महासागरों में पाया जाने वाला खारा जल और विश्व में नमक की स्थिति

समुद्र
02-05-2021 07:54 PM
महासागरों में पाया जाने वाला खारा जल और विश्व में नमक की स्थिति

>हमारे ग्रह पृथ्वी में लगभग 70% तक पानी उपस्थित है जो मुख्यत: सागरों और महासागरों के रूप में पाया जाता है। महासागरों का जल पूरी तरह से खारा होता है जिसमें नमक के कण पाए जाते हैं।क्या आपने कभी विचार किया है कि नदियों का जल शुद्ध और मीठा एवम्‌ महासागरों का जल नमकीन क्यों होता है? आइए इस तथ्य के पीछे का कारण जानने का प्रयास करते हैं।
ऐसा माना जाता है कि शुरुआत में सागरों और महासागरों का जल खारा नहीं था परंतु जब पृथ्वी पर अम्लीय वर्षा हुई और पृथ्वी की सतह के ऊपरी भाग पर गिरी। वर्षा जल में मौजूद अम्ल के कारण चट्टानें टूटना आरम्भ हुईं। साथ ही चट्टानों में मौजूद खनिज बहकर महासागरों से जा मिले। जिससे इनका पानी खारा हो गया। वहीं दूसरी ओर नदियाँ स्वतंत्र रूप से बहती हैं इनमें किसी प्रकार का मिश्रण नहीं होता और वर्षा का पानी प्रत्यक्ष रूप से नदियों में गिरता है और मीठे पानी की भरपाई करता है।अंतत: इन नदियों का पानी बहता हुआ सागरों में जाकर मिल जाता है और समुद्र सभी नदियों से नमक और खनिजों को एकत्र कर लेता है जो इससे जाकर मिलती हैं।यही कारण है कि महासागरों का जल खारा होता है और नदियों का नहीं।समुद्र में लवण का एक अन्य स्रोत हाइड्रोथर्मल (Hydrothermal) तरल पदार्थ हैं, जो समुद्र में वाष्प से आता है। महासागरों का जल समुद्र की दरार में रिसता है और पृथ्वी के आंतरिक भाग से मैग्मा (Magma) द्वारा गर्म होता है। कुछ महासागरीय लवण पानी के नीचे होने वाले ज्वालामुखी विस्फोटों से उत्पन्न होते हैं, जो सीधे समुद्र में खनिजों को पहुँचाते हैं।

हर स्थान पर महासागरों में पाए जाने वाले लवण की मात्रा एक समाननहीं होती है बल्कि यह स्थान विशेष के तापमान, वाष्पीकरण और वर्षा पर निर्भर करती है। उदाहरण के लिए भूमध्य रेखा और ध्रुवों पर समुद्रों की लवणता आमतौर पर कम होती है I वहीं, मध्य अक्षांशों पर यह मात्रा उच्च होती है।विशेषज्ञों द्वारा आँकी गई औसत लवणता लगभग 35 भाग प्रति हजार है। दूसरे शब्दों में, समुद्री जल के वजन के लगभग 3.5 प्रतिशत हिस्से में भंग लवण विद्यमान होते हैं।

हर साल लगभग 3 बिलियन टन नमक धरती की सतह से महासागरों में जाकर मिलता है। नमक के इस विशाल भंडार का एक छोटा सा हिस्सा मनुष्यों द्वारा अपने उपयोग के लिए निकाल लिया जाता है। सागरों का खारा जल भले ही पीने योग्य न हो परंतु इस जल से बड़ी मात्रा में नमक का उत्पादन किया जाता है। नमक जो हमारे आहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह न केवल खाने के स्वाद को बढ़ता है बल्कि हमारे शरीर में आयोडीन की कमी को पूरा करता है।इस नमक का इतिहास बहुत पुराना है।6050 ईसा पूर्व तक यह अलग-अलग सभ्यताओं का महत्वपूर्ण भाग रहा है। जहाँ एक ओर इसे मिस्र के धार्मिक प्रसाद के रूप में उपयोग किया जाता था वहीं दूसरी ओर कई सदियों से नमक का व्यापार दुनिया के कई हिस्सों में बड़े पैमाने पर किया जाता है।यही नहीं प्राचीन समय में नमक को व्यापार और मुद्रा के एक माध्यम के रूप में उपयोग किया जाता था इसलिए व्यक्तिगत रूप से इसका उत्पादन कानूनी रूप से प्रतिबंधित था। उस समय में दुनिया के कई देशों की सरकारें नमक-कर वसूल करती थीं।

नमक-कर की उत्पत्ति चीन (China) में हुई थी।जर्मन विद्वान एम.जे. श्लेडेन (The German Scholar M.J. Schleiden) ने अपनी पुस्तक दास सैल्ज़ (Das Salz / The Salt) में कहा है कि नमक करों और निरंकुश शासन के बीच सीधा संबंध था। एथेंस (Athens) और रोम (Rome) जैसे कुछ देश नमक पर कर नहीं वसूलते थे परंतु चीन (China) और मेक्सिको (Mexico) जैसे देशों में नमक-कर के नाम पर जनता पर घोर अत्याचार हो रहे थे।भारत में भी अंगेजी शासकों ने नमक-कर से संबंधित अपने मापदंड बनाए थे जो उनके लाभ और जनता के शोषण पर आधारित थे। नमक की वर्तमान स्थिति के बारे में बात करें तो बदलते वातावरण के कारण वर्षा में अधिकता या कमी, सागरों में निष्कासित किया जाने वाला मानव-जनित अपशिष्ट पदार्थ नमक की गुणवत्ता व मात्रा को प्रभावित करते हैं।एक अनुमान के अनुसार विश्वव्यापी कोरोना संकट के परिणामस्वरूप भारत सहित कई बड़े बाज़ारों में नमक की कमी होने की संभावना है।बीते दो वर्षों में अत्यधिक बारिश और कोविड-19 लॉकडाउन (Lockdown) के चलते गुजरात (Gujarat) में नमक के उत्पादन में गंभीर रूप से कमी आई है, जो भारत का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य और दुनिया के सबसे बडे़ उत्पादकों में से एक है।

दुनिया के तीसरे सबसे बडे़ उत्पादक भारत के शीर्ष पांच नमक उत्पादक राज्य गुजरात, तमिलनाडु, राजस्थान, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश हैं। शोधकर्ताओं का सुझाव है कि एक साधारण खारे पानी का विलयन कोरोनावायरस के शुरुआती लक्षणों को कम करने में मददगार साबित हो सकता है।एडिनबर्ग विश्वविद्यालय (University of Edinburgh) के वैज्ञानिकों का मानना है कि जब आप ठंड से प्रभावित होते हैं तब समुद्री नमक कोशिकाओं की एंटीवायरल (antiviral) रक्षा को बढ़ावा दे सकता है। कोरोना के लक्षणों से पूरी तरह लड़ने के लिए शोधकर्ता समुद्री नमक पर लगातार परीक्षण कर रहे हैं।

संदर्भ:-
https://bit.ly/2QDfpL1
https://bit.ly/3gLqDHW
https://bit.ly/3gM59ur
https://bit.ly/2QvxIC0
https://bit.ly/2S69GxD
https://bit.ly/3vqLNiN
https://bit.ly/3vl0bsE

चित्र सन्दर्भ:-
1.समुद्री नमक के व्यापारियों का चित्रण(Unsplash)
2.समुद्री नमक का चित्रण(Unsplash)
3.नमक व्यापार और कोरोना महामारी का चित्रण(Pexels)

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