फिल्मी पोस्टर

द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य
03-02-2021 01:24 PM
Post Viewership from Post Date to 08- Feb-2021 (5th day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2999 98 0 0 3097
फिल्मी पोस्टर

आकर्षक रंगों में फ़िल्म के किसी दृश्य में नायक-नायिका की तस्वीर वाले पोस्टर फ़िल्म की तरफ एक बड़े दर्शक वर्ग को आकर्षित करने तथा उसे लोकप्रिय बनाने में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं। एक फ़िल्म के पोस्टर में अमूमन फ़िल्म के नायक-नायिका, फ़िल्म का कोई दृश्य या कई दृश्यों का एक कोलाज शब्दों में कुछ जानकारी जैसे- फ़िल्म का नाम, निर्देशक, निर्माता तथा कहानीकार आदि होते हैं। इन पोस्टरों का उद्देश्य फ़िल्म की कथा को एक ही दृश्य से काफी बड़ी संख्या में दर्शकों को परिचित कराना है। पोस्टर अपने उद्देश्य में सफल हो सके इसके लिए लोकप्रिय परंपराओं, लोक एवं आधुनिक कलाओं का साथ लिया जाता था। भारत जैसे विविधता वाले देश में भाषा तथा धार्मिक सीमाओं से परे जाने के लिए पोस्टर में शब्द कम से कम रखे जाते थे और चित्र पर ही सब कुछ कहने का दायित्व होता था। जितना लिखा जाता उसके लिए भी कम से कम दो या तीन भाषाओं का प्रयोग होता था।
वैसे भारत में फ़िल्मी पोस्टर का चलन भी फ़िल्मों की तरह हॉलीवुड (Hollywood) से आया है। दुनिया में सबसे पहले फ़िल्म के लिए पोस्टर का प्रयोग 1895 में आई फ्रेंच (French) फ़िल्म ल अरुरस अरोस (L'Arroseur Arrosé) के लिए हुआ था। भारतीय फ़िल्म जगत में पोस्टर का प्रयोग फ़िल्मों के इतिहास की दृष्टि से काफी पुराना है। 1913 की दादा साहब फाल्के द्वारा बनाई गई भारत की पहली फिल्म राजा हरिश्चंद्र को पहली बार प्रिंट मीडिया के द्वारा विज्ञापित किया गया। परंतु लिमका बुक ऑफ रिकॉर्ड्स (Limca Book of Records) के अनुसार पोस्टर का प्रयोग पहली बार फ़िल्म माया बाज़ार (1923) के लिये हुआ था। यह पोस्टर बाबूराव पेंटर ने हाथ से बनाया था। हालांकि सबसे पुराना जीवित बचा हुआ पोस्टर पुरस्कृत फ़िल्म कल्याण खजिना (Kalyan Khajina) (1924) का है। शिवाजी को वीर और भद्र रूप में दिखाने वाला यह पोस्टर भी बाबूराव ने ही बनाया था।
उस समय के पोस्टर पहले हाथ से कैनवस पर बनते फिर उन्हीं की नकल कागजों पर छप जाती। तब ज्यादातर थियेटर कंपनियां फ़िल्मों के विज्ञापन के लिये पोस्टर की जगह प्रिंट मीडिया का प्रयोग करती थी। भारत की पहली बोलती फ़िल्म आलमआरा को भी उस समय के लोकप्रिय तरीकों जैसे समाचार-पत्र में विज्ञप्ति छपवाकर या पर्चे बटवाकर प्रचारित किया गया। हालाँकि 30 के दशक के कई और फ़िल्मी पोस्टर भी मिले हैं, जैसे- Song of Life (Bhikharan, 1935) और Duniya Na Mane (The Unexpected) (1937)।
1950 के दशक के पोस्टर्स में चटकीले रंगों का अधिक प्रयोग और नायक-नायिका के भावों को अधिक प्रभावशाली बनाने पर ध्यान दिया जाने लगा। इस दौर में ही फ़िल्म की किसी तस्वीर को पोस्टर की तरह प्रयोग करने का चलन शुरू हुआ। 1953 में आई बिमल रॉय की फ़िल्म दो बीघा ज़मीन के लिए उपरोक्त्त दोनों प्रकार के पोस्टर बनाए गए थे।
1970 के दशक के पोस्टर में रंगों और भावों की अपेक्षा स्टाइल की ओर अधिक ध्यान दिया गया। अब पोस्टर को किसी एक खास दर्शक वर्ग को आकर्षित करने के बनाया जाने लगा, जैसे, फ़िल्म बॉबी के लिये बनाए गए पोस्टर युवा वर्ग में फ़िल्म के प्रति रुचि जगाने पर केन्द्रित थे।
बाद के समय में फ़िल्म के एक नहीं बल्कि कई दृश्यों का हाथों से बने बैकग्राउंड पर कोलाज बना कर पोस्टर बनने लगे। फ़िल्म अमर अकबर एंथनी के तीनों नायक और तीनों नायिकाओं को पोस्टर में कोलाज बना कर ही जगह दी गई थी।
1990 के दशक से डिजिटल प्रिंट वाले पोस्टर का चलन शुरू हुआ। 1995 की बेहद लोकप्रिय फ़िल्म दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे के लिए ऐसे ही पोस्टर का प्रयोग हुआ था। आधुनिक पोस्टर पहले जितने लोकप्रिय नहीं रहे परंतु अब भी छोटे शहरों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में उनकी प्रासंगिकता है।

संदर्भ:
https://www.india-seminar.com/2003/525/525%20ranjani%20mazumdar.htm
https://www.amity.edu/gwalior/jccc/pdf/jcc-journal-december-2017-78-84.pdf
https://en.wikipedia.org/wiki/Film_poster
https://bit.ly/36yYdLh
https://blog.scienceandmediamuseum.org.uk/decoding-the-bollywood-poster/
चित्र संदर्भ:
मुख्य तस्वीर में भारत में फिल्म के पोस्टर दिखाए गए हैं। (पिक्साहिव)
दूसरी तस्वीर कल्याण काजीना 1924 को दिखाती है - फिल्म के कलाकारों के साथ अवार्ड विनिंग पोस्टर दिखाए गए हैं। (prarang)
तीसरी तस्वीर दुनिया में पहला फिल्म पोस्टर दिखाती है। (विकिमीडिया)
आखिरी तस्वीर दीवार पर फिल्म के पोस्टर दिखाती है। (विकिमीडिया)
पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.