जौनपुर की मशहूर इमरती, खाएं इसे ठंडी या गरम? स्वाद में तापमान का महत्व

स्वाद- खाद्य का इतिहास
31-01-2022 09:47 AM
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जौनपुर की मशहूर इमरती, खाएं इसे ठंडी या गरम? स्वाद में तापमान का महत्व

ज्यादातर लोग अपने सोडा को ठंडा और अपनी कॉफी को गर्म पीना पसंद करते हैं, किंतु क्या आपने कभी यह सोचा कि ऐसा क्यों होता है?एक नए अध्ययन से पता चलता है कि ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों के तापमान में परिवर्तन से खट्टे, कड़वे और कसैले स्वाद की स्वाद तीव्रता पर असर पड़ता है।इसके अलावा, 20 से 30 प्रतिशत आबादी जिन्हें ‘थर्मल' टेस्टर’(Thermal tester) के रूप में जाना जाता है, में जीभ के छोटे क्षेत्रों को गर्म या ठंडा करने से भोजन या पेय की उपस्थिति के बिना ही स्वाद की अनुभूति होती है।कुछ व्यक्तियों के लिए तापमान अकेले स्वाद संवेदनाओं को उत्पन्न कर सकता है। ये व्यक्ति सामान्य रूप से स्वाद के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
इन संवेदनशील व्यक्तियों के अलावा, एक विशिष्ट स्वाद का तापमान भी इस बात को प्रभावित करता है, कि उसका स्वाद कितना तीव्र होता है।एक अध्ययन में 74 प्रतिभागियों, जिनमें थर्मल टेस्टर, सुपर टेस्टर (SuperTester), और रेगुलर टेस्टर (RegularTester) शामिल थे, ने 5 और 35 डिग्री सेल्सियस दोनों पर मीठे, खट्टे, कड़वे और कसैले घोल का स्वाद चखा। इसके बाद उन्हें एक समयावधि में स्वाद की तीव्रता को रेट करने के लिए कहा गया। तीनों ही प्रकार के टेस्टरों के लिए,तापमान ने कसैले, कड़वे और खट्टे घोल की तीव्रता को प्रभावित किया,लेकिन मीठे घोल की तीव्रता को नहीं। दूसरी ओर, ठंडे घोल के साथ कड़वाहट अधिक तीव्र थी, जबकि स्वाद की तीव्रता गर्म घोल की तुलना में ठंडे घोल के साथ तेजी से कम हो रही थी।आश्चर्यजनक रूप से, ठंडे और गर्म चीनी के घोल के बीच कथित मिठास में कोई अंतर नहीं था, लेकिन ठंडे घोल को अपनी अधिकतम स्वाद तीव्रता तक पहुँचने में अधिक समय लगा। इसी प्रकार जब घोल गर्म था, तब तीखापन और खटास अधिक तीव्र थे, और स्वाद की तीव्रता ठंडे घोल की तुलना में गर्म घोल के साथ अधिक समय तक थी।यदि किसी खाद्य या पेय पदार्थ के तापमान को बढ़ाया जाता है, तो हमारे स्वाद की धारणा भी बढ़ जाती है। जैसे बीयर गर्म होने पर और अधिक कड़वी हो जाती है, तथा आइसक्रीम गर्म होने पर और भी अधिक मीठी हो जाती है।एक अध्ययन में पाया गया कि हमारी स्वाद कलिकाओं में माइक्रोस्कोपिक चैनल (Microscopic channels) होते हैं, जिन्हें TRPM5 कहा जाता है।
यह विभिन्न तापमान पर विभिन्न प्रकार की स्वाद धारणाओं के लिए उत्तरदायी होता है।शोधकर्ताओं के अनुसार, हमारी स्वाद कलिकाओं में TRPM5 की प्रतिक्रिया बहुत अधिक तीव्र होती है,जब भोजन या तरल पदार्थ का तापमान बढ़ जाता है। यह मस्तिष्क को एक मजबूत विद्युत संकेत भेजता है और परिणामस्वरूप स्वाद में वृद्धि होती है।दूसरी ओर, उपभोक्ता कुछ पेय पदार्थों जैसे कॉफी, चाय या कोको में एक निश्चित कड़वा स्वाद का आनंद लेते हैं, क्यों कि गर्म होने पर इनका स्वाद बेहतर होता है।ताजा पके हुए, भाप से भरे व्यंजनस्वादिष्ट लग सकते हैं, लेकिन कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि गर्मी भोजन के स्वाद का आनंद लेने की हमारी क्षमता को कम कर देती है। हालांकि यह सूंघने में सुगंधित हो सकता है, क्यों कि सुगंधित अणु वाष्पित होते हैं, लेकिन जब एक गर्म निवाला आपके मुंह में जाता है,तो सब कुछ तनावपूर्ण लगता है। इसके अलावा, यह जीभ को जला भी सकता है, जिससे आपकी स्वाद कलिकाएं खराब हो जाएंगी। तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने पर स्वाद की धारणा कम हो जाती है।बहुत गर्म भोजन के साथ यह संभव है कि जीभ के जलने के कारण स्वाद संवेदना महसूस न हो। इस समय हम भोजन के स्वाद पर ध्यान नहीं देते, बल्कि हम जीभ के जलने से चिंतित होते हैं।उच्च तापमान स्वाद को दबा देता है।जर्नल ऑफ सेंसरी स्टडीज (Journal of Sensory Studies) में प्रकाशित 2005 के एक पेपर में पाया गया कि चेडर चीज़ (Cheddar cheese) के सर्विंग (Serving) तापमान ने इसके स्वाद को प्रभावित किया। पनीर को 5, 12 और 21 डिग्री सेल्सियस पर परोसा गया था, तथा तापमान बढ़ने के साथ खटास भी बढ़ती गई। टेस्टर्स ने यह भी कहा कि उनके लिए गर्म पनीर का मूल्यांकन कर पाना अधिक कठिन था।
प्रत्येक व्यक्ति की स्वाद संवेदनशीलता में भिन्नता होती है तथा यह तथ्य कि जीभ के अन्य संवेदी घटक भी गर्मी के प्रति संवेदनशील होते हैं, ऐसे कारण हैं, जो स्वाद के संतुलन को प्रभावित करते हैं।जीभ के कुछ हिस्सों को गर्म करने या ठंडा करने से कुछ स्वादों का भ्रम पैदा हो सकता है।1999 में जर्नल नेचर (Journal Nature) में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि,जीभ के सामने के किनारे (जहां कोर्डा टाइम्पानी (Chorda tympani) तंत्रिका है) को गर्म करने से मिठास पैदा हो सकती है। उसी क्षेत्र को ठंडा करने से खटास और नमकीनपन आ जाता है। जीभ के पीछे (जहां ग्लोसोफेरींजल (Glossopharyngeal) तंत्रिका है), पर अलग प्रभाव देखने को मिलते हैं। शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि थर्मली सेंसीटिव न्यूरॉन्स (Thermally sensitive neurons) स्वाद के लिए हमारे संवेदी कोड का एक दैनिक हिस्सा बनाते हैं। इसलिए यदि खाने के दौरान आप कुछ पी रहे हैं, तो उस पेय का तापमान भी भोजन के स्वाद को प्रभावित करेगा। एक अन्य शोध के अनुसार ठंडा पानी पीने के तुरंत बाद कुछ खाने से भी मिठास, चॉकलेट के स्वाद और क्रिमीनेस (Creaminess) कम लगती है।

संदर्भ:
https://bit.ly/3g3JjB2
https://bit.ly/3IBV6my
https://bit.ly/34bQdSo
https://bit.ly/3u590tk

चित्र संदर्भ   
1. स्वादिष्ट इमरती को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. मानव जीभ पर पैपिला में स्वाद रिसेप्टर्स मौजूद होते हैं, जिनको दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. भाप निकलते भोजन को दर्शाता एक चित्रण (istock)
4. ग्लोसोफेरींजल (Glossopharyngeal) तंत्रिका को दर्शाता एक चित्रण (istock)

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