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जौनपुर शर्कियों के काल में एक बहुत बड़ी ताकत के रूप में उभर कर सामने आया तथा इसकी सीमाएं पूरब में बंगाल को, पश्चिम में दिल्ली को, उत्तर में नेपाल को और दक्षिण में मध्यप्रदेश को छूने लगी थी। ऐसे में यहाँ पर सीमाओं को लेकर खींच तान होना वाजिब सी बात थी। जौनपुर सल्तनत ने बंगाल के राजा गणेश को चुनौती दी और कालांतर में राजा गणेश को गद्दी से हटा दिया गया और उनके बाद उसका बेटा गद्दी का मालिक बन बैठा जिसने इस्लाम को स्वीकार कर लिया था। जौनपुर के शर्की राजा इब्राहिम शाह ने बंगाल पर लगातार हमले किये जो कि जलालुद्दीन मुहम्मद शाह के आधिपत्य में था। यह युद्ध सन 1415 से 1420 तक चलता रहा।
शाहरुख़ मिर्जा की अदालत में एक राजनयिक ने जब यह सन्देश दिया कि इन दोनों सल्तनतों की लड़ाई में कैसे कई परेशानियां उत्पन्न हो रही हैं तो शाहरुख़ मिर्जा (जो कि एक तिमुरिद शासक था) ने दोनों सल्तनतों के मध्य हस्तक्षेप किया। वहीं चीन के मिंग साम्राज्य के दस्तावेजों की यदि मानें तो चीन को भी इस युद्ध को शांत कराने के लिए आगे आना पड़ा। मिंग दस्तावेज़ों से 1405,1408,1409,1410, 1411, 1412, 1414, 1421, 1423, 1429, 1438 और 1439 में बांग्लादेश से मिंग की राजधानी नानजिंग के 12 दूतावास अभिलिखित हैं। इन अभिलेखों में चीन और बांग्लादेश के बीच आपसी संबंधों के साथ सक्रिय राज्य-संबंध भी पाया गया है। इसमें जौनपुर और बांग्लादेश के मध्य युद्ध की घटना का भी वर्णन मिलता है। 1420 में, बांग्लादेश के राजदूत एक शिकायत के साथ चीन पहुंचे कि उसके पड़ोसी जौनपुर ने उसके क्षेत्र पर आक्रमण किया था। हालांकि जौनपुर भी एक स्नेहशील राज्य था और इसका भी चीन के साथ राजनयिक और अन्य संपर्क थे। सम्राट चेंग्ज़ु ने तुरंत उपहारों के साथ जौनपुर के लिए एक दूत, हौ जियान को भेजा और अपने पत्र में जौनपुर के राजा को पड़ोसियों के साथ मित्रता बनाए रखने पर जोर दिया था। हौ जियान के नेतृत्व में दल अगस्त या सितंबर 1420 में बंगाल पहुंचा और उनका भव्य स्वागत किया गया था। हौ जियान का क्षेत्र में यह दूसरा दौरा था और इस बार वो अपने साथ मिंग सैनिकों को लाया था, बंगाल के शासक द्वारा इन सभी को चांदी के सिक्के भेंट किये गए थे। इस चीनी हस्तक्षेप के परिणाम का कोई अभिलेख नहीं है, तो संभवतः मिंग सम्राट के पत्र ने अपना कार्य कर दिया होगा। बंगाल और जौनपुर के मध्य शांति का संचार हुआ और इसकी पुष्टि उस घटना से होती है जब दिल्ली के लोदी वंश द्वारा आक्रमण के बाद जौनपुर के सुल्तान ने बंगाल में शरण ली थी। दिल्ली सुल्तान ने जौनपुर सुल्तान का पीछा करते हुए बंगाल पर हमला किया। सफलता न मिलने पर, दिल्ली सुल्तान ने बंगाल के साथ एक शांति संधि बनाने के बाद युद्ध समाप्त कर दिया था।A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
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