समयसीमा 237
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 948
मानव व उसके आविष्कार 725
भूगोल 236
जीव - जन्तु 275
Post Viewership from Post Date to 23- Sep-2021 (30th Day) | ||||
---|---|---|---|---|
City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
1718 | 175 | 1893 |
भारत की एक बड़ी आबादी अपनी दैनिक आमदनी के लिए पशुधन पर निर्भर है। विशेषतौर पर
दुग्ध उद्पादन को देश में, प्रमुख व्यवसाय के रूप में देखा जाता है। भारत में उत्तर प्रदेश, देश का
सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक राज्य है, लेकिन देश के अन्य राज्यों की तुलना में हमारे राज्य में पशुओं
की औसत उत्पादकता कम देखी गई है। जिसका प्रमुख कारण राज्य में अधिक उपज देने वाले
जर्मप्लाज्म (Germplasm) पशुओं की उपलब्धता में कमी है।
दरअसल जर्मप्लाज्मा (Germplasm) एक प्रकार के जीवित संसाधन जैसे बीज या ऊतक होते हैं,
जो जानवरों और पौधों के प्रजनन, संरक्षण हेतु उपयोग किये जाते हैं। ये संसाधन बीज बैंकों , पशु
प्रजनन कार्यक्रमों या जीन बैंकों में बनाए गए पशु प्रजनन लाइनों आदि के रूप में हो सकते हैं।
जैविक विविधता और खाद्य सुरक्षा के रखरखाव के लिए जर्मप्लाज्म संग्रह अति महत्वपूर्ण होता
है। अतः राज्य में किसानों को अधिक उपज देने वाले पशुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के
लिए सरकार द्वारा वर्ष 2013 में कामधेनु योजना की शुरुआत की गई। इसका प्रमुख उद्द्येश्य
उत्तर प्रदेश में उच्च उपज देने वाले जर्म प्लाज्म पशुओं की संख्या को बढ़ाना था। साथ ही इस
योजना के माध्यम से उत्तर प्रदेश में 100, 50 और 25 मवेशियों वाले 1000 से अधिक डेयरी फार्म
(dairy farms) स्थापित किए गए हैं।
कामधेनु योजना के अंतर्गत सरकार द्वारा कुछ प्रमुख उद्द्येश्य सुनिश्चित किये गए हैं, जो
क्रमशः निम्नवत हैं-
1. उत्तर प्रदेश में उच्च गुणवत्ता वाले दुग्ध उत्पादक पशुओं का सृजन एवं सुरक्षा करना।
2. उत्तर प्रदेश में उच्च उपज देने वाले जर्म प्लाज्म दुग्ध उत्पादक पशुओं को फलने-फूलने के लिए
माहौल प्रदान करना।
3. राज्य में अधिक दूध देने वाले पशुओं की किसानों तक पहुंच सुनिश्चित करना।
साथ ही पशु उद्पादकता में वृद्धि करने और इसे बनाये रखने के उद्द्येश्य से प्रदेश में 5043
कृत्रिम गर्भाधान केन्द्रों के माध्यम से पशुपालकों को पशु संबंधी विभिन्न सेवाएं उपलब्ध करायी
जाती है। इन केंद्रों में देशी अवर्णित नस्ल का प्रजनन, उच्च गुणवत्तायुक्त विदेशी नस्ल जैसे
हालस्टियन फ्रीजियन (Holstein Friesian) एवं जर्सी (Jersey) के सांड़ों के उपयोग से कराया
जाता है।
वर्ष 2018 से राज्य में पशु प्रजनन नीति प्रभावी रूप से काम कर रही है, तथा इसी आधार पर 50
प्रतिशत शंकर नस्ल का भी उत्पादन किया जाता है। वही भैंसों में प्रजनन सुधार के लिए मुर्रा एवं
भदावरी प्रजाति के अच्छे माने जाने वाले सांड़ों का उपयोग भी किया जाता है। सरकार द्वारा
स्थापित उत्तर प्रदेश पशुधन विकास बोर्ड द्वारा प्रजनन सेवाओं में सुधार भी सुनिश्चित किया
जाता है।
भारत की स्वतंत्रता के बाद पहली बार विभाग ने कामधेनु डेयरी योजनाएं भी शुरू की हैं जिनके
तहत 100 गायों/भैंसों की 75 इकाइयों को ब्याज सबवेंशन (interest subvention) के साथ
प्रस्तावित किया गया था। छोटे किसानों के लिए 50 गाय/भैंस की मिनी कामधेनु योजना भी शुरू
की गई है। राज्य के पशुपालकों द्वारा प्रजनन सुविधाएं उपलब्ध कराने हेतु पैरावेट / पशु मित्रों की
सहायता ली जा रही है, जिन्हे उत्तर प्रदेश पशुधन विकास परिषद के माध्यम से प्रशिक्षित किया
जाता है। जिस कारण राज्य में नए रोजगार भी सृजित हो रहे हैं।
मुख्य रुप से प्रदेश में तीन अतिहिमीकृत वीर्य उत्पादन केन्द्र क्रमशः बाबूगढ़ (हापुड़), रहमानखेड़ा
(लखनऊ) तथा मझरा (खीरी) में क्रियाशील है। इन केंद्रों में उत्पादित वीर्य से पशु प्रजनन की
सेवाओं का विस्तार किया जाता है। साथ ही भ्रूण प्रत्यारोपण़ की तकनीकों से उच्च गुणवत्ता युक्त
पशुधन उत्पादन का कार्य किया जाता है।
राज्य में जनपद स्तर, तहसील स्तर, ब्लाक स्तर व
न्याय पंचायत स्तर पर स्थापित 2202 पशु चिकित्सालयों, 2575 पशु सेवा केन्द्रों व 267 पशु
औषधालयों के माध्यम से पशु रोग नियंत्रण, चिकित्सा व टीकाकरण का कार्य भी किया जा रहा है।
हालाँकि भारत में कोविड-19 के कारण व्याप्त लॉकडाउन ने अनुसंधान उद्देश्यों के लिए भारत में
लाए जाने वाले पौधों की सामग्री और जर्मप्लाज्म नमूनों के संगरोध प्रसंस्करण में वैज्ञानिकों के
लिए नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। हमें अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान से चावल के
जर्मप्लाज्म का एक बड़ा हिस्सा प्राप्त होता है और महामारी के कारण यह प्रभावित भी हो सकता
है।
भारत में आईसीएआर-एनबीपीजीआर (ICAR-NBPGR) को अनुसंधान उद्देश्यों के लिए देश में
आयातित ट्रांसजेनिक रोपण (transgenic planting) सामग्री सहित जर्मप्लाज्म का संगरोध
प्रसंस्करण करने के लिए आयात के विनियमन आदेश 2003 के तहत अधिकार दिया गया है।
इसके अलावा, एनबीपीजीआर निर्यात के लिए अनुसंधान सामग्री के लिए फाइटोसैनिटरी
सर्टिफिकेट (Phytosanitary Certificates)भी जारी करता है।
संदर्भ
https://bit.ly/380OBJT
https://bit.ly/3j9HvsW
https://en.wikipedia.org/wiki/Germplasm
https://en.wikipedia.org/wiki/Kamdhenu_Yojna
चित्र संदर्भ
1. गाय के दूध को दुहता एक किसान का चित्रण (flickr)
2. गाय का दूध दुहती भारतीय महिला का एक चित्रण (flickr)
3.इंस्टीट्यूटो नैशनल डी टेक्नोलोजिया एग्रोपेक्यूरिया (the Instituto Nacional de Tecnología Agropecuaria) में जर्मप्लाज्म बैंक (Germplasm Bank) का एक चित्रण (wikimedia)
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.