इस्लाम धर्म के प्रमुख सिद्धांतों को समझिए। और जानिए क्या होता है उर्स और क्यों मायने रखता है?

विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)
20-03-2021 10:30 AM
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इस्लाम धर्म के प्रमुख सिद्धांतों को समझिए। और जानिए क्या होता है उर्स और क्यों मायने रखता है?
इस्लामियत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कौम है। इस्लाम का शाब्दिक अर्थ होता है। शान्ति अथवा "परमात्मा की इच्छा से चलना"। इस्लाम की सबसे पवित्र धर्मिक किताब कुरान को माना जाता है। जो की पूरे विश्व को शांति और सौहार्द का पाठ पढ़ाती है। इस्लामिक इतिहास में कई ऐसे लोग हुए हैं जो पवित्र कुरान को पढ़कर अनन्त शान्ति को प्राप्त कर लेते है, जिन्हे सूफी सन्त भी कहा जाता है। सूफी संत ईश्वर की माया में तल्लीन रहते है। इनका हर कर्म एक अल्लाह को समर्पित रहता है। भौतिक संसार की मोह माया इन्हे विचलित नहीं कर सकती। ये समस्त सांसारिक वस्तुओं का पूर्ण रूप से त्याग कर लेते हैं।
किसी भी सूफी संत के निधन के पश्चात प्रत्येक वर्ष उसकी पुण्य तिथि पर सूफी संतों की दरगाह में उत्सव का आयोजन किया जाता है। जिसे "उर्स" के नाम से मनाया जाता है। उर्स एक अरबी शब्द है जिसका मतलब "शादी" होता है। उर्स का समय सूफी संतों की दरगाह में जश्न और उल्लास से भरा होता है। चिश्तिया जो की दक्षिण एशियाई सूफी संत होते है। इनको अल्लाह का प्यारा माना जाता है इन दरगाहों में उर्स बड़े ही जोश खरोश से मनाया जाता है, जिस जश्न की व्यवस्था प्रबंधन आदि दरगाह प्रबंधन और दरवेश करते है। उर्स के अवसर पर कव्वाली, नाट्य, आदि अनेकों कार्यक्रम आयोजित किये जाते है। इस मनमोहक संगीत से पूरा वातावरण सुफियाना हो जाता है। उर्स ने शानदार संगीत शैली कव्वाली को भी जन्म दिया, जो इन कव्वालियों को सुनना एक रूहानी सा एहसास होता है। और मन को गहराई तक शांत कर देता है। सालाना आयोजित किये जाने वाले उर्स पर सभी दरगाहों को बेहद भव्य और अलौकिक रूप से सजाया जाता है। रात के समय ये दरगाहें शानदार रोशनी से जगमगा जाती है, और देखने में यह दृश्य बेहद अलहदा और निहायती ख़ूबसूरत नज़र आता है। भारत में ऐसी अनेकों दरग़ाहें और इस्लामिक धार्मिक धार्मिक स्थल हैं, जहा उर्स आयोजित किया जाता है। चलिए जानते है कुछ प्रमुख दरगाहों के बारे में।
1. दरगाह हज़रतबल, जम्मू और कश्मीर दरगाह जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में स्थित है। यहाँ हज़रत को मुहम्मद की संज्ञा दी गयी है। और बल का अर्थ होता है स्थान यानि ऐसा स्थान जहां मुहम्मद निवास करते हो। ये दरगाह विख्यात डल-झील के किनारे पर स्थित है। और देखने में बेहद खूबसूरत नज़र आती है।
2. अजमेर शरीफ दरगाह, अजमेर अजमेर शरीफ प्रसिद्ध सूफी मोइनुद्दीन चिश्ती ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह है। जो की राजस्थान के अजमेर शहर में स्थित है। यह हिंदुस्तान में प्रतिष्ठित इस्लामिक धार्मिक स्थल है। यहाँ का मुख्य द्वार निजाम गेट हैदराबाद के अंतिम निजाम मीर उस्मान अली खान के द्वारा बनवाया गया। यहां दिल्ली के सूफी संत हर साल दिल्ली से पैदल चल कर अजमेर आते है, जिनको कलन्दर भी कहा जाता है।
3. हाजी अली दरगाह, मुंबई महाराष्ट्र के मुंबई शहर में वरली तट के समीप स्थित है। यहाँ पर सय्यद पीर हाजी अली शाह बुखारी की याद में एक दरगाह और मस्जिद का निर्माण किया गया। यह दरगाह सुमद्र में एक टापू पर स्थित है। जहां जाने के लिए एक कृतिम पूल का सहारा लेना पड़ता है। जो कि समुद्र के ऊपर बनाया गया है। किनारे से दरगाह तक पहुँचने का मार्ग रोमांच से भरा होता है। ज्वार- भाटा आने पर यह समुद्र में गायब सा हो जाता है। अपनी ऐसी ही अनेकों खासियतों की वजह से यह एक मुख्य इस्लामिक धार्मिक स्थल होने के साथ-साथ आकर्षक पर्यटन स्थल भी है। इसकी संरचना सफ़ेद संगमरमर की है, जो बेहद आकर्षक प्रतीत होती है।
4. तुंब ऑफ़ सलीम चिश्ती, फतेहपुर सिकरी शेख सलीम चिश्ती की समाधि उत्तर प्रदेश के फतेहपुर सीकरी नामक शहर में स्थित है। यह समाधी मुग़ल वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है। शानदार और बेहद खूबसूरत नक्काशियों से इस पवित्र इस्लामिक धार्मिक स्थल को सजाया गया है। इस कब्र का निर्माण महान मुगल शासक अकबर ने महान सूफी संत की स्मृति में करवाया था करवाया था।
इस्लाम का अर्थ होता है अल्लाह यानी एक ईश्वर को समर्पित हो जाना। इस्लाम पूरी दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा धर्म माना जाता है। जिसके विश्व भर में 1.8 बिलियन लोग यानि कुल जनसँख्या का 24.1% लोग इस्लामियत का अनुसरण करते हैं। कुरान को इस्लाम धर्म की सबसे पवित्र किताब के रूप में दर्जा हासिल है। इस पवित्र किताब को पढ़कर कई लोग अपना जीवन परोपकार को समर्पित कर देते हैं, और जीवन पर्यन्त दुसरो के लिए जीते है। तथा इनको किसी भी सांसारिक भौतिक वस्तु और पद आदि का लोभ नहीं होता। जो लोग इस महान स्तर को हासिल कर लेते है, इस्लाम में उन्हें सूफी संत कहा जाता है। सूफी संत अल्लाह के प्रिय होते हैं। और उनकी पुण्यतिथि के दिन उनकी समाधि स्थल और दरगाहों में उत्सव का आयोजन किया जाता है। जिसे उर्स के नाम से जाना जाता है।
संदर्भ:
http://www.theholidayindia.com/blog/islamic-pilgrimage-sites-india/
https://en.wikipedia.org/wiki/Urs
https://bit.ly/2OUaNPE
http://dargahinfo.com/
https://on.wsj.com/3c0KIY7
https://bit.ly/312XNdb

चित्र संदर्भ:
मुख्य चित्र में हाजी अली दरगाह को दिखाया गया है। (फ़्लिकर)
दूसरी तस्वीर में हजरतबल मंदिर को दिखाया गया है। (विकिपीडिया)
तीसरी तस्वीर दरगाह में अजमेर को दिखाती है। (फ़्लिकर)
चौथी तस्वीर में मुंबई में हाजी अली दरगाह को दिखाया गया है। (विकिपीडिया)
आखिरी तस्वीर में सलीम चिश्ती-सीकरी-फतेहपुर सीकरी के मकबरे को दिखाया गया है। (विकिपीडिया)
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