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इधर जौनपुर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भारत की ब्रिटिश राज से मुक्ति के लिए संघर्ष कर रहे थे और उधर अंग्रेज अमेरिका के साथ मैनहैटन परियोजना (Manhattan Project में व्यस्त थे। अमेरिका ने सबसे पहले नाभिकीय हथियार बनाए थे। जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहरों पर परमाणु बमबारी ने दुनिया की सबसे बड़ी तबाही का भयावह इतिहास रच दिया। अब तक सशस्त्र मुकाबले में नाभिकीय हथियारों का यह अकेला उदाहरण है। इस मामले ने वैश्विक स्तर पर नाभिकीय शस्त्रों के इस्तेमाल पर रोक की आवश्यकता को पैदा किया। न्यूक मैप वेबसाइट (Nuke Map Website) पर प्रति शहर हुए नुकसान का अलग-अलग विवरण मिल जाता है।
मैनहैटन परियोजना: एक परिचय
दूसरे विश्व युद्ध के समय यह एक शोध और विकास संबंधी परियोजना थी, जिसने पहले नाभिकीय हथियार बनाए। यह अमेरिका और इंग्लैंड का संयुक्त प्रयास था। इसमें कनाडा भी शामिल था। अमेरिका के इंजीनियरों की सेना के मेजर जनरल लेस्ली ग्रोव्स (Major General Leslie Groves) के हाथ में इसकी कमान थी। नाभिकीय भौतिकविद रॉबर्ट ओप्पेन्हेइमेर (Robert Oppenheimer) लॉस एलामोस प्रयोगशाला (Los Alamos Laboratory) के उस समय निदेशक थे, जिसने वास्तविक बम डिजाइन किए थे। पूरी परियोजना का कोड नाम था वैकल्पिक सामग्री का विकास( डेवलपमेंट ऑफ सब्स्टिट्यूट मटेरियल (Development of Substitute Materials))। 1939 में मैनहैटन परियोजना शुरू हुई। 130000 से ज्यादा लोगों को इसमें रोजगार मिला और 2 बिलियन यूएस डॉलर इस पर खर्च हुए। 90% फैक्ट्रियों के निर्माण और 10% से कम हथियारों के विकास और निर्माण पर व्यय हुआ। शोध और निर्माण अमेरिका, इंग्लैंड और कनाडा के 30 से ज्यादा स्थानों में हुआ।
हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बमबारी
6 और 9 अगस्त 1945 को अमेरिका ने हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए। इस बमबारी में 130000 और 226000 लोगों की मौत हुई, जिनमें से ज्यादातर शहरी नागरिक थे। 8 मई 1945 को जर्मनी के समर्पण के साथ यूरोप में युद्ध शांत हो गया। जुलाई 1945 में मैनहैटन परियोजना ने दो प्रकार के परमाणु बम बनाए - फैटमैन (Fatman), जो एक प्लूटोनियम (Plutonium) आधारित बम था और लिटिल बॉय (Little Boy), जो यूरेनियम (Uranium) आधारित था। अमेरिका की हवाई सेना के 500 सैनिकों के समूह को विशेष प्रकार के सिल्वर प्लेट (Silver Plate) के बोइंग बी 29 सुपरफोट्र्रस (Boeing B-29 Superfortress) विमानों को उड़ाने का प्रशिक्षण दिया गया। 26 जुलाई 1945 को इंपीरियल जापानी सेना (Imperial Japanese Army) को बिना शर्त समर्पण अन्यथा त्वरित और बड़े विनाश की धमकी की चेतावनी दी गई। जापान ने इसकी अनदेखी की और लड़ाई फिर से शुरू हो गई।
जापान ने 15 अगस्त, 1945 को सोवियत रूस के जंग के ऐलान और नागासाकी पर बमबारी के 6 दिन बाद समर्पण किया। 2 सितंबर, 1945 को लड़ाई बंद हो गई किन्तु इस बमबारी से हुए सामाजिक-राजनीतिक प्रभाव पर पूरे विश्व में शोध और मंथन हुआ। अभी भी इसके नैतिक और कानूनी औचित्य पर प्रश्नचिन्ह जारी है। ऐसे में फिर से विश्व स्तर पर नाभिकीय निरस्त्रीकरण की जरूरत सामने आती है। संयुक्त राष्ट्र के तमाम प्रयासों के बावजूद नाभिकीय निरस्त्रीकरण की बात बीच में ही रुक गई है क्योंकि संभावित नाभिकीय युद्ध की आशंका के चलते प्रत्येक देश अपनी सुरक्षा के लिए नाभिकीय हथियार बनाना चाहते हैं।
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