्वरूप, स्थानीय समुदायों का विस्थापन या पुनर्वास भी हो सकता है। साथ ही पर्यटकों के लिए नई सड़कों और आवास निर्माण परियोजनाएं, लाभदायक तो होती हैं, लेकिन यह प्राकृतिक दुनिया और स्थानीय पर्यावरण को भी बाधित करती हैं।
स्थाई पर्यटन को बड़े ही आसान शब्दों में समझें तो, ऐसा पर्यटन, जहां पर्यटक तथा पर्यावरण दोनों खुश रहें! स्थायी पर्यटन का एक प्रबल उदाहरण एक ऐसा होटल या रिसोर्ट हो सकता है, जो पूरी तरह से सौर ऊर्जा से संचालित होता है, वर्षा जल को पुनर्चक्रित करता है, कम अपशिष्ट मॉडल पर चलता है, और स्थानीय ग्रामीणों द्वारा बनाई गई साज- सज्जा और कलाकृति जैसे हस्तशिल्प का उपयोग करता है तथा उसे बढ़ावा देता है।
भारत में स्थायी पर्यटन को पारिस्थितिक पर्यटन के रूप में भी जाना जाता है। यह समय के साथ और अधिक महत्वपूर्ण होता जा रहा है। पर्यटन आधारित एक वेबसाइट Booking.com द्वारा किए गए शोध में पाया गया की, 96% भारतीय यात्रियों ने स्थायी पर्यटन को अपने लिए महत्वपूर्ण माना, जबकि 76% ने कहा कि वे भविष्य में यात्रा करने के लिएस्थायी विकल्प चुनेंगे। इसके अलावा, छुट्टियों के दौरान पर्यटन के पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को देखते हुए 73% यात्रियों ने पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों को चुनने की इच्छा जताई हैं। हालांकि ये निष्कर्ष आशाजनक हैं, लेकिन यहां कुछ बाधाएं भी मौजूद हैं! जैसे 39% भारतीय यात्रियों को यह नहीं पता है कि, यात्रा के स्थायी विकल्प कैसे या कहाँ मिलेंगे? और 54% को लगता है कि, पर्याप्त स्थायी यात्रा विकल्प उपलब्ध ही नहीं हैं। इसलिए, भारत में स्थायी पर्यटन कंपनियों को स्पष्टता की जरूरत है। 21वीं सदी में कदम रखने के साथ ही, ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन (Global warming and climate change) के कारण प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि होने लगी! जिससे न केवल जीवन और संपत्ति को नुकसान हुआ, बल्कि यह विश्व स्तर पर पर्यटन उद्योग के लिए हानिकारक साबित हुआ, जिसमें कई विकासशील और विकसित क्षेत्र भी शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र, विश्व पर्यटन संगठन (UNWTO) के अनुसार, पर्यटन वैश्विक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के 5% और रेडियोधर्मी बल द्वारा ग्लोबल वार्मिंग में 4.6% योगदान देता है। कुल CO2 उत्सर्जन का 75% हिस्सा परिवहन क्षेत्र द्वारा उत्पन्न होता है, जिसमें विमानन और सड़क परिवहन क्रमशः 40% और 32% है! वर्ष 2019 के यूएनडब्ल्यूटीओ के आंकड़ों के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन प्राप्तियों (international tourism receipts) के मामले में भारत दुनिया में 13वें स्थान और अंतरराष्ट्रीय पर्यटक आगमन (international tourist arrivals) के मामले में 22 वें स्थान पर पहुंचने की ओर अग्रसर है। हालांकि भारत ने 2019 में विश्व यात्रा और पर्यटन प्रतिस्पर्धात्मकता की अपनी समग्र रैंक में 34 वें स्थान पर सुधार किया है, लेकिन पर्यावरण स्थिरता के तहत इसकी रैंक वर्ष 2015, 2017 और 2019 में क्रमशः 139, 134 और 128 ही रही है, जो स्थायी पर्यटन में भारत के खराब ट्रैक रिकॉर्ड को दर्शाता है। पर्यटन आगंतुकों, मेजबान समुदायों और स्थानीय वातावरण के बीच घनिष्ठ और सीधा संबंध स्थापित करता है, जिससे कई मायनों में पर्यटन बहुत हानिकारक तो वहीं सतत विकास के लिए बहुत सकारात्मक भी हो सकता है।
स्थाई पर्यटन, उद्यम विकास और रोजगार सृजन के साथ-साथ काफी दूरस्थ समुदायों में भी स्थानीय सेवाओं के लिए निवेश और समर्थन को प्रोत्साहित करने के अवसरों को बढ़ावा दे सकता है। इसके विपरीत, पर्यटन नाजुक पारिस्थितिक तंत्र पर सीधा दबाव भी डाल सकता है, जिससे भौतिक पर्यावरण का ह्रास हो सकता है, और वन्य जीवन में व्यवधान उत्पन्न हो सकता है। कई बार यह मेजबान समुदायों पर काफी दबाव डाल सकता है, और पारंपरिक समाजों के विस्थापन का कारण बन सकता है! साथ ही यह दुर्लभ संसाधनों, विशेष रूप से भूमि और पानी के उपयोग के लिए प्रतिस्पर्धापूर्ण स्थिति भी पैदा कर सकता है और स्थानीय एवं वैश्विक प्रदूषण में इसका महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। सस्टेनेबल टूरिज्म (Sustainable Tourism) का लक्ष्य सकारात्मक प्रभावों को बढ़ाना और पर्यटन विकास के नकारात्मक प्रभावों को कम करना है। भारत के लिए सतत पर्यटन मानदंड पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला जुलाई 2010 में बुलाई गई थी। इस राष्ट्रीय कार्यशाला की सिफारिशों के आधार पर, संयुक्त सचिव (पर्यटन), भारत सरकार की अध्यक्षता में एक उप-समिति और विशेषज्ञ निर्धारित किये गए हैं। भारत के लिए सतत पर्यटन मानदंड (STCI) और संकेतकों को परिभाषित करने के लिए, 2010 में हितधारकों का गठन किया गया था। पर्यटन मंत्रालय ने तब से पर्यटन उद्योग में पर्यावरणीय रूप से जिम्मेदार और टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारत के लिए सतत पर्यटन मानदंड (एसटीसीआई) शुरू किया है। इसके अलावा, मंत्रालय ने विभिन्न श्रेणियों के तहत होटलों के वर्गीकरण के लिए दिशानिर्देश भी तैयार किए हैं, जिसमें होटलों को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (Sewage Treatment Plant (STP), वर्षा जल संचयन प्रणाली, अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली, प्रदूषण नियंत्रण, गैर- प्रशीतन, एयर कंडीशनिंग के लिए क्लोरोफ्लोरोकार्बन (सीएफसी) उपकरण, ऊर्जा और जल संरक्षण आदि के उपाय शामिल करने को कहा गया है। मंत्रालय ने यह भी निर्धारित किया है कि, पहाड़ी और पारिस्थितिक रूप से नाजुक क्षेत्रों में होटल भवनों की वास्तुकला, टिकाऊ और ऊर्जा कुशल होनी चाहिए और जहां तक ​​संभव हो स्थानीय लोकाचार के अनुरूप होनी चाहिए तथा उन्हें स्थानीय डिजाइन और सामग्री का उपयोग करना चाहिए।
पर्यटन मंत्रालय द्वारा अनुमोदित टूर ऑपरेटरों को सर्वोत्तम पर्यावरण और विरासत संरक्षण मानकों के अनुरूप, सतत पर्यटन प्रथाओं को पूरी तरह से लागू करने के लिए सुरक्षित और सम्मानजनक पर्यटन और सतत पर्यटन के प्रति प्रतिबद्धता के लिए एक प्रतिज्ञा पर हस्ताक्षर करना होगा। कई राज्य सरकारों ने भी ग्रामीण पर्यटन, कृषि पर्यटन, साहसिक पर्यटन, इको टूरिज्म, होम स्टे, स्थायी आजीविका सहित स्थायी और जिम्मेदार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रशंसनीय पहल की है।

संदर्भ
https://bit.ly/38YUFGr
https://bit.ly/3xziJd2
https://bit.ly/37ZwU0c

चित्र संदर्भ

1. सोलर ऊर्जा से संचालित होटल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. जंगल के बीच में कैंप को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. विकास के लिए सतत पर्यटन का अंतर्राष्ट्रीय परिसर को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. जेम पार्क होटल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. पर्यटन राज्य मंत्री, श्री सुल्तान अहमद 27 जुलाई, 2010 को नई दिल्ली में "भारत के लिए सतत पर्यटन मानदंड" पर 2 दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन के अवसर पर संबोधित करते हुए दर्शाता एक चित्रण ((wikimedia)

अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.