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यदि आपसे पूछा जाए कि एक संग्रहालय क्यां होता है, तो पहली नजर में आपको इसका उत्त्र सरल लगेगा।संग्रहालय एक ऐसी संस्था है जहां कलात्मक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक या वैज्ञानिक महत्व की कलाकृतियों और अन्य वस्तुओं को संग्रहित और संरक्षित करके रखा जाता है तथा इनकी विशेष देखरेख की जाती है। कई सार्वजनिक संग्रहालय उसके द्वारा संग्रहित की गयी वस्तुवओं को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शनी के लिए उपलब्ध कराते हैं जो स्थायी या अस्थायी हो सकते हैं।यह हमारे अतीत, वर्तमान और भविष्य की आशाओं, आकांक्षाओं और उपलब्धियों की एक किरण होते हैं।संग्रहालयों का मुख्यर उद्देश्य जनता को शिक्षित करने हेतु कलात्मक, सांस्कृतिक या वैज्ञानिक महत्व की वस्तुओं को एकत्रित करना, संरक्षित करना और उनकी व्याख्या करना एवं उन्हेंन प्रदर्शित करना होता है। संग्रहालय हमारी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और उन्हेंह बढ़ावा देने में सहायता करते हैं। संग्रहालय पुरानी कलाकृतियों, मूर्तियों, वस्तुओं और हमारे इतिहास आदि का भंडार होते हैं।
मिस्र (Egypt) के अलेक्जेंड्रिया (Alexandria) की रॉयल लाइब्रेरी ऑफ़ अलेक्जेंड्रिया (Royal Library of Alexandria) एक समय में दुनिया का सबसे बड़ा पुस्तकालय था। आम तौर पर ऐसा माना जाता है कि इसकी स्थापना मिस्र के टॉलेमी प्रथम सोटर (Ptolemy I Soter) के शासनकाल के दौरान।इसका निर्माण संभवत: लाइब्रेरी कॉम्प्लेक्स (Library complex), म्यूजेज़ (Muses) का मंदिर — म्यूज़ियन (Muse-ion), यूनानी (जिससे आधुनिक अंग्रेजी शब्द म्यूज़ियम (museum) उत्पन्न हुआ है) — के पहले भाग का निर्माण करने के बाद हुआ था। इसके वास्तिविक संस्थामपक टॉलेमी द्वितीय फिलाडेल्फ़स (Ptolemy II Philadelphus) (309–246 ई।पू।) थे।यह मूल म्यूfसियम ("इंस्टीट्यूशन ऑफ द मसेस") ("Institution of the Muses") संगीत या कविता का घर था, जो एक दार्शनिक स्कूल और पुस्तकालय जैसे प्लेटो की अकादमी (Plato's Academy) और ग्रंथों का एक भंडार भी था। इसमें कला के कार्यों का संग्रह नहीं था; बल्कि यह एक संस्था थी जो आधुनिक विश्वविद्यालय के अनुरूप, जिसमें यूनानी जगत के कुछ सर्वश्रेष्ठ विद्वान एक साथ आकर रहते थे।एक समय में 1,000 से अधिक विद्वान यहां रहते थे। यहां के कार्यकर्ताओं और विद्वानों को माउसियन द्वारा वेतन दिया जाता था और इन पर कोई भी कर नहीं लगाया जाता था। उन्हें मुफ्त भोजन, कमरा और बोर्ड और मुफ्त नौकर भी मिले थे। माउसियन को फिरौह(Pharaoh) द्वारा नियुक्त एक पुजारी द्वारा प्रशासित किया गया था।
हालांकि अलेक्जेंड्रिया के संग्रहालय में कला के कार्यों के रूप में प्रस्तुत मूर्तिकला और पेंटिंग का संग्रह नहीं था किंतु माउसियन के विद्वानों ने वैज्ञानिक अनुसंधान किए, उन्हेंर प्रकाशित किया, उनका व्याख्यान किया और ज्ञात दुनिया से जितना संभव हो उतना साहित्य एकत्र किया। यूनानी कार्यों के अलावा, विदेशी ग्रंथों का अनुवाद असीरियन (Assyrian) , फारसी (Persian) , यहूदी (Jewish), भारतीय भाषाओं और अन्य स्रोतों से किया गया था। ग्रीक साहित्यिक कैनन (canon) के संपादित संस्करण जिन्हें हम आज जानते हैं, होमर (Homer) और हेसियोड (Hesiod ) से आगे, उन संस्करणों में मौजूद हैं जिन्हें अलेक्जेंड्रिया के पुस्तoकालय के विद्वानों द्वारा एकत्रित और संशोधित किया गया था। प्रथम शताब्दिक ईसापूर्व तक आते आते इस जगह का पतन हो गया यहां संग्रहित कई ग्रंथ जलाकर नष्ट कर दिए गए।
आधुनिक संग्रहालयों का उद्देश्य जनता की शिक्षा के लिए कलात्मक, सांस्कृतिक या वैज्ञानिक महत्व की वस्तुओं को एकत्र करना, संरक्षित करना, व्याख्या करना और प्रदर्शित करना है। स्थानीय इतिहास संग्रहालय या बड़े शहर के कला संग्रहालय का भ्रमण दिन बिताने का एक मनोरंजक और ज्ञानवर्धक तरीका हो सकता है।
1998 में, म्यूज़ियम एसोसिएशन (Museums Association ) नामक संग्रहालयों में और उनके साथ काम करने वाले लोगों के एक समूह ने संग्रहालय को परिभाषित करते हुए कहा गया कि:
"संग्रहालय लोगों को प्रेरणा, अध्यययन और आनंद के संग्रह का पता लगाने में सक्षम बनाते हैं। ये ऐसी संस्थाएं हैं जो एकत्रीकरण करते हैं, उनकी सुरक्षा करते हैं और सुलभ कलाकृतियां और नमूने बनाते हैं, जिन्हें वे समाज के विश्वास हेतु रखते हैं। इस परिभाषा में कला के कामों के संग्रह सहित कला दीर्घाओं के साथ-साथ वस्तुओं के ऐतिहासिक संग्रह वाले संग्रहालय भी शामिल हैं।"
संग्रहालय की परिभाषा के ऊपर किसी भी राष्ट्री य या अंतराष्ट्री य संस्था" की एक परिभाषा नहीं रही है यह हमेशा विवादास्पेद मुद्दा रहा है। पिछले कुछ दशकों से, अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय परिषद (आईकॉम) ने संग्रहालय को "गैर-लाभकारी संस्थान" के रूप में परिभाषित करते हुए, इसे "शिक्षा, अध्ययन और आनंद के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए मानवता और उसके पर्यावरण की मूर्त और अमूर्त विरासत का अधिग्रहण, संरक्षण, अनुसंधान, संचार और प्रदर्शन करता है।" लेकिन डेनमार्क के क्यूरेटर जेट सैंडल (Danish curator Jette Sandahl) सहित कुछ लोगों ने कहा कि यह 21 वीं सदी की भाषा नहीं है।
सैंडहल ने आयोग का नेतृत्व किया, जिसने संग्रहालयों की परिभाषा को विस्तृकत करते हुए कहा "ये वर्तमान की उलझनों और चुनौतियों को संबोधित करने वाली कलाकृतियों और नमूनों को रखते हैं, जिन पर समाज विश्वाकस कर सके, यह भावी पीढ़ियों के लिए विविध यादों की रक्षा करते हैं और सभी लोगों के लिए समान अधिकारों और विरासत की समान पहुंच का आश्वासन देते हैं।" इन्हेंि "भागीदार और पारदर्शी" माना जाता है, ये "सक्रिय भागीदारी और विविध समुदायों के लिए" कार्य करते हैं और "मानव गरिमा और सामाजिक न्याय, वैश्विक समानता और ग्रह की भलाई में योगदान देते हैं"। इस प्रकार संग्रहालय की परिभाषा में नित नए परिवर्तन किए जाते हैं।
हमारे जौनपुर शहर के संग्रहालयों में संग्रहित वस्तुिएं या कलाकृतियां न सिर्फ पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं वरन् विभिन्नस मानवीय गतिविधियों के माध्यतम से अपने संबंधित क्षेत्रों पर मूल्यवान सुझाव भी देते है। जौनपुर के संग्रहालय भी अन्यम की भांति विविधता से भरपुर हैं, उदाहरण के लिए, पुरातत्व संग्रहालय उन ऐतिहासिक साक्ष्यों को प्रदर्शित करता है जो अतीत की अमूल्य कहानियों को प्रकट करते हैं। वनस्पति संग्रहालय और जूलॉजी संग्रहालय (Zoology Museum) वनस्पति और जीव के बारे में आगंतुकों के ज्ञान में विस्तातर करता है।यहां का पुरातत्व संग्रहालय उत्तवर प्रदेश के पुरातत्व संग्रहालय,टीडी कॉलेज (TD College) की कड़ी निगरानी में है। जौनपुर के इस पुरातत्व संग्रहालय में कई प्राचीन सिक्कों को संग्रहित एवं प्रदर्शित किया गया है, जो इतिहास के क्रमबद्ध चरणों को दर्शाते हैं।1956 में जौनपुर वनस्पति विज्ञान संग्रहालय की स्थापना की गई थी। इसका एकमात्र उद्देश्य कॉलेज के छात्रों के साथ-साथ पर्यटकों को प्राणि विज्ञान पर ज्ञान प्रदान करना था।
संदर्भ:
https://bit.ly/3bkGolJ
https://bit.ly/3heQXuq
https://bit.ly/33Eylfn
https://bit.ly/3o8hzP7
https://bit.ly/2RfOchH
https://bit.ly/3uF2zuE
https://bit.ly/3oa1hFn
चित्र संदर्भ
1 .संग्रहालय का एक चित्रण (Unsplash)
2 .आधुनिक बिब्लियोथेका अलेक्जेंड्रिना के आंतरिक भाग का एक चित्रण(wikimedia )
3 .संग्रहालय का एक चित्रण (pixabay)
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