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पेड़ हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, क्यों कि इनकी मदद से हमें अपने दैनिक जीवन
में काम आने वाली विभिन्न वस्तुएं जैसे फल, फूल,लकड़ी आदि प्राप्त होते हैं।अधिकतर लोग
अक्सर लकड़ी से बनी चीजों की अत्यधिक तारीफ करते हैं या उन्हें उपयोग करना पसंद करते
हैं। चाहे वह फर्नीचर हो, लिविंग रूम के लिए सजावटका सामान हो, या खूबसूरत घर के लिए
फर्श और छत हो, जब भी इन सभी कार्यों के लिए आप लकड़ी का उपयोग करने का विकल्प
चुनते हैं, तब यह विकल्प हमेशा उचित साबित होता है।ऐसा इसलिए है, क्यों कि इसके परिणाम
बहुत अच्छे प्राप्त होते हैं। इसलिए यह शैली हर मौसम में हमेशा चलन में होती है। लेकिन क्या
आपने कभी यह सोचा कि लकड़ी से बनी कुछ चीजें काफी महंगी हैं,जबकि कुछ चीजें सस्ती? तो
चलिए आज जानते हैं, कि आखिर ऐसा क्यों है तथा दुनिया की सबसे महंगी लकड़ी कौन सी है।
इसी संदर्भ में भारत में चंदन की लकड़ी और इसकी खेती के बारे में भी जानने का प्रयास करते
हैं।
लकड़ियां विभिन्न प्रकार की होती हैं, तथा लकड़ी का मूल्य कई कारकों पर निर्भर करता है। एक
लकड़ी की कीमत उसके स्थायित्व और प्रतिरोध पर निर्भर करती है। साथ ही लकड़ी का उपयोग
करना कितना जटिल है, यह भी एक महत्वपूर्ण कारक है।
इसके अलावा सबसे खास बात यह है,
कि उपयोग की जाने वाली लकड़ी कितनी दुर्लभ है। पेड़ जितना अधिक असामान्य होगा, उसकी
लकड़ी की कीमत उतनी ही अधिक होगी। दुनिया की सबसे महंगी लकड़ी डलबर्जिया
मेलेनोजाइलोन (Dalbergia melanoxylon) है, जिसे अफ्रीकी ब्लैकवुड (African blackwood),
ग्रेनाडिला (Grenadilla), या मैपिंगो (Mpingo)नाम से भी जाना जाता है। यह फैबेसी
(Fabaceae) परिवार का एक फूल वाला पौधा है। यह एक छोटा पेड़ है, जो 4 -15 मीटर तक
बढ़ सकता है। इसकी छाल भूरे रंग की तथा टहनियां काँटेदार होती हैं।इसकी घनी, चमकदार
लकड़ी का रंग लाल से लेकर शुद्ध काले रंग का होता है तथा इसकी लकड़ी को आसानी से
काटा जा सकता है।अच्छी फिनिशिंग के साथ इसकी लकड़ी को किसी भी आकार में ढाला जा
सकता है। इसके घनत्व,आयामी स्थिरता और नमी विकर्षक गुणों के कारण इसकी लकड़ी को
बहुत अधिक पसंद किया जाता है। संगीत वाद्ययंत्रों और बढ़िया फर्नीचर के निर्माण के लिए भी
इस पेड़ की लकड़ी को अत्यधिक पसंद किया जाता है।
भारत की यदि बात करें, तो यहां की सबसे महंगी लकड़ी में से एक चंदन की लकड़ी है।चंदन का
पेड़ जीनस सेंतलम (Santalum) से सम्बंधित है।इसकी लकड़ी भारी, पीली और महीन दाने वाली
होती है, और कई अन्य सुगंधित लकड़ियों के विपरीत, दशकों तक अपनी खुशबू बरकरार रखती
है। चंदन की लकड़ी से सुगंधित तेल निकाला जाता है, जिसका उपयोग विभिन्न कार्यों में किया
जाता है। अपने बहुमुखी गुणों के कारण चंदन को अक्सर दुनिया की सबसे महंगी लकड़ियों में
से एक के रूप में जाना जाता है। भारत में चंदन की लकड़ी से निकाले गए तेल का उपयोग
व्यापक रूप से कॉस्मेटिक उद्योग में किया जाता है।इसका प्रयोग विभिन्न सुगंधों के लिए
फिक्सेटिव (Fixative) के रूप में किया जाता है।चंदन के पेड़ का व्यावसायिक रूप से लाभ उठाने
के लिए उसके पेड़ों की आयु न्यूनतम 15 वर्ष होनी चाहिए। इससे प्राप्त होने वाले तेल की उपज
पेड़ की आयु और किस स्थान पर यह उग रहा है, इस आधार पर भिन्न होती है।आमतौर पर
जो पेड़ पुराने होते हैं, उनकी तेल सामग्री और गुणवत्ता उच्चतम होती है।
चंदन के पेड़ से अधिक
लाभ प्राप्त करने के लिए इसकी लकड़ी को जमीनी स्तर से लेकर ऊपर तक पूरा काटा जाता है।
इस प्रकार इसके निचले भाग, जिसमें तेल का स्तर अधिक होता है, को संसाधित किया जा
सकता है, और बेचा जा सकता है। हिंदू आयुर्वेद में भी चंदन को बहुत पवित्र माना जाता है।
इसकी लकड़ी का उपयोग भगवान शिव की पूजा के लिए किया जाता है, और ऐसा माना जाता
है कि देवी लक्ष्मी चंदन के पेड़ में रहती हैं। इस पेड़ की लकड़ी को पाउडर में परिवर्तित करके
उसका पेस्ट बनाया जाता है तथा इस पेस्ट को विभिन्न अनुष्ठानों और समारोहों में इस्तेमाल
किया जाता है।
एक समय में भारत दुनिया में चंदन की उपज के लिए सबसे बड़ा उत्पादक हुआ करता था,
लेकिन वर्तमान समय में ऑस्ट्रेलिया (Australia) ने इस मामले में भारत को पीछे छोड़ दिया
है।भारत में इसके उत्पादन में गिरावट का मुख्य कारण आंशिक रूप से चंदन का अत्यधिक
दोहन है। सन् 2000 तक, चंदन की लकड़ी काफी हद तक कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल के
जंगलों और इन राज्य सरकारों द्वारा इनके वृक्षारोपण तक ही सीमित थी। चंदन के पेड़ों के
संरक्षण के लिए सरकार द्वारा इन्हें निजी रूप से उगाने और काटने पर प्रतिबन्ध लगाया गया
था किंतु इस कदम ने चंदन की लकड़ी की अवैध तस्करी को बढ़ावा दिया।यह देखते हुए
प्रतिबंधों को कम कर दिया गया है, तथा लोग निजी रूप से चंदन के पेड़ उगा सकते हैं और
काट सकते हैं।
हालांकि कई स्थानों पर इसे काटने के लिए सम्बंधित वन विभाग से अनुमति
लेनी होती है। कुछ क्षेत्रों में इसे उगाने और काटने के लिए ट्रांजिट पास (Transit pass) की
आवश्यकता होती है। इसके अलावा इसका अवैध उपयोग अभी भी प्रतिबंधित है। कर्नाटक और
तमिलनाडु में क्रमशः 2001 और 2002 में एक नीति परिवर्तन ने लोगों को चंदन उगाने की
अनुमति दी तथा इससे दूसरे राज्यों को भी प्रेरणा प्राप्त हुई। इस मूल्यवान लकड़ी पर अब
कर्नाटक और तमिलनाडु का एकाधिकार समाप्त हो गया है, और अन्य राज्य भी इसकी खेती
करने के इच्छुक हैं। हाल के वर्षों में, कर्नाटक सरकार ने चंदन की खेती को प्रोत्साहित करने के
लिए और प्रावधानों का निर्माण किया है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3kiAy9x
https://bit.ly/3AleY9U
https://bit.ly/3hCsHBR
https://bit.ly/3Alf6WW
चित्र संदर्भ
1. अफ्रीकी ब्लैकवुड (ग्रेनाडिल) से बना शैफरपफीस (Shafferpuffis) का एक चित्रण (flickr)
2. दुनिया की सबसे महंगी लकड़ी डलबर्जिया मेलेनोजाइलोन (Dalbergia melanoxylon) का एक चित्रण (Piping Press)
3. चंदन की लकड़ी के चूर्ण का एक चित्रण (istockphoto)
4. चंदन का लेप तैयार करते पुजारी जी का एक चित्रण (flickr)
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