अनुचित प्रबंधन के कारण खराब हो रहा है जौनपुर क्रय केन्द्रों पर रखा गया धान

साग-सब्जियाँ
13-01-2022 07:02 AM
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अनुचित प्रबंधन के कारण खराब हो रहा है जौनपुर क्रय केन्द्रों पर रखा गया धान

भारत में अत्यधिक बारिश कई क्षेत्रों की समस्याओं का कारण बनी हुई है, जिनमें से एक क्षेत्र हमारा जौनपुर भी है।जौनपुर में क्रय केंद्रों पर जो धान रखा गया है, वह बारिश के कारण भीग रहा है, और अंतत: उसे सड़ने से बचाने के लिए तिरपाल का सहारा लेना पड़ रहा है।यह स्थिति अनाज के भंडारण के बारे में महत्वपूर्ण प्रश्न उजागर करती है।क्रय केन्द्रों पर अभी भी तिरपाल से ढककर हजारों कुन्तल धान बाहर खुले में रखा गया है। बाहर रखे धान को कितना भी तिरपाल व प्लास्टिक ओढ़ाया जाए, लेकिन उसका भीगना और नुकसान होना तय है।धान की खरीद तेज हो रही है लेकिन इसका रख रखाव का प्रबंध समुचित नहीं है। यह स्थिति इस बात की ओर इशारा करती है कि फसल कटाई के बाद बेहतर बुनियादी ढांचे में निवेश करने की आवश्यकता है।
1960 के दशक में भारत एक शुद्ध खाद्य आयातक बना, जिसकी वजह से भारत खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में सफलतापूर्वक आगे बढ़ा। भारत ने इस क्षेत्र में जो उपलब्धि हासिल की है, उसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है, कि भारत का खाद्यान्न उत्पादन 76.67 मिलियन टन से बढ़कर 308 मिलियन टन हुआ। अर्थात 300 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई।हालांकि यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है, लेकिन वर्तमान में उत्पादन की यह प्रचुर मात्रा हमें समस्या की ओर ले जा रही है क्योंकि देश इस अधिशेष के प्रबंधन में चुनौतियों का सामना कर रहा है।भारत ने 297 मिलियन मीट्रिक टन का खाद्यान्न और बागवानी उत्पादन हासिल किया है।लेकिन संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन का अनुमान है कि भारत में भोजन की हानि और अपशिष्ट लगभग 40% है, जबकि राज्य के स्वामित्व वाले भारतीय खाद्य निगम ने यह आंकड़ा 15% आंका है।नेशनल एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज (National Academy of Agricultural Sciences) के एक अध्ययन में कहा गया है,कि भंडारण भारत में सभी प्रकार के खाद्य, फलों और सब्जियों के लिए फसल के बाद होने वाले नुकसान का प्रमुख कारण है।
भारत को कोल्ड स्टोरेज (Cold storage) क्षमता की गंभीर कमी का भी सामना करना पड़ता है, यह स्थिति भारत की प्रसंस्कृत खाद्य उद्योग की विशाल क्षमता को झुठलाती है।सितंबर 2020 तक, भारत में 8,186 कोल्ड स्टोरेज थे,जिनकी कुल क्षमता 374 लाख मिलियन टन थी। इसका लगभग 65% हिस्सा बंगाल और उत्तर प्रदेश में स्थित है।कोल्ड स्टोरेज क्षमता का लगभग 75% आलू के लिए उपयोग किया जाता है। ऐसा अनुमान है कि भारत में लगभग 30-40% फल और सब्जियां उचित कोल्ड स्टोरेज की सुविधा के अभाव में बेकार हो जाती हैं।अनाज भंडारण का अनुचित प्रबंधन देश में खाद्य सुरक्षा से सम्बंधित समस्याओं को उत्पन्न कर सकता है।इसलिए यह आवश्यक है कि भारत में उचित अनाज भंडारण की व्यवस्था की जाए।वैज्ञानिक भंडारण विधियों के उपयोग, निजीकरण और ग्रामीण स्तर तक के बड़े और बेहतर वितरित भंडारण बुनियादी ढांचे के विकास द्वारा भंडारण क्षमता में सुधार किया जा सकता है। यह अपव्यय को कम करेगा, कृषि उपज को बाजार के उतार-चढ़ाव के प्रति कम अस्थिर रखेगा और भारत को अपने खाद्यान्न निर्यात को बढ़ावा देने में भी मदद करेगा।फसल कटने के बाद अनाज को जो नुकसान होता है, उसे कम करने के लिए धातु के सिलोस (Silos) सफल विकल्प साबित हुए हैं, लेकिन 40-350 डॉलर की उच्च खरीद लागत भारत में साइलो को अपनाने में प्रमुख बाधा रही है।साइलो के लिए, डेवलपर्स को भूमि के लंबे हिस्सों की आवश्यकता होती है, जो भारत जैसे घनी आबादी वाले देश में एक बड़ी चुनौती है।भारत 30 करोड़ टन अनाज का उत्पादन करता है और सरकार इसका लगभग 75 मिलियन न्यूनतम समर्थन मूल्य तंत्र के माध्यम से प्राप्त करती है। इसमें से लगभग सभी को पारंपरिक गोदामों में या खुले में शेड के नीचे रखा जाता है,जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान होता है।
आज, प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से लगभग 50 साइलो साइटों का विकास किया जा रहा है, जो करीब 3.5 मिलियन टन वैज्ञानिक भण्डारण क्षमता को उत्पन्न करेगा। भारत ने अपना पहला मेटल साइलो 1959 में हापुड़ में स्थापित किया था। “सार्वजनिक-निजी भागीदारीमॉडल” के माध्यम से पहली भारतीय खाद्य निगम पायलट परियोजना 2006 में हुई थी। फिर भी, भारत साइलो स्टोरेज के मामले में गंभीर कमी से ग्रस्त है।खाद्य भंडारण को उचित रूप से प्रबंधित करने के लिए भारत को थोक भंडारण समाधान जैसे साइलो(प्रौद्योगिकी के आधुनिक उपकरणों के साथ) की ओर शिफ्ट होने की जरूरत है। अनाज को बर्बादी से बचाने के लिए एक करोड़ टन साइलो क्षमता विकसित करने की योजना बनाई गई है।विभिन्न मंत्रालय, राज्य के स्वामित्व वाले भारतीय खाद्य निगम के सहयोग से इस योजना को लागू करेंगे जिसकी अनुमानित लागत 20,000 करोड़ रुपये होगी।

संदर्भ:

https://bit.ly/34I3UbY
https://bit.ly/3raxeiL
https://bit.ly/3HR3aiS
https://bit.ly/3K3j23D
https://bit.ly/3rdw2LF

चित्र संदर्भ
   
1. अनाज मंडी को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
2. गेहू काटती भारतीय महिला किसान को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
3. खुले में रखी अनाज की बोरियों को दर्शाता एक चित्रण (Britannica)
4. मेटल साइलो को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)

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