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जौनपुर में पशुओं के लिए चारा और खाद्य फसल के रूप में आलू का बहुत महत्व है। आलू का सूखा भाग उसके पोषण और प्रसंस्करण (Processing) दोनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सूखे आलू की गुणवत्ता, संसाधित उत्पाद के उत्पादन को सीधे प्रभावित करती है। यह तले हुए उत्पादों में तेल अवशोषण दर को भी प्रभावित करती है। फ्राइंग ऑयल (Frying Oil) की लागत, प्रसंस्करण लागत में प्रमुख घटक है और इसलिए प्रक्रमक (Processor) द्वारा प्रसंस्कृत उपज की मात्रा अधिकतम करने और तेल की लागत को कम करने के लिए न्यूनतम सूखे पदार्थ या द्रव्य के स्तर के साथ आलू प्राप्त करने की कोशिश की जाती है। सूखे आलू की गुणवत्ता कई कारकों पर निर्भर करती है जैसे, मिट्टी की उर्वरकता (तापमान, नमी, पोषक तत्व), मौसम की भिन्नता (सूरज और बारिश) और वर्ष के किस समय में फसल को बोया जा रहा है आदि। खपत के लिए, आलू को अक्सर किसी तरह से संसाधित किया जाता है, उदाहरण के लिए उबला हुआ, तला हुआ या बेक (Bake) किया हुआ। यह एक बहुत लोकप्रिय स्नैक (Snack) भी है, और आलू से अक्सर गहरे तले (Deep Fry) हुए (चिप्स- Chips, फ्रेंच फ्राइज़- French Fries) बनाए जाते हैं। उद्योग में यह बहुत महत्वपूर्ण है कि उनके द्वारा बेचे जाने वाले उत्पाद हर बार समान हों। यदि चिप्स का उत्पादन किया जाता है, तो सभी चिप्स को एक ही रंग का होना चाहिए, और सबमें एक जैसा कुरकुरापन भी होना चाहिए। मूल रूप से सभी उत्पादों को समान होना चाहिए। किंतु आलू के मामले में यह एक चुनौती बन सकता है। जब सूखे द्रव्य की बात आती है तो आलू बहुत विषम होता है। यह एक ही कंद, एक ही किस्म यहां तक कि एक ही बैच (Batch) के भीतर भिन्न-भिन्न होता है। इसलिए आलू उत्पादों को समान रंग, समान स्वाद, समान गुणवत्ता देने के लिए आलू में मौजूद सूखे द्रव्य की मात्रा का ज्ञान होना आवश्यक है।
वर्तमान समय में अनेक विधियां हैं, जिनकी सहायता से आलू के सूखे द्रव्य को मापा जा सकता है। इनमें फोर्स्ड एयर ओवन (Forced-air Oven), माइक्रोवेव (Microwave), खाद्य निर्जलीकरण (फूड डिहाईड्रेटर - Food Dehydrator) आदि हैं। फोर्स्ड एयर ओवन वाणिज्यिक फ़ीड (Feed) परीक्षण प्रयोगशाला में सूखे द्रव्य को मापने के लिए मानक विधि है, जिसमें फोर्स्ड एयर ओवन का प्रयोग किया जाता है।
इसमें आलू के नमूनों को आमतौर पर 100 ° से 105 ° सेल्सियस (Celsius) पर 24 घंटों के लिए सुखाया जाता है। माइक्रोवेव ओवन आलू सुखाने का एक अपेक्षाकृत त्वरित साधन प्रदान करते हैं और अधिकांश घरेलू रसोई में उपलब्ध हैं। माइक्रोवेव के उपयोग के साथ सबसे बड़ी चुनौती सुखाने के दौरान नमूने के जलने की संभावना है। जलने के जोखिम को कम करने के लिए लगातार निगरानी और कम सुखाने वाले अंतराल (30 सेकंड से 1 मिनट) आवश्यक होते हैं। माइक्रोवेव पावर (Microwave Power), नमूना आकार, और आलू के टुकडों की मोटाई के आधार पर सुखाने का समय भी अलग-अलग होता है। कई घरों में सूखे फल और मांस का जर्की (Jerky) तैयार करने के लिए फूड डिहाईड्रेटर का प्रयोग किया जाता है। यह आलू के नमूने को धीरे-धीरे सुखाता है। इस विधि में सुखाने की प्रक्रिया के दौरान न्यूनतम देख-रेख की आवश्यकता होती है और इसमें आलू प्रसंस्करण विधि के आधार पर लगभग 3 से 8 घंटे लगते हैं।
आलू के सूखे द्रव्य को मापने की एक अन्य तकनीक निकट अवरक्त स्पेक्ट्रोस्कोपी (Near Infrared Spectroscopy- NIRS) है। इसका उपयोग आंकडों को जल्दी प्राप्त करने और गैर-विनाशकारी तरीके से उत्पादों और कच्चे माल में विभिन्न घटकों की मात्रा का अनुमान लगाने के लिए किया जाता है। यह विधि आलू में तीव्र, लगातार और गैर-विनाशकारी रूप से सूखे द्रव्य की मात्रा की भविष्यवाणी कर सकती है। इसका प्रयोग आलू उत्पादों की गुणवत्ता में वृद्धि कर सकता है। इसकी सहायता से आलू उत्पाद निर्माता अपने उत्पादों के लिए उपयुक्त सूखे आलू की एक विशिष्ट श्रेणी में आलू खरीद सकते हैं। वर्तमान अध्ययन का मुख्य लक्ष्य यह देखना है कि विभिन्न परिस्थितियों में आलू के कंदों में सूखे द्रव्य की भविष्यवाणी करने के लिए एक मॉडल (Model) विकसित करना संभव है या नहीं। एनआईआरएस उपकरण की जांच अध्ययन का मुख्य उद्देश्य आलू कंदों की तीव्र, गैर-विनाशकारी ऑन-लाइन (Online) माप के लिए एक उपकरण के रूप में मॉडल की मजबूती का परीक्षण करना है। दूसरा उद्देश्य यह जांचना है कि विकसित मॉडल का उपयोग बड़ी मात्रा में आलू कंद में सूखे द्रव्य की भविष्यवाणी करने के लिए किया जा सकता है या नहीं। इसके अलावा अन्य उद्देश्य यह जांचना भी है कि एनआईआरएस उपकरण मापने के विभिन्न रूपों के तहत कितना मजबूत है। एनआईआर स्पेक्ट्रोस्कोपी ज्यादातर आलू के रासायनिक बंध के ओवरटोन (Overtones) के माप के साथ जुड़ा हुआ है। मध्य आईआर (IR) की तुलना में एनआईआर का उपयोग करने से एक लाभ यह है कि, इसकी सहायता से कच्ची या संसाधित सामग्री से आंकडे (Data) प्राप्त करना आसान है, और यह सभी चरणों (गैसों, तरल पदार्थ और ठोस) में नमूनों का अध्ययन कर सकता है। एनआईआरएस के लिए उपयुक्त होने वाले उपकरण भी अधिक संवेदनशील हैं, जिसका अर्थ है कि उच्च सिग्नल (Signal) से लेकर न्यून सिग्नल के अनुपात वाला स्पेक्ट्रा (Spectra) एक सेकंड से भी कम समय में मापा जा सकता है।
इससे आलू उत्पादों के उत्पादकों के लिए यह संभव होगा कि वे अपने उद्देश्यों के लिए उपयुक्त सूखी सामग्री वाले आलू के कंदों का अधिग्रहण करें। आलू की किस्मों का चयन विभिन्न उद्योगों में उनके उपयोग, त्वचा और उसके रंग की भिन्नता के आधार पर किया जा सकता है और इसका उपयोग बेहतर निर्णय लेने, पैसे बचाने और उत्पादकों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए अपव्यय को रोकने के लिए किया जा सकता है। आलू में सूखे द्रव्य स्तर को लगातार मापने के लिए एनआइआरएस का उपयोग करने से यह अनिश्चितता दूर होगी। यह दिलचस्प होगा कि आलू में सूखे द्रव्य की भिन्नता का व्यापक ज्ञान प्राप्त करने के लिए इस पद्धति को उद्योग में लागू किया जा सकता है।
चित्र में आलू द्वारा जनित उत्पादों को दिखाया गया है। (Prarang)
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