समयसीमा 237
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 948
मानव व उसके आविष्कार 726
भूगोल 236
जीव - जन्तु 275
दुनिया की कुल आबादी का दो तिहाई हिस्सा सिर्फ एशिया के देशों में बसता है। इनमें चीन
(China), भारत, पाकिस्तान (Pakistan), बांग्लादेश (Bangladesh) और श्रीलंका (Sri
Lanka) से लेकर अन्य कई देश शामिल हैं। पॉल और ऐनी एर्लिच (Paul and Anne
Ehrlich) ने 1968 में जबसे द पॉपुलेशन बॉम्ब (The Population Bomb) लिखा, तबसे
जनसंख्या विस्फोट का विचार कुछ ऐसा रहा है जिससे कई नीति-निर्माता बढ़ती जन संख्या
को देख डर रहे हैं। कई बार देखा भी गया है की जनसंख्या विस्तार की भविष्यवाणी ने
नीतिनिर्माताओ को सोचने पर मजबूर कर दिया है की यदि इसी तरह से जनसंख्या बढ़ती
गई तो भविष्य में आने वाली कई समस्याओं का सामना कैसे करेंगे?
कई विशेषज्ञों ने कहा है कि नीतिनिर्माताओं का अधिक जनसंख्या का डर मुख्य रूप से
गरीबी और उससे जुड़े संकेतों जैसे की भीड़ और गंदगी को लेकर है। बढ़ती आबादी की
धारणा हमारे समाज में गहराई से समाई हुई है और दंपतियों को अधिक बच्चे पैदा करने से
रोकने का विचार नीतिगत समाधान के रूप में सामने आता रहता है। यदि सभी जोड़ों के दो
या उससे कम बच्चे हैं, तो यह तर्कसंगत लगता है कि जनसंख्या बढ़ना बंद हो जाएगी।
देश में जहां शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, आवास, रोज़गार पर बढ़ते दबाव को देखते हुए दो बच्चों
की नीति लागू करने की मांग की जा रही है, वहीं उत्तर प्रदेश सरकार ने इस ओर एक कदम
बढ़ाया है।
विश्व जनसंख्या दिवस (World Population Day 2021) के अवसर पर योगी
आदित्यनाथ ने कहा है कि “बढ़ती हुई जनसंख्या समाज में व्याप्त असमानता समेत प्रमुख
समस्याओं का मूल है। समुन्नत समाज की स्थापना के लिए जनसंख्या नियंत्रण प्राथमिक
शर्त है।”यूपी जनसंख्या नियंत्रण, स्थिरीकरण और कल्याण विधेयक 2021( UP Population
(Control, Stabilisation and Welfare) Bill 2021) नीति मसौदा विधेयक 11 जुलाई
2021 को प्रस्तावित किया गया था।
मसौदे पर 19 जुलाई तक सुझाव एवं आपत्तियां मांगी गई थीं। यह नीति 19 जुलाई 2021
को तैयार की गई। सुझाव एवं आपत्तियों के समय कुछ 8,500 ईमेल (Email) प्रतिक्रियाएंआ
ई थी, इन सुझावों पर मंथन के बाद मसौदे को अंतिम रूप दिया गया। अधिकांश प्रतिक्रियाएं
इसके पक्ष में थीं, कुछ सुझावों को देखने के बाद इन्हें संशोधित कर मसौदे में शामिल किया
गया। यह एक ऐसा विधेयक है जो 20.42 करोड़ लोगों के जीवन को प्रभावित कर सकता है।
उत्तर प्रदेश की जनसंख्या को 10 दिन की परामर्श अवधि दी गई थी।
यह नीति केवल विवाहित जोड़ों पर लागू होगी। प्रस्तावित कानून का समग्र उद्देश्य दो बच्चों
के मानदंड को बढ़ावा देकर राज्य के लोगों का कल्याण करना है। यदि विधेयक पारित हो
जाता है, तो उत्तर प्रदेश ऐसी नीतियों पर कार्य करने वाला अकेला नहीं होगा। लेकिन कानूनी
साधन की लोगों के निजी जीवन में अबतक की सबसे व्यापक पहुंच होगी। असम ने हाल ही
में इसी तरह की नीति शुरू की है, मुख्य मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa
Sarma) ने कहा है कि यह नीति असम में अल्पसंख्यक समुदाय के विकास में मदद करने
के लिए है।
सभी जन संख्या नियंत्रण कानूनों की तरह ही यूपी मसौदा विधेयक, एक महान उद्देश्य के
साथ शुरू होता है। प्रस्तावित विधेयक में लोगों को दो से अधिक बच्चें न पैदा करने के लिए
प्रोत्साहित करने की योजना है। यह विधेयक 21 वर्ष से अधिक उम्र के युवकों और 18 वर्ष
से अधिक उम्र की युवतियों पर लागू होगा। इसमें दो से अधिक बच्चे होने पर सरकारी
नौकरियों में आवेदन से लेकर स्थानीय निकायों में चुनाव लड़ने पर रोक लगाने का प्रस्ताव
है। दो ही बच्चों तक सीमित होने पर जो अभिभावक सरकारी नौकरी में हैं, उन्हें इंक्रीमेंट
(increment), प्रमोशन(promotion) सहित कई सुविधाएं दी जाएंगी। नियम टूटने पर
सरकारी कर्मियों की प्रोन्नति रोकने व बर्खास्तगी का भी प्रस्ताव इसमें है। परिवार दो ही
बच्चों तक सीमित करने वाले जो अभिभावक सरकारी नौकरी में हैं और स्वैच्छिक नसबंदी
करवाते हैं तो उन्हें दो अतिरिक्त इंक्रीमेंट, प्रमोशन, सरकारी आवासीय योजनाओं में छूट,
पीएफ(PF) में एम्प्लायर कॉन्ट्रिब्यूशन (Employer Contribution) बढ़ाने जैसी कई सुविधाएं
दी जाएंगी। दो बच्चों वाले ऐसे दंपती जो सरकारी नौकरी में नहीं हैं, उन्हें भी पानी, बिजली,
हाउस टैक्स, होम लोन में छूट व अन्य सुविधाएं देने का प्रस्ताव है।
इसी तरह दो से ज्यादा बच्चों के माता-पिता को कई तरह की सुविधाओं से वंचित करने का
प्रस्ताव रखा गया है। इसमें उन्हें स्थानीय निकायों का चुनाव लड़ने से रोकने, सरकार से
मिलने वाली सब्सिडी बंद किए जाने, सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करने पर रोक
लगाने तथा सरकारी नौकरी कर रहे लोगों को प्रोन्नति से वंचित करने का प्रस्ताव रखा गया
है।
दिलचस्प बात यह है कि इस विधेयक की हर तरफ से आलोचना हुई है – जिसमें हिंदू दक्षिण
पंथ भी शामिल है, जिसका मानना है कि उन्हें दुनिया में हिंदूओ को ज़्यादा से ज़्यादा
बसाने की जरूरत है! प्रगतिशील वामपंथ, जिसने विस्तार से बताया है कि कैसे विधेयक
स्वाभाविक रूप से जन विरोधी है। कुछ आलोचकों का कहना है कि हम इस विचार पर
कायम नहीं रह सकते कि जनसंख्या विकास में बाधक है, इसके बजाय, हमें इस बात पर
ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है कि उत्तर प्रदेश इतनी बड़ी आबादी की विविधता से
विकास कैसे लाभान्वित हो सकता है। इसे रोकने के लिए किसी कानूनी डंडे की नहीं, बल्कि
यहां फैली गरीबी और निरक्षरता से मिटाने की जरुरत है, ताकि लोग खुद ही इतने जागरुक
हो जाएं कि वे कम बच्चे पैदा करें। वहीं कुछ आलोचकों का यह भी कहना है कि यह तर्क
भी गलत है कि जनसंख्या को नियंत्रित करने से प्राकृतिक संसाधनों का आधार बढ़ेगा,
जबकि खपत पैटर्न की समीक्षा करना अधिक महत्वपूर्ण है। यूपी एक युवा राज्य है - इसकी
एक तिहाई आबादी युवाओं की है कानून संभावित रूप से इन युवाओं को सरकारी नौकरियों,
योजनाओं और सब्सिडी से बाहर करने का प्रस्ताव करता है,प्रस्तावित कानून न केवल
अनावश्यक और हानिकारक है बल्कि संभावित रूप से राजनीतिक और जनसांख्यिकीय आपदा
का कारण बन सकता है।
वहीं दूसरी तरफ जनसंख्या नियंत्रण के पक्ष में खड़े हुए लोगों का कहना है कि जनसंख्या
नियंत्रण की दिशा में यह एक सराहनीय विचार है। जिस प्रकार से जनसंख्या का स्तर दिन
प्रति दिन बढ़ता जा रहा है, हमारे लिए रोजगार और संसाधनों की समस्या भी बढ़ती जा रही
है। सीमित संसाधनों और देश की आर्थिक स्थिति को देखते हुए जनसंख्या को नियंत्रित
करना बहुत ही आवश्यक हो चुका है। यदि समय रहते हम इस जनसंख्या की समस्या का
समाधान नहीं निकाल पाएं तो हमें आज से भी भयावह स्थिति का सामना करना पड़ सकता
है।
उत्तर प्रदेश राज्य सरकार द्वारा लाए जाने वाले इस अधिनियम से शायद हमें इस समस्या से
निपटने के लिए कुछ मदद मिल सकती है। जनसंख्या नियंत्रण विधेयक के आ जाने से
जनसंख्या की वृद्धि पर लगाम लगेगा। इस विधेयक के सफल होने से रोजगार में बढ़ोतरी
होगी, जो कि आज के युवाओं के लिए सबसे बड़ी समस्या है। जनसंख्या नियंत्रित होने पर
हमारे पास उचित संसाधन की उपलब्धता रहेगी जिससे हमारे देश के विकास में मदद
मिलेगी। एक अच्छे समाज का निर्माण करने के लिए आबादी का कम होना और शिक्षित
होना बहुत जरूरी है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3zwPIfE
https://bit.ly/3ztavk5
चित्र संदर्भ
1. बाजार में भारी भीड़ को दर्शाता एक चित्रण (thestatesman)
2. भारत में उत्तर प्रदेश के स्थान को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. उत्तर प्रदेश के मण्डलों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. 2011 में उत्तर प्रदेश में धर्म को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.