शांति, मानसिक शक्ति और साहस का पवित्र प्रतीक है, हाथी

स्तनधारी
05-03-2021 09:57 AM
Post Viewership from Post Date to 10- Mar-2021 (5th day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2733 107 0 0 2840
शांति, मानसिक शक्ति और साहस का पवित्र प्रतीक है, हाथी
काफी समय पूर्व से ही हाथी को भव्यता और संपन्नता का प्रतीक माना जाता रहा है। 125 वर्ग मील के एक क्षेत्र में विचरण करता या घूमता हुआ भारतीय हाथी प्रतिदिन 19 घंटे तक भोजन कर सकता है और प्रति दिन लगभग 220 पाउंड (Pound) गोबर का उत्पादन कर सकता है। इस प्रकार यह अंकुरित बीजों को फैलाने में अत्यंत उपयोगी है। हाथी मुख्य रूप से घास खाते हैं, हालांकि उन्हें बड़ी मात्रा में पेड़ की छाल, जड़ें, पत्ते और छोटे तने खाते हुए भी देखा गया है। इसके अलावा वे केले, चावल और गन्ने जैसे खाद्य फसलों को भी खाना पसंद करते हैं। चूंकि उन्हें दिन में कम से कम एक बार पानी पीने की ज़रूरत होती है, इसलिए वे हमेशा ताजे पानी के स्रोत के निकट मौजूद होते हैं। हाथी न केवल भारत और पूरे एशिया (Asia) में सांस्कृतिक महत्व का प्रतीक हैं, बल्कि वे जंगल और घास के मैदानों की संपूर्णता बनाए रखने में भी मदद करते हैं। मानव आबादी द्वारा हाथी के आवासों का उपयोग या अतिक्रमण करने की वजह से भारतीय हाथियों के लिए बहुत कम आवास स्थल अब मौजूद हैं। संरक्षित क्षेत्रों में अवैध अतिक्रमण और सड़कों या अन्य विकास के लिए जंगलों के कटान से उन्हें निवास स्थान का अत्यधिक नुकसान हुआ है। आवास नुकसान के कारण जहां हाथी अपने खाद्य स्रोतों और निवास स्थलों से दूर हुए हैं, वहीं वे अब एक पृथक आबादी के रूप में भी सीमित हो गये हैं, जो अब अन्य झुंडों के साथ मिश्रित नहीं हो सकते। आवास नुकसान के कारण अब हाथी वैकल्पिक खाद्य स्रोतों की तलाश में उन खेतों, बस्तियों आदि पर निर्भर हो गये हैं, जहां पहले कभी उनका निवास हुआ करता था। हाथी बड़े और विनाशकारी जानवर हैं, और छोटे किसान हाथी के हमलों के कारण एक रात में ही अपनी पूरी जीविका खो सकते हैं। हाथियों ने ऐसे बड़े कृषि कार्यों को नुकसान पहुंचाया है, जिनमें लाखों-करोड़ों रुपये की लागत आयी है। परिणामस्वरूप जवाबी कार्रवाई में हाथियों को अक्सर मारा जाता है।
सांस्कृतिक दृष्टि से हाथी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, इसलिए पारंपरिक प्रथाओं को जारी रखते हुए, आज भी भारत में हाथियों का उपयोग मंदिरों और धार्मिक उत्सवों में किया जाता है। विश्व पशु संरक्षण रिपोर्ट (Report) के अनुसार, भारत को "हाथियों को वश में करने" के लिए जाना जाता है, ताकि मनुष्यों द्वारा उनका उपयोग आसानी से किया जा सके। हाथी को अत्यंत पूजनीय हिंदू देवता भगवान गणेश का रूप भी माना जाता है, जो बाधाओं का निवारण करते हैं और सौभाग्य प्रदान करते हैं। हिन्दू धर्म में हाथी को भगवान गणेश का अवतार या प्रतिनिधि माना जाता है। इसके अलावा, लोगों का मानना है कि, एक दिव्य सफेद हाथी भगवान इंद्र ( जो कि, बारिश, तूफान आदि के देवता हैं) की सवारी भी है। इन पौराणिक और सांस्कृतिक हिंदू मान्यताओं ने हाथियों को शांति, मानसिक शक्ति और साहस के पवित्र प्रतीकों के रूप में स्थापित किया है। इन्हीं मान्यताओं का पालन करते हुए लोगों ने कई तरह से हाथियों की पूजा की और उनका इस्तेमाल किया। उदाहरण के लिए, राज्य की बहादुरी को दिखाने और अपने पद की प्रतिष्ठा को बढ़ाने के लिए राजाओं ने अपनी सेनाओं को मजबूत करने के लिए युद्ध के हाथियों को नियोजित किया। धार्मिक समारोहों और मंदिरों के अनुष्ठानों में हाथियों का उपयोग करने के लिए कुछ हाथियों को पालतू जानवर के रूप में भी रखा गया। केरल राज्य में, हाथियों से सम्बंधित अनेकों उत्सव और समारोह मनाए जाते हैं, जो स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटकों के लिये भी बहुत रोमांचक हैं। उदाहरण के लिए केरल के अनायदी गजमेला (Anayadi Gajamela) उत्सव में कई हाथियों को अलंकृत गहनों और विभिन्न सजावटी वस्तुओं से सजाकर उन्हें मंदिर परिसर में खड़ा किया जाता है। इसके बाद उन्हें अपने सिर को गर्व और प्रतिष्ठा के साथ ऊंचा उठाने का आदेश दिया जाता है। यह देखने में भले ही रोमांचक हो, लेकिन हाथियों के इन प्रदर्शनों के पीछे अप्रिय सच्चाई निहित है। हाथियों को उनके परिवारों से अलग कर ऐसा प्रशिक्षण दिया जाता है, जिसमें उन्हें असहनीय यातनाएं सहनी पड़ती हैं। बीबीसी (BBC) के अनुसार, भारत में 4,000 से भी अधिक हाथियों को कैद में रखा गया है, जिनमें से ज्यादातर असम, केरल, राजस्थान और तमिलनाडु में हैं। हाथियों के भयावह प्रशिक्षण के लिए महावत रखे जाते हैं, जो हाथियों को मानव के प्रति विनम्र बनाते हैं। कई बार बंदी हाथियों को खराब आहार और अपर्याप्त भोजन दिया जाता है, जिसके कारण उनकी आंतों, फेफड़ों आदि में संक्रमण की सम्भावनाएं अत्यधिक बढ़ जाती हैं। इसके अतिरिक्त, बंदी हाथियों के पास चरने और व्यायाम करने के लिए पर्याप्त जगह नहीं होती और वे विभिन्न प्रकार की बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं।
हाथियों की यह अवस्था कोरोना महामारी के कारण हुई तालाबंदी से और भी अधिक प्रभावित हुई है। हाथियों को मांस पेशियों में खिंचाव लाने और पाचन में सहायता के लिए प्रतिदिन 30 मील की पैदल दूरी तय करनी पड़ती है, किंतु महामारी के कारण हुई तालाबंदी से वे अपना नियमित अभ्यास नहीं कर पाये। कई हाथी तनावग्रस्त हुए, क्यों कि, अब वे पहले के समान न तो व्यायाम कर पा रहे थे और न ही पर्यटकों से मनोरंजन प्राप्त कर पा रहे थे। हाथी एक दिन में 200 किलोग्राम तक भोजन करते हैं, तथा इसमें प्रतिदिन 5,000 रुपये तक का खर्च आता है। हाथियों के रखरखाव के लिए सारा खर्च पर्यटन से ही प्राप्त किया जाता है, किंतु पर्यटन के बंद होने से एक पशु कल्याण संकट पैदा हुआ। कोरोना महामारी ने उन सभी समस्याओं को बढ़ा दिया है, जिनका हाथी पहले से ही सामना कर रहे थे। उपयुक्त सुविधा न मिलने के कारण हाथी तनाव में आकर उग्र व्यवहार प्रदर्शित कर रहे हैं तथा एक-दूसरे पर हमला कर अपने जीवन को नष्ट कर रहे हैं।

संदर्भ:
https://bit.ly/3edMfvl
https://bit.ly/30dUNuc
https://bit.ly/3e911U5

चित्र संदर्भ:
मुख्य चित्र में हाथी और एक हाथी का बच्चा दिखाया गया है। (पिक्साबे)
दूसरी तस्वीर में जंगली हाथी को दिखाया गया है। (अनस्प्लैश)
तीसरी तस्वीर अनायदी गजमेला दिखाती है। (यूट्यूब)
पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.