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मुगल काल की समृद्ध काली मिट्टी के बर्तन बनाने की कला को निजामाबाद के लोगों द्वारा आज भी जीवित
रखा गया है। यह 2015 में एक भौगोलिक संकेत टैग (Geographical Indication tag) के लिए पंजीकृत किया
गया था और अभी भी शहर में कारीगरों के लिए रोजगार का प्राथमिक स्रोत बना हुआ है।यहाँ के बर्तनों में
रसायनशास्त्र का भी अहम् योगदान हैयहाँ पर नसीरपुर मिट्टी का प्रयोग किया जाता है जो प्लास्टिक मिट्टी
(Plastic Clay) की तरह व्यवहार करती है, इनको करीब 850 डिग्री सेल्सियसपर गर्म किया जाता है जिससे
इनको यह स्वरुप प्राप्त होता है।निजामाबाद की कुछ सामान्य मिट्टी की भौतिक-रासायनिक विशेषताओं का
अध्ययन उच्च शक्ति वाले काले मिट्टी के बर्तनों के निर्माण में उनकी उपयुक्तता निर्धारित करने के उद्देश्य
से किया गया था।अध्ययन से यह भी पता चला कि काली मिट्टी के बर्तनों के उत्पादन के लिए धूरीपुर, भैरोपुर
और नसीरपुर तालाब की मिट्टी जैसे मौजूदा प्लास्टिक मिट्टी के पूर्ण प्रतिस्थापन में वैकल्पिक कच्चे माल,
नासिरपुर चिकनी मिट्टी का उपयोग सौ प्रतिशत तक भी किया जा सकता है।
इनमें सजावट के लिए जिंक (Zinc) और मर्करी (Mercury) के पाउडर (Powder) का भी प्रयोग किया जाता है।
यहाँ के मृद्भांड को बनाने के उपरांतउन पर सरसों का तेल लगाया जाता है जो इनको एक उत्तम चमक प्रदान
करता है।शुरूआती समय में ये मिट्टी के बर्तन हाथ से बनाए जाते थे, हालांकि बाद में चाक के आविष्कार के
बाद अधिकतर बर्तनों को चाक परबनाया जाने लगा। दरसल हाथ से बने बर्तन मोटे और बेढंगे हुआ करते थे
जबकि चाक पर बने बर्तन वास्तव में अत्यंत ही पतले और अनुपात में होते हैं। भारत भर में कई प्रकार के
बर्तनों को बनाया जाता था जैसे कि लाल मृद्भांड, काला मृद्भांड, उत्तरी काला लेपितमृद्भांड, चित्रित लाल
मृद्भांड, लाल काला मिश्रित मृद्भांड, चित्रित धूसर मृद्भांड आदि। ये तमाम मृद्भांड विभिन्न संस्कृतियों और
उनके विभिन्न समयकालों में विकसित हुए थे।
काले मृद्भांड ऐतिहासिक रूप से ताम्रपाषाण काल के दौरान विकसित हुए थे तथा इसके प्रमाण नावदाटोली,
चिचली, रायपुरा, लतीफ़ शाह आदि पुरास्थालों से मिलते हैं। इस काल में विकसित होकर यह मृद्भांड हड़प्पा
सभ्यता (कुछ परिवर्तनों के साथ) से होते हुए लौह युग तक पहुँचती है। इस दौरान करीब 1000 ईसा पूर्व में
एक ऐसे काले मिट्टी के बर्तन का जन्म हुआ जिसने पूरी मृद्भांडपरंपरा को एक नई ऊंचाई तक पहुँचाया। यह
एक विशेष संस्कृति थी जिसे उत्तरी कृष्णलेपित मृद्भांड परंपरा या उत्तरी काला लेपितमृद्भांड के रूप में जाना
गया। काले मिट्टी के बर्तन बनाने की परंपरा पूरे भारत भर में व्याप्त है परन्तु निजामाबाद में बने मृद्भांड
उत्तरी कृष्णलेपितमृद्भांड की तरह प्रतीत होते हैं। मध्यकाल के दौरान मिट्टी के अत्यंत ही उत्तम काले मृद्भांड
बनाने की परंपरा का ह्रास हो चुका था जिसका एक कारण धातु के बने बर्तनों का बाजार में आना था।चीनी
मिट्टी से पालिशदारकाले मृद्भांड विनम्र मूल के थे और अधिकांश आमतौर पर मध्यम वर्ग द्वारा उपयोग किए
जाने वाले सस्ते उपयोगितावादी सामान थे।
दसवीं से तेरहवीं शताब्दी तक,हालांकि, मोटे, भूरे-काले शीशे वाले बर्तनों की उच्च मांग चीनी (Chinese) समाज के
अधिकांश स्तरों में फैल गई।यह अनुमान लगाया गया है कि, सुंग (Sung -960-1279) के दौरान, सभी भट्टों में
से एक तिहाई से अधिक ने किसी न किसी प्रकार के भूरे-काले पालिशदार बर्तन का उत्पादन कियागया और
अत्यधिक प्रतिस्पर्धी बाजारों में अक्सर एक-दूसरे के काले सामानों की नकल करते थे। काले मृदभांडके उत्पादन
के महत्वपूर्ण केंद्र सुंग के दौरान उत्तर और दक्षिण चीन दोनों में संचालित थे।
वहीं काले चमकदार उत्पाद एक
प्रकार से उत्कृष्ट प्राचीन ग्रीक (Greek)मिट्टी के बर्तन हैं।काले चमकदार मिट्टी के बर्तनों का उत्पादन विशेष
रूप से शास्त्रीय और हेलेनिस्टिक (Hellenistic) काल में किया गया था।इस तरह के मिट्टी के बर्तनों का निर्माण
कुम्हार के पहिये पर या पूर्व-आकार के साँचे में छापा जाता था।पालिशदार का आवरण,मूल रूप से एक महीन
दानेदार मिट्टी के रंग के रूप मेंपहिया पर एक तूलिका के साथया डुबोकर दिया जाता था।कुछ मामलों में, काले-
चमकीले बर्तन को अतिरिक्त रूप से सफेद, लाल या सोने के रंग से सजाया जाता था। लगभग सौ वर्षों के
भीतर, 5 वीं शताब्दी ईसा पूर्व के दौरान, भूमध्यसागरीय बाजारों से पहले से लोकप्रिय लाल-आकृति वाले मिट्टी
के बर्तनों की जगह काले-चमकीले बर्तनों ने ले ली।काले मिट्टी के बर्तनों के इतिहास और तकनीकी से संबंधित
प्रारंग का एक अन्य लेख पढ़ने के लिए इस लिंक (https://bit.ly/3mdM8UH) पर क्लिक करें।
संदर्भ :-
https://bit.ly/3z1cbSH
https://bit.ly/3k0swjW
https://bit.ly/2UzNT38
https://bit.ly/3ARqOby
https://bit.ly/3z0lD8L
https://bit.ly/3mdM8UH
चित्र संदर्भ
1. भारतीय मिट्टी के बर्तनों का एक प्रकार जो उत्कीर्ण चांदी के पैटर्न के साथ अपने गहरे चमकदार शरीर के लिए जाना जाता है जिसका एक चित्रण (wikimedia)
2. काली मिट्टी के बर्तन विक्रेता का एक चित्रण (Picfair)
3. ग्लेज्ड लेकनिस (Glazed Lechnis) लगभग 450/440 ई.पू. काली मिट्टी के बर्तन का एक चित्रण (wikimedia)
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