नवीकरणीय क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने और ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने में उपयोगी है, लिथियम की खोज

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24-02-2021 10:11 AM
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नवीकरणीय क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने और ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने में उपयोगी है, लिथियम की खोज
भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग ने कर्नाटक के मंडला जिले में 1600 किलोग्राम लिथियम (Lithium) की खोज की है। यह खोज अत्यधिक महत्वपूर्ण है, क्यों कि, भारत लंबे समय से लिथियम के आयात पर निर्भर है, जिसे विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। तापमान अस्थिरता के लिए प्रतिरोधक के रूप में लिथियम को कांच और सिरेमिक (Ceramic) में मिलाया जाता है। इसका उपयोग ताप प्रतिरोधी ग्रीस (Greases) और स्नेहकों (Lubricants) में किया जाता है, हल्के वजन के हवाई घटकों (Aerial components) के लिए इसे एल्यूमीनियम (Aluminum) और तांबे के साथ भी मिश्रित किया जाता है। लिथियम का उपयोग मनोचिकित्सा सम्बंधी इलाज और डेंटल इम्प्रिंट्स (Dental imprints) में भी किया जाता है। दो लिथियम आइसोटोप (Isotopes) के ज्वलक (Lighter) का उपयोग ट्रिटियम (Tritium) के उत्पादन में किया जाता है, जो परमाणु हथियारों का एक प्रमुख घटक है। इनके अलावा लिथियम का सबसे व्यापक और प्रसिद्ध उपयोग लिथियम-आयन बैटरी (Li-ion battery) के रूप में है। अक्षय या नवीकरणीय ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित करने के साथ, स्थायी बैटरी महत्वपूर्ण आकर्षण प्राप्त कर रही हैं, क्यों कि इसे पारंपरिक, ईंधन से चलने वाली बैटरी का एक अच्छा विकल्प माना जाता है। लिथियम आयन बैटरी के कुछ सबसे सामान्य अनुप्रयोग पॉवर बैकअप (Power backup) उपकरण, मोबाइल फोन (Mobile phone), लैपटॉप (Laptops) और अन्य विद्युतीय सामग्रियां हैं। भारत में लिथियम आयात पर काफी धन खर्च किया जाता है। 2017 से 2020 के बीच लिथियम के आयात बिल (Bill) में तीन गुना वृद्धि हुई। चूंकि, भारत का लक्ष्य दुनिया के सबसे बड़े विद्युतीय या इलेक्ट्रिक (Electric) वाहन बाजारों में से एक बनना है, इसलिए यहां लिथियम की मांग बढ़ती जा रही है। नीति आयोग ने 2030 तक इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या को 30 प्रतिशत तक बढ़ाने का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। भारत वर्तमान में अपनी इलेक्ट्रिक बैटरी आपूर्ति के लिए चीन (China), जापान (Japan) और ताइवान (Taiwan) जैसे अन्य देशों पर निर्भर है। लिथियम की खोज से आयात निर्भरता कम होगी और ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत के साथ मेक इन इंडिया (Make in India) के विचार को बढ़ावा मिलेगा।
सार्वजनिक क्षेत्र और निजी कम्पनियों ने भी नवीकरणीय बाजार में लिथियम संचालित इलेक्ट्रिक बैटरी की क्षमता को मान्यता दी है। टाटा (TATA) भारत में बनी लिथियम-आयन बैटरी पर काम कर रही है। भारत ने वैज्ञानिक-तकनीकी सहयोग स्थापित करने के लिए लिथियम के क्षेत्र में अर्जेंटीना (Argentina) के साथ एक सहमति ज्ञापन (Memorandum of Understanding - MoU) पर भी हस्ताक्षर किए हैं। इसके अलावा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन भी इन बैटरियों के निर्माण का कार्य कर रहा है, हालांकि उनके द्वारा निर्मित बैटरियों की मात्रा वर्तमान समय में सीमित है। इसके अलावा, 2019 में भारत और ऑस्ट्रेलिया (Australia) ने भी लिथियम व्यापार के संबंध में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। कुछ समय पूर्व शुरू हुई प्रोड्क्शन लिंक्ड इनसेंटिव (Production-Linked Incentive) योजना लिथियम-आयन सेल (Cell) के विनिर्माण को बढ़ावा देती है। 18,000 करोड़ रुपये की सरकारी सब्सिडी (Subsidy) का लाभ उठाने की उम्मीद के साथ कम्पनियां देश में लिथियम आयन सेल का उत्पादन करने के लिए अपनी योजनाओं में तेजी ला रही है। इस प्रकार संघ सरकार द्वारा घोषित प्रोड्क्शन लिंक्ड इनसेंटिव योजना लिथियम आयन सेल के स्थानीय विनिर्माण को शुरू करने के लिए कंपनियों को प्रेरित कर रही है।
लीथियम को अत्यधिक महत्व दिया जा रहा है, क्यों कि आधुनिक ऊर्जा स्पेक्ट्रम (Spectrum) के नवीकरणीय क्षेत्र में यह बहुत उपयोगी होगा। उदाहरण के लिए विभिन्न क्षेत्रों में बिजली की मांग को पूरा करने के लिए लिथियम-आयन बैटरी एक समाधान के रूप में काम कर सकती है। इसका ऊर्जा घनत्व बहुत अधिक होता है, जिससे इसका उपयोग अपेक्षाकृत लंबे समय तक किया जा सकता है। यह उपयोग में हो चाहे नहीं, इसकी स्व-निर्वहन या सेल्फ़ डिस्चार्ज (Self discharge) दर बहुत कम होती है। पारंपरिक बैटरियों में हानिकारक रसायनों का रिसाव होता है, और इसलिए अधिक रखरखाव की आवश्यकता होती है, किंतु लिथियम आयन बैटरी के लिए न्यूनतम रखरखाव ही पर्याप्त होता है। लीथियम आयन बैटरियां लगभग सभी आकारों में मौजूद हैं, जिससे उपयोगकर्ता अपनी आवश्यकता के अनुसार बैटरी का चयन कर सकते हैं। बेंचमार्क मिनरल इंटेलिजेंस (Benchmark Mineral Intelligence) की रिपोर्ट (Report) के अनुसार, 2014 से 2017 के बीच लिथियम बैटरी की कीमत में प्रति वर्ष 16.5% की गिरावट आई, तथा 2017 से 2020 के बीच यह गिरावट 5.8% थी। इससे यह उम्मीद की जा सकती है, कि लीथियम-आयन बैटरी द्वारा संचालित उपकरण विशेष रूप से इलेक्ट्रिक वाहन भविष्य में सस्ते होंगे। लिथियम की खोज भारत को नवीकरणीय क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने और ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, हालांकि, इस क्षेत्र में अभी बहुत काम किया जाना बाकी है।

संदर्भ:
https://bit.ly/37EhcVj
https://bit.ly/3aMkyYB

चित्र संदर्भ:
मुख्य तस्वीर लिथियम और लिथियम-आयन बैटरी दिखाती है। (pxhere)
दूसरी तस्वीर दिखाती है कि लिथियम बैटरी कैसे काम करती है। (विकिमीडिया)
तीसरी तस्वीर में बेंचमार्क मिनरल इंटेलिजेंस दिखाती है। (विकिमीडिया)
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