डी.एन.ए. का पूरा नाम डीऑक्सी राइबो न्यूक्लिक एसिड है। विश्व भर में व्याप्त समस्त जीवित तत्वों की एक डी.एन.ए. संरचना होती है, जिसके आधार पर उसके परिवार व नस्ल का ज्ञान हमें प्राप्त होता है। समस्त जीवों वनस्पतियों आदि की संरचना देखने में एक सी ही होती है परन्तु डी.एन.ए. की विभिन्नता का कारण है- समाक्षारों के अनुक्रम में अंतर होना। जैसा कि जौनपुर अपनी मूली के लिये जाना जाता है। यहाँ की मूली नेवार नस्ल की है जो की करीब 4 से 6 फीट लम्बी होती है। वर्तमान काल मे जिले में अन्य कई नई नस्लों की मूली भी बोई जाती हैं जिनमें से एक शलजम भी है। यदि शलजम के निर्माण व इसके गुणधर्म की बात करें तो यह पता चलता है कि इसका डी.एन.ए. पत्ता गोभी और मूली के डी.एन.ए. के संयोग से बना है। मूली (राफायनस) और करमकल्ला (ब्रसायका) में से प्रत्येक में 9 जोड़ी गुणसूत्र होते हैं, जो एक दूसरे से पूर्णत: भिन्न होते हैं। इनके संकरण से उत्पन्न संकर रैफ़ानस ब्रैसिका (राफायनस - ब्रसायका) में भी 9 जोड़ी गुणसूत्र होते हैं; परंतु अर्धसूत्रण में एक ही द्विसंयोजक नहीं बनता, क्योंकि युग्मन की क्रिया सफल नहीं होती और सभी सूत्र अयुग्मित रह जाते हैं जिससे 12 एक-संयोजक बनते हैं। इसके सूत्र द्विगुण से उत्पन्न ऐलोटेट्राप्लॉइड में 12 जोड़ी सूत्र होते हैं और अर्धसूत्रण में 12 संयोजक बनते हैं, चतु:संयोजक एक भी नहीं। परिणाम यह होता है कि रैफ़ानस-ब्रैसिका-ऐलाटेट्राप्लॉइड बहुत उर्वर होता है, यद्यपि रैफ़ानस-ब्रैसिका-द्विगुणित बांध्य होता है।संकर किस्मों को इसी प्रकार से दो भिन्न वनस्पतियों के डी.एन.ए. से जोड़कर बनाया जाता है।
1.https://www.frontiersin.org/articles/10.3389/fpls.2015.00883/full
2. https://goo.gl/YoybSo
3. https://goo.gl/7tSJFb