आप जानते हैं त्रिलोचन शिव मंदिर के प्राचीन रहस्यों को?

वास्तुकला 1 वाह्य भवन
20-04-2021 11:44 AM
आप जानते हैं त्रिलोचन शिव मंदिर के प्राचीन रहस्यों को?


हिन्दू धर्म में मंदिरों को भगवान् तक पहुँचने की पहली सीढ़ी माना जाता है। साथ ही मंदिर अनेक प्राचीन कथाओं और नवीनतम रहस्यों का केंद्र भी होते हैं। उत्तर प्रदेश के जौनपुर में स्थित त्रिलोचन मंदिर शिव भक्तों और हिन्दू धर्म के अनुयायियों के बीच अपनी रहस्यमय कथाओं और चमत्कारी शक्तियों के परिपेक्ष्य में बेहद लोकप्रिय है।
इस मंदिर के त्रिलोचन नाम पड़ने का इतिहास कही भी स्पष्ट रूप से वर्णित नहीं है, परन्तु मंदिर के पुजारियों के अनुसार धरती के इस स्थान पर भगवान शिव ने अपने तीसरे नेत्र खोलकर भस्मासुर को भस्म किया था। जिस कारण इस मंदिर का नाम त्रिलोचन रखा गया। इस स्थान पर अनेक छोटे-छोटे मंदिरों समेत एक विशाल शिव मंदिर है। जिसमे भोलेनाथ शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं। इस शिवलिंग में आँखे,मुँह,नाक बने हुए हैं, तथा यह शिवलिंग स्पष्ट रूप से उत्तर दिशा में पीछे की ओर झुका है। शिवलिंग के इस झुकाव के पीछे एक बेहद प्राचीन लोक गाथा है। कहा जाता है कि प्राचीन काल में रेहटी और लहंगपुर नाम के दो गावों के बीच इस शिव मंदिर को लेकर एक बड़ा विवाद उत्पन्न हो गया। उस समय यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा था, कि यह शिव मंदिर दोनों में से किस गांव की सरहद पर स्थित हैं? ग्राम पंचायत के बीच कोई भी संतोषजनक फैसला न हो पाने के कारण मंदिर के मुख्य गेट को बंद कर दिया गया। और लम्बे समय पश्चात जब इस गेट को खोला गया तो मंदिर में प्रवेश करने वाले सभी लोग पूरी तरह भौंचक्के रह गए। उन्होंने देखा की अब शिवलिंग उत्तर दिशा में रेहटी गांव की तरफ झुका हुआ था। अर्थात स्वयं भगवान शिव द्वारा मंदिर की सरहद का फैसला किया गया, और उस समय से यह मंदिर उसी गाँव की सीमा के अंतर्गत आने लगा।
श्रद्धालुओं के बीच यह शिव मंदिर मनोकामना पूरी करने के लिए विश्व विख्यात हैं, जिस कारण देश के अलग-अलग राज्यों से भक्तों का यहां निरंतर आवागमन रहता है। यह मंदिर लखनऊ -वाराणसी मार्ग पर स्थित है, जिस कारण यहाँ आवा-जाही के पर्याप्त साधन उपलब्ध हैं। इस मंदिर की जिला मुख्यालय से दूरी 20 किलोमीटर की है। रोडवेज की बसें तथा अन्य व्यक्तिगत वाहन निरंतर चलते रहते हैं, त्यौहारों तथा पर्वों खासतौर पर शिवरात्रि के मौके पर हजारों की संख्या में भीड़ उमड़ती हैं। मान्यताओं के अनुसार यहाँ पर मांगी जाने वाली प्रत्येक कामना निश्चित ही पूर्ण होती है, जिस कारण यह चिरकाल से आस्था का केंद्र बना हुआ है। कुछ रहस्यमयी घटनाओं ने कई बार लोगों का ध्यान त्रिलोचन मंदिर की ओर आकर्षित किया है। ऐसी ही एक घटना 2019 के सितम्बर माह में भी घटित हुई, जहाँ 27 सितंबर के दिन आकाशीय बिजली गिरने से त्रिलोचन मंदिर को भारी क्षति पहुंची। आकाशीय बिजली गिरने के कारण मंदिर की नक्काशी प्रभावित हुई, त्रिशूल अपने स्थान से गिर गया, मंदिर परिसर में लगी सोलर ऊर्जा स्रोत भी क्षतिग्रस्त हो गए। और साथ ही मंदिर का गुम्बद पूरी तरह चूर-चूर हो गया। आश्चर्य की बात यह थी घटना के कुछ ही समय पूर्व मंदिर के पुजारी समेत आस-पास के कुछ आम नागरिक पूजा समापन के बाद वहां से निकले थे। इस घटना में मंदिर समेत आस-पास के कुछ अन्य मकानों को भी भारी क्षति पहुंची थी।
रहस्यों से भरपूर इस मंदिर का व्याख्यान स्कन्द पुराण में मिलता है। यहां के शिवलिंग को स्वयं-भू माना जाता है, अर्थात यह शिवलिंग किसी के द्वारा प्रतिष्ठित नहीं है, अपितु स्वयं शिव-शंकर पाताल लोक का भेदन करने के उपरान्त यहाँ पर अवतरित हुए हैं। मंदिर की पूर्व दिशा में एक जलकुंड भी है। माना जाता है कि जो व्यक्ति इस कुंड में स्नान कर लेता है, उसे त्वचा से सम्बंधित रोग नहीं होते। साथ ही इस कुंड में पूरे वर्ष पानी उपलब्ध रहता है, और यह कभी नहीं सूखता। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर की रक्षा स्वयं भगवान शिव करते हैं। कथाओं के अनुसार एक बार यहाँ के सर्प और मंदिर के घंटे को चोरों द्वारा चुरा लिया, जिसके बाद से वे चोर मानसिक रूप से विक्षिप्त हो गए। और अंत में सर्प चुराने वाले व्यक्ति के परिवार जनों को उससे अधिक वजनी चांदी का सर्प मंदिर को भेंट करना पड़ा। और घण्टा चुराने वाले चोर उसे उठाकर ट्रेन में नहीं रख पाए, और आखिरकार रेलवे विभाग ने उस घंटे को सही सलामत मंदिर परिसर को वापस लौटाया। चूँकि यह मंदिर साल भर सैलानियों की भीड़ से भरा रहता है, परन्तु महामारी के प्रकोप को देखते हुए यहाँ भी भक्तों के भीड़ में कमी देखी गयी है। लेकिन अपनी चमत्कारी विशेषताओं और भक्तों के अगाध प्रेम के कारण यह मंदिर सदा ही लोकप्रिय रहेगा।

संदर्भ:
● https://bit.ly/3ajGYQd
● https://bit.ly/3mVcyss
● https://bit.ly/3alKWHV
● https://bit.ly/3gjmtqB
● https://bit.ly/3e6qXOE

चित्र संदर्भ:
मुख्य चित्र जौनपुर के त्रिलोचन महादेव मंदिर को दर्शाता है। (प्रारंग)
दूसरा चित्र त्रिलोचन मंदिर पर बिजली गिरने के बाद का चित्र दर्शाता है। (उम्मीद)
तीसरा चित्र जौनपुर के त्रिलोचन महादेव मंदिर को दर्शाता है। (स्थानीय व्यवसाय खोजें)
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