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यद्यपि भारत के सूखे मेदान उनके चट्टानी रास्तों (जो घास और झाड़ियों के साथ बिंदीदार हैं) के साथ बंजर दिख सकते हैं, लेकिन वे जीवन से रहित नहीं हैं। यह भारत के बड़े चार जहरीले सांपों और असंख्य अन्य प्राणियों का आवास है। इन सूखे मैदानों के सबसे कौशलपूर्ण निवासियों में से एक निश्चित रूप से फैन-थ्रोटेड छिपकली (Fan Throated Lizard) है। फैन-थ्रोटेड छिपकली पूर्वी प्रायद्वीपीय भारत में पाए जाने वाली एगेमिड (Agamid) छिपकली की एक प्रजाति है। फैन-थ्रोटेड छिपकली दक्षिण-पूर्व एशिया के कुछ हिस्सों में ही सीमित हैं, वहीं भारत में इसकी पहली प्रजाति कथित तौर पर 1829 में पाई गई थी और उसके बाद, इनकी केवल छह और अन्य प्रजातियां पाई गईं: तीन नेपाल से, दो श्रीलंका से और एक भारत से। 2016 में भारत के सूखे क्षेत्रों में इसकी पांच नई प्रजातियाँ पाई गई, जिसके बाद शोधकर्ताओं द्वारा इन पर शोध करना शुरू किया और इससे पहले फैन थ्रोटेड छिपकली के बारे में बहुत कम जानकारी मौजूद थी।
यह प्रजाति ज्यादातर खुले मैदानों में सूखे जंगलों में ज़मीन पर पाई जाती है और यदि इन्हें छेड़ा जाता है तो ये एक द्विपादी चाल के साथ भाग जाते हैं। इस प्रजाति की छिपकलियाँ अधिकतम 8 इंच तक लंबी होती हैं, जिसमें से इनकी पूंछ 5 इंच लंबी होती है। इनमें नर छिपकली के गले में पंखे के आकार का गलकम्बल मौजूद होता है, जो मादा छिपकली में मौजूद नहीं होता है। नर इन गलकम्बल को प्रजनन के वक्त मादा को आकर्षित करने के लिए फड़फड़ाते हैं। ऐसा करते समय वे आमतौर पर किसी ऊंची ज़मीन या पेड़ पर चढ़ जाते हैं और अपनी पीठ को ऊपर की ओर उठाते हुए अपनी गर्दन के नीचे के इस गलकम्बल को फैलाते हैं। साथ ही इस प्रदर्शन के दौरान सिताना (Sitana) वंश के नर अक्सर अपने सिर को ऊपर और नीचे हिलाते हैं, जबकि सारादा (Sarada) सिर को बाएँ और दाएँ हिलाते हैं। वहीं इनकी सभी प्रजातियों में कई भिनताएं मौजूद है जो एक प्रजाति को दूसरे से अलग करती हैं, जैसे आकारिकी, गलकंबल के आकार और रंग सहित।
फैन-थ्रोटेड छिपकली की प्रजातियों का संक्षिप्त विवरण निम्न पंक्तियों में देख सकते हैं :-
1. सिताना विसिरी (Sitana visiri) :- रेतीले तटों और घास के मैदानों में निवास करने वाली इस प्रजाति का गलकम्बल धड़ की लंबाई के 56% में फैला हुआ होता है। यह किनारे पर दाँतेदार होता है इसलिए यह ताड़ के पत्ते से मिलता-जुलता दिखता है, और इसलिए इसे तमिलनाडु (जहाँ ये छिपकली पाई जाती हैं) की भाषा में विसिरी कहा जाता है क्योंकि तमिल में विसिरी का अर्थ होता है ताड़पत्र। वहीं इसके इंद्रधनुषी सफेद गलकम्बल में एक प्रमुख नीली लकीर और नारंगी धब्बे होते हैं।
2. सिताना स्पाइनेसेफालस (Sitana spinaecephalus) :- वहीं सिताना स्पाइनेसेफालस आमतौर पर गुजरात और महाराष्ट्र राज्यों के तराई और ऊंचे इलाकों में पाए जाते हैं। इन्हें घास के मैदानों और नदी के तल में टहनियों और चट्टानों पर भी देखा गया है। इनमें धड़ की लंबाई के 45% हिस्से में फैला हुआ एक बड़ा गलकम्बल होता है। इसका गलकम्बल एक नीली पट्टी और भूरे रंग के धब्बों के साथ पीले रंग का होता है।
3. सिताना लैटिस (Sitana laticeps) :- यह समुद्र तल से 1683 से 3051 फीट (513 से 930 मीटर) की ऊंचाई पर घास और झाड़ियों के साथ बिंदीदार चट्टानी इलाकों में पाया जाता है। यह प्रजाति महाराष्ट्र के पुणे शहर के आसपास की पहाड़ियों तक सीमित है। सिताना लैटिफ़स के निचले जबड़े पर नीले रंग की लकीर के साथ एक थोड़ा दाँतेदार, मध्यम आकार का, धूमिल सफ़ेद रंग का गलकम्बल होता है। मई, जून और अगस्त के दौरान नर चट्टानों पर दिखाई देते हैं।
4. सारादा डार्विनी (Sarada darwini) :- यह प्रजाति समुद्र तल से 1804 से 2231 फीट की ऊंचाई पर दक्षिण महाराष्ट्र और उत्तरी कर्नाटक के घास के मैदानों और कपास के खेतों में पाई जाती है। इसके गलकम्बल में इंद्रधनुषी नीले, काले और नारंगी धब्बे होते हैं। यह गहरी भूमिगत दरारों में रहते हैं और इन्हें कभी-कभी घास, टहनियों, चट्टानों और टीलों पर आनंद लेते हुए देखा जा सकता है। प्रजनन मई में होता है और अंडों से इनके बच्चे अक्टूबर में निकलते हैं। वहीं लैंगिक दृष्टि से परिपक्व नरों में इंद्रधनुषी नीले, काले और नारंगी धब्बों के साथ इनके गलकम्बल में पीले रंग की धारियाँ होती हैं।
5. सारादा सुपरबा (Sarada superba) :- धड़ के 59% हिस्से में फैला हुआ शारदा सुपरबा का गलकम्बल सभी पाई गई पांच नई प्रजातियों में सबसे बड़ा है। इनके गलकम्बल में इंद्रधनुषी नीले के साथ काले और नारंगी रंग के धब्बे मौजूद हैं।
छिपकली उच्च पठार 3609 से 4265 फीट (1100 से 1300 मीटर) दक्षिणी महाराष्ट्र में समुद्र तल से ऊपर रहना पसंद करती है। यह चट्टानों और दरारों के बीच छिपे पाए जा सकते हैं। सारदा सुपरबा के पुरुष अत्यधिक क्षेत्रीय होते हैं। जब कोई प्रतिद्वंद्वी इनके पास आता है, तो वह अपने क्रेस्ट (Crest) को उठाकर उसे चेतावनी देते हैं।
साथ ही कुछ नई खोज में पाया गया है कि वर्तमान समय में भारत में इनकी लगभग 7 प्रजातियाँ मौजूद हैं और पूरे दक्षिण एशिया में लगभग 12 प्रजाति पाई जाती हैं। शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि उन्हें अन्य अनन्वेषित क्षेत्रों में इनकी ओर अधिक प्रजातियाँ मिल सकती हैं। वहीं शोधकर्ताओं की एक समूह ने तिरुवनंतपुरम के तटीय क्षेत्रों से रंगीन फैन-थ्रोटेड छिपकली की एक नई प्रजाति की खोज की है। वंश सिताना से संबंधित नई प्रजातियों को सर डेविड फ्रेडरिक एटनबरो (Sir David Frederick Attenborough - अनुभवी प्रसारक और प्रकृतिवादी) के नाम पर सिताना एटेनबरोबी (Sitana attenboroughii) नाम दिया गया है।
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