ऊर्जा आपूर्ति के एक ही विकल्प पर निर्भर होने से देश व्यापक बिजली संकट के मुहाने पर खड़ा है

नगरीकरण- शहर व शक्ति
11-10-2021 02:25 PM
Post Viewership from Post Date to 10- Nov-2021 (30th Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2842 129 2971
ऊर्जा आपूर्ति के एक ही विकल्प पर निर्भर होने से देश व्यापक बिजली संकट के मुहाने पर खड़ा है

आज के आधुनिक समय में बिजली की प्रासंगिकता किसी से छुपी नहीं है। भले ही "बिजली" शब्द सुनते ही हमारे दिमाग में जगमग करते बल्बों का चित्र उभरता हो, लेकिन हमारे घरों में हमारे छोटे से मोबाइल फ़ोन से लेकर, उस मोबाइल फ़ोन का निर्माण करने वाली बड़ी-बड़ी कंपनी तक सभी को भारी मात्रा में बिजली की आवश्यकता पड़ती है। किंतु बिजली की इतनी भारी मांग होने के बावजूद, सवा सौ करोड़ आबादी वाले देश की लगभग एक चौथाई बिजली का भार केवल कोयले नामक एक स्तंभ पर टिका है, और ऊर्जा आपूर्ति के केवल एक ही विकल्प पर निर्भर होने के कारण शीघ्र ही देश को व्यापक बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है।
आपको यह जानकार हैरानी हो सकती है की, आज 21वीं सदी में भी हमारे देश की 70% प्रतिशत बिजली की आपूर्ति कोयले पर निर्भर है। किंतु जैसा की तय था आज भारत गंभीर बिजली संकट के मुहाने पर खड़ा है। देश के 135 कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों (power plants) में कोयले के स्टॉक गंभीर रूप से कम अथवा पूरी तरह ख़त्म हो चुके हैं!
दरअसल कोरोना महामारी की घातक लहरों के बाद, जैसे ही देश की अर्थव्यवस्था ने रफ़्तार पकड़ी, वैसे ही बिजली की मांग में भी अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई। 2019 से तुलना करें तो इस वर्ष बिजली की खपत में लगभग 17% की वृद्धि दर्ज की गई है। साथ ही वैश्विक स्तर पर कोयले की कीमतों में भी 40% की बढ़ोतरी हुई है। जिस कारण भारत ने इसके आयात में भी कमी कर दी है! हालांकि भारत दुनियां का चौथा सबसे बड़ा कोयला उद्पादक देश है, किंतु इसके बावजूद हम दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कोयला आयातक देश भी हैं। हमारे बिजली संयंत्र बड़े स्तर पर आयात किये गए कोयले पर निर्भर रहते हैं, अतः कोयले के अभाव में घरेलू बिजली की आपूर्ति पर भी भारी दबाव बढ़ रहा है। साथ ही देश के अन्य प्रमुख संयंत्रों में कोयले की आपूर्ति बेहद निचले स्तर पर हैं। सरकारी दिशा निर्देशों के आधार पर प्रत्येक बिजली संयंत्र में कम से कम 2 सप्ताह की आपूर्ति होनी चाहिए, किंतु आज अधिकांश बिजली स्टेशनों में कोयला लगभग ख़त्म होने को है। जानकारों का मानना है की कोयला महंगा होने के कारण इस समय अधिक मात्रा में आयात करना एक बेहतर विकल्प नहीं होगा। यद्यपि देश ने पहले भी कोयले की बड़ी कीमतों को झेला है, किन्तु इस बार इसकी कीमत और बिजली की आपूर्ति अभूतपूर्व रूप से बड़ी हैं। विशेषज्ञ मानते हैं की, यदि कोयला संकट जारी रहता है, तो कोयले की कीमत बढ़ने से सीधे तौर पर बिजली की लागत में भी वृद्धि देखी जाएगी और निश्चित तौर पर यह लागत बिजली उपभोक्ताओं की जेबों से ही वसूल होगी। बिजली को हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी माना जा सकता है, ऐसे में कोयले की कमी से उत्पन्न बिजली संकट से घरेलु जरूरतों के साथ ही विनिर्माण क्षेत्र जैसे सीमेंट, स्टील निर्माण क्षेत्र सभी प्रभावित हो सकते हैं। पहले से कोयले की बड़ी कीमतों के कारण आज कई मिलें ई-नीलामी और खदानों से कोयले की खरीद के लिए सामान्य लागत से चार गुना अधिक भुगतान कर रही हैं। “एल्यूमीनियम उत्पादकों को भी अपने कैप्टिव बिजली संयंत्रों के लिए कोयले की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पहले से कई बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है! ऐसे में मिलों के मालिक और उद्पादक मान रहे हैं की, मॉनसून सीजन खत्म होने और उत्पादन बढ़ाने के कोल इंडिया के प्रयासों से बिजली आपूर्ति में सुधार होना चाहिए।
भारत का 80 प्रतिशत से अधिक कोयला उत्पादन राज्य के स्वामित्व वाली कोल इंडिया द्वारा किया जाता है, साथ ही घरेलू कोयले की कीमतें भी काफी हद तक इनके द्वारा ही तय की जाती हैं। हालांकि कंपनी ने घरेलु कीमतों को वैश्विक कीमतें बढ़ने के बावजूद अभी तक स्थिर रखा है। देश में भारी संकट ने निपटने के लिए सरकार ने निजी खदानों से कोयले की 50 प्रतिशत बिक्री की अनुमति देने के लिए नियमों में संशोधन किया। यह संसोधन करके सरकार ने कैप्टिव कोयले और लिग्नाइट ब्लॉकों (captive coal and lignite blocks) की खनन क्षमताओं का अधिक उपयोग करके बाजार में अतिरिक्त कोयला पहुंचाने के लिए मार्ग प्रशस्त किया है। इस अतिरिक्त कोयले की उपलब्धता से बिजली संयंत्रों पर दबाव कम होगा, और कोयले के आयात- प्रतिस्थापन में भी मदद मिलेगी। हमारे जौनपुर जैसे सदा जगमगाते शहरों में इस भारी-भरकम बिजली संकट से निपटने के लिए हम सभी सौर ऊर्जा की और रुख कर सकते हैं, यह घरेलु स्तर पर बिजली आपूर्ति का सबसे बेहतर माध्यम साबित हो सकता है, साथ ही इससे कोयले की तुलना में पर्यावरण पर भी बेहद कम अथवा शून्य दबाव पड़ेगा।

संदर्भ

https://bit.ly/3v938Ot
https://bit.ly/3Fu2boy
https://www.bbc.com/news/business-58824804

चित्र संदर्भ
1. बिजली संयंत्रों की स्थिति को दर्शाता एक चित्रण (moneycontro)
2. कोयला खदान मजदूरों को संदर्भित करता एक चित्रण (cms.qz)
3. भारत में कोयले की मांग, उत्पादन और आयात की स्थिति दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.