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वर्तमान समय में फोटोग्राफी हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गयी है।जैसे-जैसे इसकी
उपयोगिता बढ़ रही है, वैसे-वैसे इसके विविध रूप भी हमारे सामने आ रहे हैं।फोटोग्राफी का एक
अन्य रूप फोरेंसिक फोटोग्राफी (Forensic photography) भी है, जिसे क्राइम सीन (Crime
scene) फोटोग्राफी भी कहा जाता है।फोरेंसिक फोटोग्राफी, एक ऐसी गतिविधि है जो अपराध
दृश्य और भौतिक साक्ष्य की प्रारंभिक उपस्थिति को रिकॉर्ड करती है,ताकि अदालतों के लिए एक
स्थायी रिकॉर्ड प्रदान किया जा सके। फोरेंसिक फोटोग्राफी अन्य प्रकार की फ़ोटोग्राफ़ी से भिन्न
होती है। ऐसा इसलिए है,क्यों कि क्राइम सीन फ़ोटोग्राफ़रों का आमतौर पर प्रत्येक छवि को
कैप्चर करने का एक बहुत ही विशिष्ट उद्देश्य होता है।
आधुनिक फोरेंसिक ओडोन्टोलॉजिकल प्रोटोकॉल (Forensic odontological protocol) में
फोरेंसिक फोटोग्राफी एक अनिवार्य उपकरण है।यह जांच प्रक्रियाओं,अभिलेखीय डेटा के रखरखाव
आदि में सहायता करती है। साथ ही यह ऐसा सबूत प्रदान करती है, जो अदालत के लिए बहुत
उपयोगी हो सकता है।उचित फोटोग्राफी और कंप्यूटर उपकरण का उचित चयन और कार्यान्वयन,
आवश्यक प्रशिक्षण और सही वर्कफ़्लो पैटर्न (Work Flow Pattern) के साथ मिलकर फोटोग्राफी
को फोरेंसिक के क्षेत्र में शामिल करता है।
फोरेंसिक फोटोग्राफर की भूमिका महत्वपूर्ण है, क्योंकि साक्ष्य के उचित दस्तावेजीकरण के लिए
यांत्रिकी और तकनीकों के अच्छे ज्ञान के साथ फोटोग्राफी में एक अच्छा कौशल शामिल होना
आवश्यक है।किसी भी क्राइम सीन को सुलझाने के मामलों में फोटोग्राफी सबसे महत्वपूर्ण कारकों
में से एक है। पूरे विश्व में 21वीं सदी में, सभी संबंधित फोरेंसिक विज्ञान अधिकारियों ने अपराध
स्थल की तस्वीरें लेने के लिए उच्च-रिज़ॉल्यूशन कैमरा (High Resolution Cameras), लेंस
(Lens) और आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल किया है ताकि अपराध की उचित जांच की जा
सके। क्राइम सीन, भौतिक साक्ष्य के प्रमुख स्रोत हो सकते हैं जिनका उपयोग अपराध के समय
मौजूद लोगों, पीड़ितों आदि की पहचान करने के लिए किया जा सकता है।फोरेंसिक ओडोन्टोलॉजी
में फोटोग्राफी का मुख्य महत्व यह है कि यह किफायती है तथा इसके माध्यम से तीव्र गति से
साक्ष्य प्राप्त किए जा सकते हैं।
माना जाता है, कि फोरेंसिक फोटोग्राफी 1851 में बेल्जियम (Belgium) में शुरू की गई
थी।1870 के दशक तक आते-आते यह एक उन्नत तकनीक बन गई।तब से नई तकनीकों के
विकास ने इसके उपयोग को और भी अधिक बढ़ा दिया है।फोटोग्राफी किसी वस्तु की स्थिति
और स्थान और उस वस्तु का अन्य वस्तुओं के साथ जो संबंध है, उसका आकलन करने के
लिए उपयोगी है।अपराध स्थल की तस्वीरें कई मामलों के लिए वांछित स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने
में सक्षम होती हैं।अपराध स्थल की उचित तस्वीरें प्राप्त करने के लिए फोरेंसिक फोटोग्राफर को
कुछ नियमों का पालन करना होता है। जैसे अपराध होने के बाद स्थल के दृश्यों को वैसे ही
सुरक्षित किया जाना चाहिए जैसे कि वे हैं। यदि दृश्य में किसी प्रकार का भी कोई पुनर्स्थापन
होता है, तो वह गलत साक्ष्य के रूप में कार्य करेगा। फोटो खींचते समय प्रकाश और मौसम
जैसी स्थितियों का मूल्यांकन किया जाना चाहिए, और कैमरा सेटिंग्स को उसी के अनुरूप
समायोजित किया जाना चाहिए। अपराध स्थल का दृश्य खींचते समय फोटोग्राफर को वाइड-एंगल
शॉट्स का उपयोग करके पूरे दृश्य को कैप्चर करना चाहिए और उसके बाद क्लोज अप शॉट्स
का उपयोग करके पूरे दृश्य की कल्पना करनी चाहिए ताकि साक्ष्य का समग्र दृश्य से संबंध
दिखाया जा सके।पीड़ितों की तस्वीरें लेते समय स्थान, चोटों और पीड़ितों की स्थिति पर प्रकाश
डाला जाना चाहिए।एक फोटोग्राफर को सबूत मार्करों के साथ और सबूत मार्करों के बिना दृश्य
को कैप्चर करना चाहिए।
फोटो खींचते समय फोटोग्राफर को विशेष इमेजिंग तकनीकों का
उपयोग करना चाहिए।उंगलियों,पैरों आदि भागों पर मौजूद निशानों का पता लगाने के लिए
वैकल्पिक प्रकाश स्रोतों जैसे कि लेजर, नीली या हरी रोशनी और रंगीन फिल्टर का उपयोग
किया जाना चाहिए। सभी फोरेंसिक फोटोग्राफी को अपराध स्थल पर तीन तत्वों पर विचार करना
जरूरी है। इन तीन तत्वों में विषय, पैमाना और संदर्भ वस्तु शामिल हैं।न केवल फोटोग्राफी में,
बल्कि फोरेंसिक विज्ञान और अपराध स्थल की जांच में भी अपराध दृश्य फोटोग्राफरों को अपना
काम करने के लिए बहुत विशिष्ट ज्ञान और कौशल होना चाहिए।
फोरेंसिक फोटोग्राफर बनने के लिए आपको बुनियादी और उन्नत फोटोग्राफिक सिद्धांतों और
प्रक्रियाओं की जानकारी होनी चाहिए।फोरेंसिक फोटोग्राफर बनने के लिए आपको सबसे पहले
सामान्य फोटोग्राफी और फोरेंसिक फोटोग्राफी की कक्षाएं लेनी होंगी तथा अपराधिक न्याय में
स्नातक की डिग्री अर्जित करनी होगी। इसके बाद आपको पेशेवर प्रमाणीकरण प्राप्त करना
होगा।पेशेवर प्रमाणीकरण प्राप्त करने के बाद इस क्षेत्र में आपको इंटर्नशिप भी करनी
होगी।फोरेंसिक फोटोग्राफी की विशेषताएं हमारी भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली के लिए बहुत
उपयोगी हैं।फोरेंसिक फोटोग्राफी या अपराध स्थल फोटोग्राफी एक निष्पक्ष और सटीक सबूत
प्रदान करती है जिसका उपयोग अपराध स्थल पर फोरेंसिक जांच के दौरान सभी रिपोर्टों का
दस्तावेजीकरण करने के लिए किया जाता है।
यह आपराधिक जांच प्रक्रियाओं का एक अभिन्न
अंग है और कानूनी साक्ष्य का एक तत्व है।फोटोग्राफर को सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त करने के लिए
सर्वोत्तम फोटोग्राफिक तकनीकों का उपयोग करने में सक्षम होना चाहिए और पुलिस प्रक्रिया के
साथ-साथ कानूनी प्रणाली की अच्छी समझ से अच्छी तरह परिचित होना चाहिए।डिजिटल
फोटोग्राफी की अंतर्निहित क्षमता इसे अत्यधिक फायदेमंद बनाती है।कभी-कभी, कानूनी साक्ष्य
एकत्र करने का एकमात्र तरीका फोरेंसिक तस्वीरें ही हो सकती हैं, इसलिए आपराधिक न्याय
प्रणाली में फोरेंसिक फोटोग्राफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3A5TCfP
https://bit.ly/3oCI4yn
https://bit.ly/3Bbzlqd
https://bit.ly/3aawrq5
https://indeedhi.re/3DgkKuC
चित्र संदर्भ
1. फोरेंसिक फोटोग्राफी को संदर्भित करता एक चित्रण (123rf)
2. अपराध स्थल पर छोड़े गए जूते के निशानो का एक चित्रण (wikimedia)
3. अपराध स्थल की तस्वीरें खींचते फोरेंसिक फोटोग्राफर का एक चित्रण (istock)
4. मृतक की तस्वीरें खींचते फोरेंसिक फोटोग्राफर का एक चित्रण (istock)
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