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करंजा या मिलेशिया पिन्नाटा (Millettia Pinnata) पेड़ जौनपुर में पाया जाने वाला बहुत उपयोगी वृक्ष है। आम पेड़ों से होने वाले फ़ायदों के साथ-साथ यह भारत में वैकल्पिक ऊर्जा का भी स्रोत है। यह मटर प्रजाति का होता है। अक्सर इसे पोंगामिआ पिन्नाटा (Pongamia Pinnata) भी कहते हैं। 15-20 मीटर ऊँचे पेड़ का चंदवा (Canopy) काफ़ी फैला हुआ होता है। यह थोड़े समय के लिए झड़ने वाला पेड़ होता है। पत्तियाँ शुरू में मुलायम और चमकीली होती हैं, बाद में गाढ़े रंग की हो जाती हैं। 3 से 4 साल में इसमें फूल आने शुरू होते हैं। सफ़ेद, बैंगनी और गुलाबी रंग के फूल पूरे साल खिलते हैं। ये नम और उपोष्णकटिबँधीय इलाक़ों में पूरे विश्व में पाए जाते हैं। रेतीली और चट्टानी सतहों पर इन पेड़ों के जंगल तैयार हो जाते हैं। घने छायादार पेड़ों से भाप कम बनती है।
उपयोग :
सूखे इलाक़ों में भी मिलेशिया पिन्नाटा अच्छे से विकसित होते हैं। इसके बहुत पारम्परिक उपयोग हैं। फूलों का खाद बनाने में उपयोग होता है। इसकी छाल से रस्सी बनाई जाती है। इससे एक काले गोंद का स्राव होता है। इसका उपयोग मछली के जहर के रूप में किया जाता है, क्योंकि पोंगामिआ पिन्नाटा मछली के लिए विषाक्त होता है।
लकड़ियों का ईंधन, औज़ारों के हत्थे आदि बनाने में उपयोग होता है। चूँकि इससे निकले तेल और तलछट ज़हरीले होते हैं, इनके प्रयोग से बचना चाहिए। इसके फलों, अंकुरित दालों, बीजों का उपयोग पारम्परिक इलाजों में होता है। पौधों से निकले जूस और तेल रोगाणुरोधक होने के साथ-साथ कीटों को नष्ट कर देते हैं। 6 मीटर गहरे तालाबों में भी इन्हें उगाया जा सकता है और ये पौधों से डीज़ल उत्पादन के भी काम आता है। तेल की तलछट खाद बनाने और जुगाली करनेवाले पशुओं के लिए चारे के तौर पर तथा भेड़ों और मुर्गियों के पालन में इस्तेमाल होती है।
पेड़ की पार्श्व जड़ें मिट्टी के कटाव को नियंत्रित करती हैं और रेत के टीलों को बांधने का काम करती हैं। मिलेशिया पिन्नाटा से पोंगानिआ तेल निकलता है। इस तेल के कई नाम हैं, जैसे कानूगा तेल, करंजा तेल और पंगई तेल। इस तेल का इस्तेमाल दियों में, चमड़े की सफाई, साबुन बनाने और चिकनाई के रूप में हज़ारों सालों से होता आ रहा है। इसकी ख़राब महक के कारण इसे खाना बनाने के काम में तो इस्तेमाल नहीं किया जाता लेकिन पारम्परिक दवाइयों में त्वचा और यकृत सम्बंधी रोगों के उपचार में किया जाता है। पोंगानिआ तेल से बायोडीज़ल (Bio-diesel) बनाया जाता है। इससे डीज़ल के संकट से मुक़ाबला किया जा सकता है, इसलिए यह अक्षय ऊर्जा का एक स्रोत भी है।
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