वर्तमान समय में अधिक वैश्विक हो गया है गणेश उत्सव

विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)
10-09-2021 11:57 AM
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वर्तमान समय में अधिक वैश्विक हो गया है गणेश उत्सव

गणेश चतुर्थी, भारत के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है, जो सभी जातियों, धर्मों, और पंथ के लोगों को एक साथ लाती है। यह 10 दिनों का त्योहार आमतौर पर हिंदू कैलेंडर के आधार पर अगस्त या सितंबर माह में मनाया जाता है। किंवदंतियों के अनुसार गणेश चतुर्थी को पुणे में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के रूप में मराठा साम्राज्य के संस्थापक शिवाजी (1630-1680) के समय से मनाया जा रहा था। हालाँकि, 1893 में, लोकमान्य तिलक ने लोगों को एक साथ लाने के लिए इस वार्षिक घरेलू उत्सव को एक बड़े, सुव्यवस्थित आयोजन में बदल दिया। यूं तो यह पर्व पूरे भारत में मनाया जाता है, लेकिन महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल और गोवा ऐसे राज्य हैं, जहां इस त्योहार का एक अलग ही नजारा देखने को मिलता है।चूंकि, वर्तमान समय में भारत के लोग दुनिया के हर कोने में मौजूद हैं, इसलिए यह त्योहार अब और भी अधिक अंतरराष्ट्रीय हो गया है।
भगवान गणेश की पूजा का मौसम एक बार फिर आ गया है तथा भारत के बड़े हिस्से अपने घरों में अपने प्यारे गणेश के आगमन का जश्न पूरे जोश के साथ मना रहे हैं। गणेश चतुर्थी भले ही भारत में बड़े पैमाने पर मनाई जाती है,लेकिन आज ऐसे अनेकों देश हैं, जहां यह उत्सव बड़े जोर-शोर के साथ मनाया जाता है।दुनिया के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले भारतीयों के साथ, यह त्योहार आज वैश्विक हो गया है। यूनाइटेड किंगडम(united kingdom), संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of america), कनाडा (Canada), मॉरीशस (Mauritius), थाईलैंड (Thailand), सिंगापुर (Singapore), कंबोडिया (Cambodia), बर्मा (Burma) और फिजी (Fiji) जैसे अन्य देश भी इस त्योहार को उत्साहके साथ मनाते हैं। कुछ देशों ने अब त्योहार के पहले दिन को सार्वजनिक अवकाश भी घोषित कर दिया है।
भगवान गणेश अक्सर उद्यमशीलता की भावना से जुड़े होते हैं और भारत के बाहर उनकी लोकप्रियता का प्रसार देश के पड़ोसियों के साथ वाणिज्यिक संपर्क के कारण हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप अन्य एशियाई (Asian) संस्कृतियों में हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म का प्रसार हुआ। दिलचस्प बात यह है, कि आज भगवान गणेश की मजबूत उपस्थिति भारत के बाहर भी महसूस की जा सकती है, विशेष रूप से भारत के पड़ोसी देशों जैसे तिब्बत (Tibet), चीन (China), जापान (Japan) और दक्षिण पूर्व एशिया के कई अन्य देशों में।
भारतीय और दक्षिण पूर्व एशियाई कला के प्रोफेसर, रॉबर्ट एल ब्राउन (Robert L Brown), भगवान गणेश पर किए गए अपने कार्य में कहते हैं कि दक्षिण पूर्व एशिया में गणेश के सबसे पुराने अभिलेख और चित्र 5 वीं और 6 वीं शताब्दी के हैं।कंबोडिया में, भगवान गणेश के अपने मंदिर थे और 7 वीं शताब्दी से भारत में गणेश चतुर्थी को व्यापक लोकप्रियता मिलने से पहले ही, यहां भगवान गणेश को प्राथमिक भगवान के रूप में पूजा जाता था। जहां गणेश की पूजा सीमाओं के पार फैली हुई थी, वहीं इसने विविध तरीकों से अपने स्वयं के रूप भी लिए, उदाहरण के लिए:
1. कंबोडिया में, भगवान गणेश को मानव सिर के साथ चित्रित किया जाता है।
2. वहीं दूसरी ओर, चीन में गणेश को एक नकारात्मक शक्ति के रूप में देखा जाता है, तथा अक्सर एक बाधा के रूप में चित्रित किया जाता है।
3. जापान में भगवान गणेश के प्रतिरूप को दो गणेशों के आलिंगन के साथ दिखाया गया है।ऐसा माना जाता है, कि भगवान गणेश का यह रूप जाहिर तौर पर 8वीं शताब्दी में चीन से जापान लाया गया था।जापान में गणपति को कांगितेन (Kangiten) के नाम से जाना जाता है, जो कि जापानी बौद्ध धर्म से जुड़े हुए हैं। जबकि कांगितेन के विविध चित्रण हैं, लेकिन सबसे लोकप्रिय एक दोहरे शरीर वाले कांगितेन का है, जिसे अक्सर 'एम्ब्रेसिंग कांगितेन' (Embracing Kangiten) के रूप में जाना जाता है। इसी प्रकार जापान में भगवान गणेश का चित्रण चार भुजाओं के साथ किया गया है, जिनके एक हाथ में मूली और दूसरे हाथ में मिठाई को दिखाया गया है।जापान में कांगितेन की पहली उपस्थिति 8वीं-9वीं शताब्दी की मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश के हिंदू रूप ने पहले चीन की यात्रा की और बाद में उन्हें बौद्ध धर्म में शामिल कर लिया गया। वहां से उन्होंने जापान के लिए अपना रास्ता बना लिया।माना जाता है कि बहुत सारी शक्ति से संपन्न होने के कारण, कांगितेन की पूजा आमतौर पर व्यापारियों, अभिनेताओं आदि के द्वारा की जाती है।
4. तिब्बत की बात करें तो तिब्बती बौद्ध धर्म में भगवान गणेश को भारतीय बौद्ध धर्म गुरु अतीसा दीपांकर श्रीजना और गयाधारा ने 11वीं शताब्दी ईस्वीं में पेश किया था। कहा जाता है कि अतीसा, जिन्हें तिब्बत में गणपति पंथ का संस्थापक भी माना जाता है, ने भारत में भगवान गणेश पर तांत्रिक आचार्यों द्वारा लिखे गए कई भारतीय ग्रंथों का अनुवाद भी किया। तिब्बतियों ने भगवान गणेश की पौराणिक कथाओं और पंथ को और भी आगे बढ़ाया। भगवान गणेश से जुड़े एक 17वीं शताब्दी के मिथक से उनके जन्म सिद्धांत का एक भिन्न संस्करण प्राप्त होता है। इस सिद्धांत के अनुसार भगवान शिव की दो पत्नियां हैं, उमा और गंगा। उमा द्वारा दिए गए श्राप के कारण गंगा का नवजात पुत्र अपना सिर खो देता है और बाद में उन्हें अपने बेटे के कटे हुए सिर को बदलने के लिए एक मृत शरीर के सिर का उपयोग करने की सलाह दी जाती है और इस प्रकार हाथी के सिर वाले गणेश का जन्म होता है।
5. थाईलैंड में भगवान गणेश को फिरा फिकानेट (PhiraPhikanet) कहा जाता है, तथा सफलता के देवता और सभी बाधाओं को दूर करने वाले के रूप में पूजा जाता है।
थाई बौद्ध एक नया व्यवसाय शुरू करते समय या शादी के अवसर पर भगवान गणेश की पूजा अवश्य करते हैं।कला और संस्कृति से जुड़े, गणेश थाईलैंड के ललित कला विभाग के लोगो या प्रतीक चिन्ह का एक हिस्सा हैं।पूरे थाईलैंड में भगवान गणेश की अनेकों मूर्तियाँ और मंदिर मौजूद हैं, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध बैंकॉक (Bangkok) के रत्चाप्रसोंग शॉपिंग (Ratchaprasong shopping) जिले में है। थाई बौद्ध उसी समय भगवान गणेश के जन्म का जश्न मनाते हैं जब भारत में गणेश चतुर्थी मनाई जाती है।
6. ब्रिटेन में हिंदुओं के अधिक प्रवास के साथ हिंदू त्योहार धीरे-धीरे यूरोप (Europe) के कुछ हिस्सों का हिस्सा बन गए हैं। यहां कई जगह इस त्योहार को भारत में मुंबई की तरह ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। विश्व हिंदू मंदिर ने 2005 में इस त्योहार की शुरुआत की थी। आज हाउंस्लो (Hounslow) के निवासी इस त्यौहार को पर्यावरण के अनुकूल गणेश मूर्ति के साथ मनाते हैं।
7. मॉरीशस में 52 प्रतिशत से अधिक आबादी हिंदू समुदाय बनाती है, जिसके परिणामस्वरूप यहां गणेश चतुर्थी बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। 1896 में हेनरीएटा (Henrietta) में कैस्केड वैली (Cascade Valley) में पहली बार भिवजी परिवार ने इस समारोह का आयोजन किया था।इन वर्षों में, यह त्योहार यहां इतना भव्य हो गया है कि सरकार ने इसे सार्वजनिक अवकाश बना दिया है।
8. फ्रांस के पेरिस में भी गणेश चतुर्थी समारोह बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। फ्रांस में सबसे बड़े हिंदू मंदिर श्री मनिका विनायक (Sri Manikka Vinayakar) मंदिर में भगवान गणेश को बड़े उत्साह के साथ पूजा जाता है।इसके अलावा, यहां भगवान के सम्मान में रथ जुलूस का भी आयोजन किया जाता है। इसी प्रकार से अन्य देशों में भी गणेश चतुर्थी का पर्व बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।

संदर्भ:
https://bit.ly/3jNnnx5
https://bit.ly/2YAjYcH
https://bit.ly/3jMPKv4
https://bit.ly/2X5o2Bb

चित्र संदर्भ
1. फ्रांस में श्रीलंकाई तमिल समुदाय द्वारा गणेश चतुर्थी उत्सव मनाने का एक चित्रण (wikimedia)
2. घाना में हिंदू गणेश चतुर्थी मनाने का एक चित्रण (wikimedia)
3. गजानन की मूर्ती का एक चित्रण (flickr)
4. थाईलैंड में विश्व की सबसे विशाल खड़े गणेश जी की तांबे की प्रतिमा का एक चित्रण (flcikr)

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