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पूरे भारत में इन दिनों शादियों का सीजन चल रहा है।शादी वर-वधू के जीवन का खास दिन होता है,
सिर्फ वर-वधू के लिए ही नहीं बल्कि अन्य लोगों के लिए भी यह एक खास दिन होता है क्योंकि इस
दिन सबको अपनी पसंदीदा परिधान पहनने का मौका मिलता है। साथ ही शादी में बहुत सारी ऐसी
रस्में भी होती है, जो सभी का मनमोह लेती हैं। जहां शादी की बात आती है तो प्रत्येक देश की एक
अनूठी परंपराएं होती हैं। ऐसे ही इस्लामी शादियों को कई रस्मों और अनूठी परंपराओं के लिए जाना
जाता है।अरब (Arab) मुस्लिम शादियां इतिहास और परंपरा में डूबे हुए भव्य समारोह होते हैं। जबकि
विशिष्ट रीति-रिवाज लेवेंट (Levant) के देशों में लेबनान (Lebanon) या फिलिस्तीन (Palestine) से
लेकर मोरक्को (Morocco) तक सभी देशों में भिन्न होते हैं, हालांकि कुछ सांस्कृतिक और धार्मिक
अनुष्ठान समान रहते हैं। अरब मुस्लिम विवाह में अपेक्षित सबसे आम परंपराएं निम्नलिखित हैं :
1. टोल्बे (Tolbe):टोल्बे या तुलबा एक पूर्व-विवाह समारोह है जहां दूल्हा औपचारिक रूप से दुल्हन के
माता-पिता से शादी के लिए उसका हाथ मांगता है। यदि परिवार अपना आशीर्वाद देते हैं, तो पवित्र
कुरान की एक छोटी प्रार्थना जिसे "सूरह अल-फातिहा (Surah Al-Fatiha)" कहा जाता है,को उपस्थित
सभी लोगों द्वारा पढ़ी जाती है। इसके बाद चाय, कॉफी (Coffee), या सौहार्दपूर्ण और मिठाइयों की
प्रस्तुति होती है जिसका आनंद दोनों परिवार एक साथ लेते हैं।
2. कतब अल-किताब (Katb Al-kitaab):कतब अल-किताब शादी की एक रस्म है, जिसमें शेख शादी की
शर्तों को बताता है और दोनों पक्षों द्वारा एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए जाते हैं।इस समारोह में
मेहमानों के लिए रूढ़िवादी रूप से कपड़े पहनना महत्वपूर्ण है। पुरुषों और महिलाओं दोनों को अपने
हाथ और पैर ढकने चाहिए और महिलाओं को सर भी ढककर रखना चाहिए।
3. महर (Mahr):इस्लाम में, महर दहेज या अदायगी है जो एक दूल्हे को अपनी दुल्हन को देना होगा।
महर को कतब अल-किताब के दौरान प्रस्तुत किया जाता है। यह स्त्री के प्रति प्रेम, सम्मान और
शिष्टाचार का प्रतीक है। यह काफी मूल्यवान होता है, इसे वे तलाक की स्थिति में अपने साथ ले जा
सकती हैं।
4. ज़ाफ़ (Zaffe):ज़ाफ़ नवविवाहित जोड़े का उनके स्वागत समारोह में भव्य प्रवेश होता है।इसमें आमतौर
पर दुल्हन के पिता दुल्हन के साथ स्वागत समारोह में प्रवेश करते हैं। इसके बाद ड्रम वादकों का एक
समूह आता है जो पारंपरिक, उत्साही अरबी संगीत बजाते हैं।ज़ाफ़ के दौरान,अंगूठी को दाहिने हाथ से
बाएं हाथ में बदला जाता है।
5. दबके (Dabke):अधिकांश अरब शादियों में, आप बहुत से मेहमानों को बैठे नहीं देखेंगे।क्योंकि दबके
नामक एक लोकप्रिय लोक नृत्य पेशेवर नर्तकियों और फिर शादी के मेहमानों द्वारा किया जाता है।
6. केक काटना (Cake Cutting):केक काटना एक शादी की परंपरा है जो ज्यादातर संस्कृतियों में पाई
जाती है, लेकिन अरब मुस्लिम जोड़ें अपनी शादी के दिन दूल्हे को अपने परिवार द्वारा पारित एक
बड़ी तलवार से अपनी बहु-स्तरीय शादी के केक को काटते हैं।
7. बरमेत अल-अरोस (Barmet Al-aroos):यह परंपरा नवविवाहित जोड़े की अंतिम विदाई है,जिसमें जोड़े
एक आकर्षक और अत्यधिक सजाए गए वाहन से अपने विवाह स्थल से विदा लेते हैं। जोड़े के दोस्त
और परिवार अपनी-अपनी कारों को लेकर उनके साथ घर या होटल वापस जाते हैं,इस दौरान दुनिया
को यह बताने के लिए कि उनके सामने वाले जोड़े ने अभी अभी शादी की, काफी जोरदार संगीत को
बजाया जाता है।
चाहे वह भारतीय, पाकिस्तानी, श्रीलंकाई या बांग्लादेशी मुस्लिम विवाह समारोह हो, ये स्वादिष्ट भोजन,
उत्साही संगीत और सुंदर रीति-रिवाजों से भरा होना निश्चित है।तो चलिए दक्षिण एशियाई मुस्लिम
विवाह के रीति रिवाजों पर एक नजर डालें और अरब के विवाह समारोह से इनकी समानता और
अंतर को देखें:
1. मेहंदी: दक्षिण एशियाई शादी समारोह आम तौर पर मेहंदी नामक एक कार्यक्रम से शुरू होते हैं, जहां
महिलाएं अपने हाथों को मेंहदी से सजाती हैं और दुल्हन के लिए नृत्य करती हैं।परिवार की बुजुर्ग
महिलाएं ढोलक या ढोल बजाते हुए पुराने लोक गीत गाती हैं। सांस्कृतिक रूप से, पुरुष को मेहंदी नहीं
लगाई जाती है।अधिक रूढ़िवादी समारोह में, महंदी की दावत का निमंत्रण केवल महिलाओं को दिया
जाता है। परंपरागत रूप से, दुल्हन अपने दूल्हे के आद्याक्षर को अपनी मेहंदी में कहीं छिपा देती है
ताकि वह बाद में उसे ढूंढ सके।
2. निकाह:निकाह समारोह अपेक्षाकृत छोटा और सरल होता है। निकाह आमतौर पर एक मस्जिद में होता
है, लेकिन यह कहीं भी हो सकता है जैसे होटल या घर में।दूल्हा और दुल्हन के अलावा, निकाह में
प्रमुख लोग जोड़े के माता-पिता, दोनों पक्षों के दो गवाह और इमाम, या आध्यात्मिक नेता (जो शादी को
अंजाम देते हैं) मौजूद होते हैं।
3. महर (Mahr): अरब विवाह की भांति ही महर दहेज अदायगी समारोह का आयोजन किया जाता है।
4. प्रतिज्ञा:दूल्हे द्वारा दहेज प्रस्तुत करने और दुल्हन द्वारा स्वीकार किए जाने के बाद, इमाम जोड़े को
प्रतिज्ञा सुनाने के लिए कहते हैं।दूल्हा और दुल्हन दोनों को तीन बार "कबूल है" कहना होता है,
जिसका अर्थ है "मैं स्वीकार करता हूं”। विवाह की शर्तों को तीन बार स्वीकार करना आवश्यक है
क्योंकि यह पूरी तरह से सुनिश्चित करता है कि दोनों पक्ष विवाह की प्रतिबद्धता से सहमत हों। एक
धार्मिक विवाह अनुबंध को इमाम द्वारा जोर से पढ़ा जाता है और दूल्हा और दुल्हन दोनों द्वारा
हस्ताक्षरित किया जाता है।
5. सूरह अल-फ़ातिहा: निकाह के दौरान इमाम द्वारा सूरह अल-फातिहा नामक पवित्र कुरान की एक छोटी
प्रार्थना का पाठ किया जाता है।
6. अर्सी मुशफ:एक बार जब महर पेश किया जाता है, तो प्रतिज्ञा की जाती है, और शादी के अनुबंध पर
हस्ताक्षर किए जाते हैं,इन सभी रिवाजों के बाद दंपति पहली बार पति और पत्नी के रूप में अपने
प्रतिबिंबों को दर्पण और पवित्र कुरान से देखते हैं। अर्सी का अर्थ है दर्पण और मुशफ का अर्थ है पवित्र
कुरान।
7. बारात: विवाह समारोह में बारात के माध्यम से दूल्हा भव्य रूप से प्रवेश करता है। प्रथागत रूप से,
वह एक भारी सजाए गए सफेद घोड़े पर आता है और उसके पहले उसके परिवार और दोस्त जोर से
फिल्मी या भांगड़ा संगीत पर नाचते हैं। अधिक आधुनिक या पश्चिमी शादियों में, दूल्हा घोड़े के बजाय
एक विलासिता गाड़ी से आ सकता है।
8. शादी: शादी आमतौर पर उसी दिन होती है जिस दिन निकाह होता है। यह दुल्हन के परिवार द्वारा
मनाया जाने वाला मुख्य विवाह उत्सव है।
9. जूता छुपाई: दक्षिण एशियाई मुस्लिम शादियों में युवा मेहमानों की एक मजेदार परंपरा, इसमें दुल्हन
की बहनें दूल्हे के जूते को ऐसी जगह छिपा देती हैं, और दूल्हे से जूता वापस देने के लिए नकद
भुगतान की मांग करती हैं।
10. वलीमा: वलीमा दिन भर चलने वाले विवाह समारोह का स्वागत और अंतिम कार्यक्रम है। यह शादी के
समान है लेकिन इस बार दूल्हे का परिवार शादी का आयोजन करता है।
11. रुखसती: रुखसती पूरे शादी समारोह का समापन करती है जहां मेहमान नवविवाहित जोड़े को विदाई
देने के लिए इकट्ठा होते हैं।
वहीं परंपरागत भारतीय मुस्लिम विवाह में मंगनी, हल्दी समारोह, महंदी, संचाक, निकाह, अर्सी
मुशफ, रुखसती, वलीमा की परंपराओं को निभाया जाता है।कुल मिलाकर, मुस्लिम शादियां रंगीन,
आकर्षक और सुरुचिपूर्ण होती हैं। यद्यपि स्थानीय परंपराओं के आधार पर, देश के विभिन्न हिस्सों
में अलग-अलग विषयों का पालन किया जाता है, मूल अनुष्ठान और रीति-रिवाज समान रहते हैं।
संदर्भ :-
https://bit.ly/3JuOO9G
https://bit.ly/32Kjm6u
https://bit.ly/3sKkXnO
https://bit.ly/3pBa1Xy
चित्र संदर्भ
1. ट्यूनीशिया में शादी समारोह के दौरान पहनें सगाई की अंगूठी को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
2.Takfout, एक विशेष प्राचीन मेंहदी परंपरा, Tafilate (Tilwine) के क्षेत्र में शादी समारोहों के दौरान की जाती है जिसको दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3.(Zaffe): ज़ाफ़ नवविवाहित जोड़े का उनके स्वागत समारोह में भव्य प्रवेश होता है। इसमें आमतौर पर दुल्हन के पिता दुल्हन के साथ स्वागत समारोह में प्रवेश करते हैं। जिसको दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. एक हाथ से बंधे गुलाब का गुलदस्ता, उसके हाथों पर मेंहदी लगे हुए एक अरब दुल्हन को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
5. हाथों पर मेंहदी लगे हुए दुल्हन को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
6. 1977 में इंडोनेशिया के पश्चिम जावा में एक मस्जिद के अंदर आयोजित एक सुंडानी शादी समारोह को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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