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जानकारों के अनुसार वर्ष 2030 तक, लगभग तीन-चौथाई भारतीय दोपहिया वाहन और लगभग
सभी नई कारें जैविक ईंधन (डीजल, पेट्रोल) के बजाय बिजली से चलने वाली इलेक्ट्रिक वाहन होने
की उम्मीद है। हम सभी जानते हैं की इलेक्ट्रिक वाहनों (electric vehicles) में ऊर्जा को संरक्षित
करने के लिए बैटरी का प्रयोग किया जाता है, और सभी प्रकार की बैट्रियों में लिथियम-आयन, या
ली-आयन (lithium-ion, or Li-ion) एक अति महत्वपूर्ण घटक होता है। पारंपरिक बैटरी तकनीक
की तुलना में, लिथियम-आयन बैटरी तेजी से चार्ज होती है, और लंबे समय तक चलती है। बैटरियों
को शक्ति प्रदान करने में लिथियम की केंद्रीयता इसे अगला तेल बना रही है।
यदि भारत हरित गतिशीलता (green mobility) की ओर अग्रसर होता है, तो हमें जल्द ही बड़ी
मात्रा में लिथियम प्राप्त करने के नए स्रोत तलाशने होंगे। और यदि हम ऐसा अभी समय रहते नहीं
करते तो भविष्य में लिथियम का आभाव एक बड़ा जोखिम साबित हो सकता है।
हालांकि भारत इस ओर अग्रसर है और निरंतर लिथियम भंडारण बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।
ताकि भविष्य में इस दुर्लभ खनिज के संदर्भ में भारत को आत्मनिर्भर बनाया जा सकें। इस क्रम में
देश का पहला लिथियम भंडार अब तक कर्नाटक में खोजा गया है, जो लगभग 1,600 टन के
लिथियम भंडारण की पुष्टि करता है। हालांकि यह मात्रा अभी भी पार्यप्त नहीं है।
लिथियम को भविष्य का खजाना माना जा रहा है, जिसे भारत तेजी से जमा करना चाहता है।
जैसे-जैसे विश्व में पर्यावरण और उपलब्धता के संदर्भ में जीवाश्म ईंधन (fossil fuels) से जुड़ी हुई
समस्याएं सामने आ रही है, वैसे-वैसे पूरी दुनिया में ऊर्जा संरक्षण और बैटरी के निर्माण में
लिथियम की व्यवहार्यता बढ़ती जा रही है।
हालांकि भारत में इसका भंडार तुलनात्मक रूप से काफी कम है किंतु यहां भी चीन के प्रभुत्व का
मुकाबला करने के लिए बड़े पैमाने पर खोज शुरू हो गई है।
उदाहरण के तौर पर लिथियम भंडारण की दिशा में गुजरात में लिथियम के लिए एक आगामी
रिफाइनरी, एक बहुप्रतीक्षित (much-awaited) कदम माना जा रहा है। इसके पीछे की इकाई
मणिकरण पावर (Manikaran Powe) नामक एक पावर ट्रेडिंग कंपनी (power trading
company), कार्बोनेट के रूप में 20,000 टन प्रति वर्ष लिथियम का उत्पादन करने की उम्मीद
जता रही है। जिसके लिए अयस्क की आपूर्ति हेतु ऑस्ट्रेलिया के साथ करार किया गया है।
वर्तमान में दुनिया सबसे बड़े लिथियम भंडारित देशों को क्रमशः दिया गया है
1. बोलीविया (Bolivia) : 21 मिलियन टन
2. अर्जेंटीना (Argentina): 17 मिलियन टन
3. चिली: 9 मिलियन टन
4. संयुक्त राज्य अमेरिका (United States): 6.8 मिलियन टन
5. ऑस्ट्रेलिया (Australia) : 6.3 मिलियन टन
6. चीन: 4.5 मिलियन टन
संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा भी लिथियम भंडारण के लिए वैश्विक स्तर पर खोज की जा रही है।
संयुक्त राज्य अमेरिका के चिली, अर्जेंटीना और बोलीविया (Chile, Argentina and Bolivia) में
दुनिया के सिद्ध लिथियम भंडार का 50% से अधिक हिस्सा मौजूद है। जिसे दुनिया का
अनौपचारिक लिथियम त्रिकोणम (informal lithium trigonum) माना जाता है।
लिथियम-आयन, रिचार्जेबल बैटरी (rechargeable battery) का एक महत्वपूर्ण घटक है, जोइलेक्ट्रिक वाहनों (EV), सहित लैपटॉप और मोबाइल फोन की बैटरी को भी शक्ति देता है।
परमाणु ऊर्जा विभाग की अन्वेषण और अनुसंधान शाखा के परमाणु खनिज निदेशालय (Atomic
Minerals Directorate) द्वारा प्रारंभिक सर्वेक्षण में कर्नाटक के मांड्या के मार्लागल्ला-
अल्लापटना (Marlagalla-Allapatna region of Mandya, Karnataka) क्षेत्र की आग्नेय
चट्टानों में 1,600 टन लिथियम संसाधनों की मौजूदगी का पता चला है।
हालांकि मांड्या में खोज मात्रात्मक दृष्टि से बहुत कम है, लेकिन यह अयस्क के लिथियम घरेलू
रूप से खनन करने के प्रयास में प्रारंभिक सफलता का प्रतीक है। भारत वर्तमान में अपनी सभी
लिथियम जरूरतों को आयात करके पूरा करता है।
भारत में, मांड्या रॉक माइनिंग (Mandya Rock Mining) के साथ, राजस्थान में सांभर, पचपदरा
और गुजरात के कच्छ के रण की ब्राइन से भी लिथियम प्राप्त करने की कुछ संभावनाएं हैं। भारत
की ऊर्जा सुरक्षा योजनाओं के हिस्से के रूप में, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (the Geological
Survey of India (GSI) ने अरुणाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, जम्मू और कश्मीर
और राजस्थान में कुल मिलाकर 7 लिथियम अन्वेषण परियोजनाएं शुरू की हैं।
यह भारत में ई-मोबिलिटी (e-mobility) को बढ़ावा देने के लिए लिथियम-आयन सेल (lithium-ion cell) बनाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा ₹18,100 करोड़ उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI)
योजना की घोषणा की गई है। लिथियम के अन्य उपयोग भी हैं जैसे कि मोबाइल फोन की बैटरी,
सौर पैनल, एयरोस्पेस और थर्मोन्यूक्लियर फ्यूजन (solar panels, aerospace and
thermonuclear fusion) आदि।
हालांकि, भारत में लिथियम-आयन बैटरी के निर्माण के लिए पर्याप्त लिथियम भंडार नहीं है, और
देश में लगभग सभी इलेक्ट्रिक वाहन आयातित बैटरियों पर चलते हैं, जिनमें ज्यादातर चीन से
आते हैं।
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अनुसार, 2016 और 2019 के बीच, लिथियम बैटरी के
आयात पर विदेशी मुद्रा की राशि तीन गुना हो गई है। उक्त सभी आंकड़े यह दर्शाने के लिए काफी हैं
की आज भंडारित किया गया लिथियम भारत के लिए भविष्य का खरा सोना साबित हो सकता है।
संदर्भ
https://bit.ly/3f4HFyD
https://bit.ly/3GiVxBG
https://bit.ly/3GrwLiR
https://bit.ly/3zEBDOZ
चित्र संदर्भ
1. लिथियम टोकामक प्रयोग को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
2. बोलीविया उयूनी साल्ट फ्लैट्स (Bolivia Uyuni Salt Flats) में लिथियम खदान को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
3. लिथियम आयन बैटरी - 2Ah को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
4. लिथियम - तत्वों की आवर्त सारणी को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
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