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ऑक्सफ़ोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी (Oxford English Dictionary) में स्लमिंग (Slumming) शब्द का
पहला प्रयोग 1884 में किया गया था।एक मलिन बस्ती या स्लमकिसी शहर का वह क्षेत्र है, जहां
रहने की सुविधा अपर्याप्त,खराब और बेहद दयनीय होती है तथा यहां रह रहे लोगों के पास स्वच्छ
पानी, स्वच्छता और कार्यकाल सुरक्षा तक पहुंच नहीं होती है।ऐसे स्थानों की स्थिति के बारे में करीब
से जानने के लिए सर्वप्रथम लंदन (London) में, व्हाइटचैपल (Whitechapel) या शोर्डिच
(Shoreditch) जैसे मलिन बस्तियों का दौरा करके शुरू किया गया था। वहीं1884 तक न्यू यॉर्क
(New York) शहर में अमीर लोगों द्वारा यह देखने के लिए कि वे कैसे अपना जीवन व्यतीत करते
हैं, बोवेरी एंड द फाइव पॉइंट्स (Bowery and the Five Points), निचले पूर्व की ओर मैनहट्टन
(Manhattan), जैसे गरीब आप्रवासियों का दौरा करना शुरू कर दिया गया था।
हालांकि 1900 के
दशक में मलिन बस्तियों का दौरा करना बंद हो गया था, लेकिन 1980 के दशक में दक्षिण अफ्रीका
(Africa) में, अश्वेत निवासियों द्वारा स्थानीय सरकारों में गोरों को यह बताने के लिए कि अश्वेत
आबादी कैसे रहती है, मलिन बस्तियों के दौरे को एक बार ओर जागरूक कर दिया गया था। इस
तरह के दौरों ने अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित किया, जो रंगभेद के बारे में अधिक जानना चाहते
थे।आज, स्लम पर्यटन एक वैध वैश्विक उद्योग के रूप में विकसित हो गया है, जिसमें प्रति वर्ष दस
लाख से अधिक पर्यटक आते हैं।टूर ऑपरेटर (Tour operator) अब केप टाउन (Cape Town) और
जोहान्सबर्ग (Johannesburg) की बस्ती, रियो (Rio)की बस्ती, मुंबई और नई दिल्ली की मलिन
बस्तियों, या यहां तक कि एलए (LA), डेट्रॉइट (Detroit), कोपेनहेगन (Copenhagen) और बर्लिन
(Berlin)के स्किड (Skid - गरीब या बेघरलोगों के रहने का स्थान) जैसी जगहों का दौरा कर रहे हैं।
कई पर्यटकों का कहना है कि वे इन बस्तियों का दौरा केवल यह जानने के लिए नहीं करते कि वे
कैसे रह रहे हैं, बल्कि उनके जीवन की कहानियों के बारे में और अक्सर उनको जो स्थानीय सरकारों
और स्थायी आवास वाले लोगों से भेदभाव का सामना करना पड़ता है, इसके बारे में अधिक से
अधिक जागरूकता फैलाने के लिए।लीसेस्टर विश्वविद्यालय (University of Leicester) के प्रोफेसर
फैबियन फ्रेनजेल (इन्होंने स्लमिंग इट: द टूरिस्ट वेलोराइज़ेशन ऑफ़ अर्बन पॉवर्टी (Slumming It:
The Tourist Valorization of Urban Poverty) नामक पुस्तक भी लिखी है।) द्वारा पहचाना गया
कि ऐसे स्थानों में जाने से सामाजिक मुद्दों और सामान्य मानव स्थिति के लिए चिंता के बारे में
अधिक रुचि उत्पन्न होना,इन बस्तियों कि यात्राओं के लिए मुख्य प्रेरणाओं में से एक थी।वहीं टूर
ऑपरेटरों के अनुसार, स्लमडॉग मिलियनेयर (Slumdog Millionaire) फिल्म के बाद मुंबई के धारावी
बस्ती में पर्यटकों को आकर्षित करने का प्रभाव व्यापक रूप से प्रचलित रहा है। हालांकि फिल्म से
बहुत पहले ही लोगों द्वारा बस्ती का दौरा किया जाता था, लेकिन फिल्म के कारण अधिक पर्यटक
वहाँ आने लगे। अधिकांश झुग्गी-झोपड़ियों के दौरों में आमतौर पर विभिन्न परियोजना स्थलों का
दौरा शामिल होता है, जहां गैर सरकारी संगठन या इसी तरह के संगठन समुदाय जैसे स्कूल
औरशैक्षिक केंद्र विभिन्न परियोजनाओं को यहां स्थापित करते हैं। साथ ही अक्सर इन स्थलों को
पर्यटकों को यह दिखाने के लिए चुना जाता है कि इन समुदाय को बेहतर बनाने के लिए क्या किया
जा रहा है, और पर्यटक कैसे इन्हें सुधारने के लिए अपना समर्थन दे सकते हैं।
पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय के 2010 के एक अध्ययन से पता चला है कि मुंबई के धारावी बस्ती
में पर्यटक सामाजिक तुलना, मनोरंजन, शिक्षा, या आत्म-साक्षात्कार जैसे कई प्रतिस्पर्धी संकट कारकों
के विपरीत मुख्य रूप से जिज्ञासा से प्रेरित थे।इसके अलावा, अध्ययन में पाया गया कि अधिकांश
झुग्गी-झोपड़ी के निवासी पर्यटन के बारे में अस्पष्ट थे, जबकि अधिकांश पर्यटकों ने दौरे के दौरान
सकारात्मक भावनाओं की सूचना दी, जिसमें रुचि और साज़िश सबसे अधिक उद्धृत भावनाओं के रूप
में थी।जबकि इन बस्तियों में घूमने जाने का उद्देश्य पैसा कमाना है, लेकिन जैसा हम बता चुके हैं
कि ये छिपी हुई गरीबी के विरोधाभास को तोड़ने का एक तरीका भी है।शहरी क्षेत्रों में जाने वाले
पर्यटक जिन्हें अक्सर गरीब, खतरनाक या अविकसित के रूप में देखा जाता है,इस तथ्य को प्रसारित
करते हैं कि वे वैश्वीकृत युग के आर्थिक आश्चर्यों का एक और पक्ष है और उन्हें अनदेखा नहीं किया
जाना चाहिए।
वहीं जैसे-जैसे स्लम पर्यटन का नया बाजार विकसित होता है और इसकी लोकप्रियता बढ़ती है, यह
अत्यधिक विवादास्पद हो गया है, जिसे अक्सर दृश्यरतिक या यहां तक कि शोषक के रूप में
वर्णित किया गया है।अधिकांश स्लमपर्यटन कंपनियां स्थानीय लोगों को काम पर रखने या सामाजिक
कार्यक्रमों के लिए पैसे दान करने के माध्यम से उन समुदायों के लिए एक सेवा करने का दावा करती
हैं। लेकिन, फ्रेनजेल द्वारा एकत्रित की गई सूची से पता चलता है कि मेजबान समुदायों को मिलने
वाला आर्थिक लाभ अक्सर नगण्य होता है।इसके अलावा, जबकि स्लम पर्यटन शहरों के आर्थिक रूप
से पिछड़े हिस्सों के बारे में जागरूकता बढ़ाता है, जो अक्सर स्थिति को बदलने में काफी मददगार
सिद्ध होता है, लेकिन फ्रेनजेल ने पाया है कि गरीबी के दौरे कभी-कभी स्वयं के लाभ के लिए हो
सकते हैं।एक पर्यटन पैकेज (Package) की घोषणा पर भी विवाद उत्पन्नहुआ, जिसने 2018 में
झुग्गी बस्तियों में सार्वजनिक शौचालयों के उपयोग के साथ-साथ मुंबई की मलिन बस्तियों में रात
भर रहने की पेशकश की थी।पैकेज की घोषणा डच (Dutch) नागरिक और स्वयंसेवी डेविड बिजल ने
स्लम निवासी रवि सांसी के साथ की थी।बिजल ने ब्रिटिश (British) दैनिक द गार्जियन (The
Guardian) को बताया कि लोग मुंबई की झुग्गियों में केवल फेसबुक (Facebook) पर तस्वीरें डालने
के लिए आते हैं, इसके बजाय, उनके पैकेज का उद्देश्य झुग्गियों को बेहतर तरीके से जानना
है।बिजल ने यह भी कहा कि पर्यटकों द्वारा दिए गए पैसे को उन परिवारों को दिया जाएगा जहां वे
रहेंगे।जबकि विभिन्न गैर सरकारी संगठनों ने गरीबी को बेचने के कार्यक्रम की आलोचना की है,वहीं
अन्य लोगों ने तर्क दिया है कि ऐसे कार्यक्रमों की आवश्यकता है क्योंकि यह लोगों की मलिन
बस्तियों के बारे में धारणा को बदलने के लिए आवश्यक हैं।
संदर्भ :-
https://bit.ly/3qIKV9S
https://bit.ly/3GNu8b5
https://bit.ly/3fEQLTe
https://bit.ly/3qGx6Zh
चित्र संदर्भ
1. झुग्गियां के बच्चों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. मुंबई स्लम को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3. मलिन बस्ती में दूषित नाले को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4 .मुंबई में झुग्गियां को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
5. हस्ताक्षरित सड़क भित्तिचित्र को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
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