विंध्यांचल की शान माता विंध्‍यावासीनी

पर्वत, चोटी व पठार
17-08-2021 09:57 AM
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विंध्यांचल की शान माता विंध्‍यावासीनी

भारतीय पौराणिक कथाओं और इतिहास में विंध्य का बहुत महत्व है। हालाँकि आज इंडो-आर्यन (Indo-Aryan) भाषाएँ विंध्य के दक्षिण में बोली जाती हैं, फिर भी इस सीमा को उत्तर और दक्षिण भारत के बीच की पारंपरिक सीमा माना जाता है। पूर्व विंध्य प्रदेश का नाम विंध्य श्रृंखला के नाम पर रखा गया था। विंध्याचल पर्वत श्रृंखला भारत के पश्चिम-मध्य में स्थित प्राचीन गोलाकार पर्वतों की श्रृंखला है जो भारत उपखंड को उत्तरी भारत व दक्षिणी भारत में बांटती है। इस श्रृंखला का पश्चिमी छोर गुजरात में, पूर्व में राजस्थान व मध्य प्रदेश की सीमाओं के नजदीक है। यह श्रृंखला भारत के मध्य से होते हुए पूर्व व उत्तर से होते हुए मिर्ज़ापुर में गंगा नदी तक जाती है। इस श्रृंखला के उत्तर व पश्चिम का इलाका रहने लायक नहीं है जो विन्ध्य व अरावली श्रृंखला के बीच में स्थित है जो दक्षिण से आती हुई हवाओं को रोकती है। विंध्या में सबसे प्रसिद्ध हैं यहाँ के सफ़ेद शेर। यह परतदार चट्टानों का बना हुआ है। ये गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार ,झारखण्ड मे फैली हुई है, मध्यप्रदेश व उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में फेले इसके भू-भाग को भारनेर की पहाड़ियां कहा जाता है विंध्यांचल का पूर्वी हिस्सा जो सतपुड़ा पहाड़ी से आकर मिलता है उस पर्वत को मैकाल की पहाड़ी कहते हैं। अमरकंटक विध्यांचल पर्वत श्रृंखला की सबसे ऊंची जगह है।
विंध्य पर्वत श्रृंखला एक विरल पर्वत श्रृंखला है जो पर्वत श्रेणियों, पहाड़ियों और पठारी ढलानों से बनी हुयी है। इसके विस्तार को अलग-अलग समय पर अलग-अलग ढंग से परिभाषित किया गया है। विंध्याचल का उल्लेख कई प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। कुछ पुराने ग्रंथों में ‘विंध्य’ नर्मदा और ताप्ती नदी के बीच की पर्वत श्रृंखला को कहा गया है जो कि आज ‘सतपुड़ा’ श्रृंखला के नाम से जानी जाती है। वराह पुराण में हालांकि सतपुड़ा के लिए ‘विंध्य पद’ शब्द का इस्तेमाल किया गया था। कुछ ग्रंथ हिंदी शब्द से मध्य भारत की हर पहाड़ी को इंगित करते हैं। हालांकि आधुनिक भौगोलिक परिभाषा के अनुसार विंध्याचल पर्वत श्रृंखला नर्मदा नदी के उत्तर में स्थित गुजरात से लेकर मध्य प्रदेश तक की पहाड़ियों को शामिल करती है।
भारत में धार्मिक दृष्टि से इस पर्वत श्रृंखला का विशेष महत्‍व है. इसे माता विंध्यवासिनी का घर माना जाता है. विंध्यवासिनी या योगमाया, जिसे अक्सर एकनांश के रूप में पहचाना जाता है, मां दुर्गा के एक परोपकारी स्‍वरूप का नाम है। इसे आदि पराशक्ति के रूप में भी जाना जाता है। देवी मां को यह नाम विंध्य पर्वत श्रृंखला के नाम पर दिया गया है, विंध्यवासिनी का शाब्दिक अर्थ है, जो विंध्य में रहती है। मान्‍यता है कि पृथ्‍वी में जहां-जहां पर माता सति के अंग गिरे थे वहां शक्तिपीठों का निर्माण किया गया। लेकिन विंध्याचल वह स्थान और शक्तिपीठ है, जहां देवी ने अपने जन्म के बाद निवास किया था। जौनपुर विंध्य में विंध्यवासिनी मंदिर के बहुत करीब है।
श्रीमद्भागवत पुराण की कथा अनुसार देवकी के आठवें गर्भ से जन्में श्रीकृष्ण को वसुदेवजी ने कंस से बचाने के लिए रातोंरात यमुना नदी को पार कर गोकुल में नन्दजी के घर पहुंचा दिया था तथा वहां यशोदा के गर्भ से पुत्री के रूप में जन्मीं भगवान की शक्ति योगमाया को चुपचाप वे मथुरा के जेल में ले आए थे। भगवान विष्णु की आज्ञा से माता योगमाया ने ही यशोदा मैया के यहां पुत्री रूप में जन्म लिया था।
इनका बाद में नाम एकानंशा रखा गया था। कंस ने जब नवजात कन्या को पत्थर पर पटककर जैसे ही मारना चाहा, वह कन्या अचानक कंस के हाथों से छूटकर आकाश में पहुंच गई और उसने अपना दिव्य योगमाया स्वरूप प्रदर्शित कर कंस से कहा रे मूर्ख तेरा वध करने के लिए देवकी की आठवीं संतान को कब की जन्म ले चुकी है। मुझे मारने से क्या होगा। बाद में देवताओं ने योगमाया से कहा कि हे देवी आपका इस धरती पर कार्य पूर्ण हो चुका है तो अत: अब आप देवलोक चलकर हमें कृतघ्न करें। तब देवी ने कहा कि नहीं अब मैं धरती पर ही भिन्न- भिन्न रूप में रहूंगी। जो भक्त मेरा जैसा ध्यान करेगा मैं उसे उस रूप में दर्शन दूंगी। अत: मेरी पहले स्थान की आप विंध्यांचल में स्थापना करें। तब देवताओं ने देवी का विंध्याचल में एक शक्तिपीठ बनाकर उनकी स्तुति की और देवी वहीं विराजमान हो गई। श्रीमद्भागवत पुराण में देवी योगमाया को ही विंध्यवासिनी कहा गया है जबकि शिवपुराण में उन्हें सती का अंश बताया गया है। सती होने के कारण उन्हें वनदुर्गा कहा जाता है। कहते हैं कि आदिशक्ति देवी कहीं भी पूर्णरूप में विराजमान नहीं हैं, लेकिन विंध्याचल ही ऐसा स्थान है जहां देवी के पूरे विग्रह के दर्शन होते हैं। शास्त्रों के अनुसार, अन्य शक्तिपीठों में देवी के अलग-अलग अंगों की प्रतीक रूप में पूजा होती है।

संदर्भ:
https://bit.ly/37GtGvs
https://bit.ly/3g6W1jb
https://bit.ly/3m4WI0f

चित्र संदर्भ
1. विंध्यांचल की माता विंध्‍यावासीनी का एक चित्रण (facebook)
2. विंध्यांचल पर्वत का एक चित्रण (facebook)
3. विंध्य रेंज में मंदिर में माता विंध्यवासिनी की मूर्ति का एक चित्रण (twitter)

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