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पंछी जगत हमें कई पहलुओं के दर्शन कराते हैं इनकी सुन्दरता हमें स्तब्ध और मोहित दोनों करती है। पंछियों का इतिहास अत्यंत ही सुन्दर और मनमोहक है और इसका प्रमाण हमें प्राचीन काल से ही मनुष्यों की इसके प्रति हुए रुझान को देखने से मिलती है। एक शब्द है बायोफीलिया (Biophilia) जो कि जीवन या जीवित प्रणालियों के मध्य के उदगार को प्रदर्शित करती है। यह शब्द पहली बार एरिच फ्रॉम (Erich Seligmann Fromm, एक जर्मन यहूदी थे जो नाजी शासन छोड़कर अमेरिका में बस गए थे। वह एक सामाजिक मनोवैज्ञानिक, मनोविश्लेषक, समाजशास्त्री, मानवतावादी दार्शनिक और लोकतांत्रिक समाजवादी थे।) ने किया था, इसका मूल अर्थ जीवित तथा महत्वपूर्ण चीजों के प्रति आकर्षित होने वाले मनोवैज्ञानिक अभिविन्यास से है। एक अन्य व्यक्ति विल्सन (Edward O. Wilson) भी इस शब्द का प्रयोग उसी अर्थ में करते हैं। उन्होंने बताया कि मनुष्य का अन्य जीवन रूपों और प्रकृति के साथ गहरा सम्बन्ध है जो जीव विज्ञान में दर्शाया गया है।
पीटर कहन (Peter Kahn) और स्टेफेन केलर्ट (Stephen Kellert) के द्वारा संपादित की गयी पुस्तिका चिल्ड्रेन एंड नेचर: साइकोलोजिकल, सोसियोकल्चरल, एंड एवोल्यूशनरी इन्वेस्टिगेशन (Children and Nature: Psychological, Sociocultural, and Evolutionary Investigations) में उन्होंने बताया है कि उन लोगों में जानवरों आदि का महत्व या पालने की प्रवृत्ति विकसित होती है जिन्हें बच्चों के या इन प्राणियों के प्रति प्रेम विकसित हो जाता है। पंछी जगत कुछ ऐसा ही है जिससे मनुष्य सैकड़ों साल से प्रेम करते आ रहा है। पंछियों को मात्र उनकी खूबसूरती के लिए ही नहीं बल्कि उनके महत्व के लिए भी जानने की आवश्यकता है। जैकस कौस्तेऔ (Jacques Cousteau) ने एक बार कहा था कि मनुष्य उस चीज को ज्यादा संभाल के रखना चाहता है जिससे वह प्यार करता है, जिसे वह ज्यादा समझता है तथा जो उसे सिखाया जाता है।
पंछी हमारे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अत्यंत ही महत्वपूर्ण बिन्दुं है इसी लिए जब भी कोई पंछी विलुप्त होता है तब एक अत्यंत ही विशाल समस्या का जन्म होता है यह एक कारण है कि पंछियों की सुरक्षा और उनके बचाव की आवश्यकता है। वे मात्र सुन्दरता का ही साधन नहीं हैं बल्कि एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण घटक हैं। आज भी दुनिया की एक बहुत बड़ी आबादी पंछियों का सेवन करती है इसमें से ज्यादातर या तो संरक्षित पंछी हैं या अवैध तरीके से लाये गए। हाल ही में आयीं कई रिपोर्टों का दावा है कि पंछियों के सेवन से कई बीमारियों का आदान प्रदान होता है। यह टेक्सोनोमिक ट्रांसमिशन (taxonomy transmission) के नाम से जाना जाता है। इनसे होने वाली बीमारियाँ आम नहीं हैं इनमे से कुछ एचआइवी (HIV), इबोला (Ebola), रेबीज (Rabies) आदि जैसी बीमारियाँ भी शामिल हैं।
मॉस (Moss) भी हमें पछियों के व्युतपत्ति के विषय में कई अद्भुत विविधताओं को बताता है तथा पंछियों से लोगों के लगाव के इतिहास पर चर्चा करता है। मनुष्यों का लगाव पंछियों से बड़े लम्बे समय से चला आ रहा है, लगाव के साथ साथ ही उनको मारने का भी या उनके आखेटन का भी एक लम्बा इतिहास रहा है। पंछियों को प्राचीन मूर्तियों में, चित्रों में एक महत्वपूर्ण स्थान के साथ प्रदर्शित किया गया है। पंछियों को वैसे दैनिक पात्रों के जीवन में अनदेखा किया गया है लेकिन इनको कलात्मक लेक्सिकान में चित्रित किया गया है। दुनिया भर के कितने ही कलाकारों ने इन पंछियों के ऊपर चित्र आदि बनाए जिसको दुनिया भर में कई प्रदर्शनियों आदि में भेजा गया। विभिन्न कलाकारों ने इन पंछियों के भिन्न भिन्न रूपों को उतारा जॉन जेम्स ऑडबोन के द बर्ड्स ऑफ़ अमेरिका (John James Audubon’s The Birds of America) में भी इस विषय पर चर्चा की गयी है।
चित्र सन्दर्भ:
1. मुख्य चित्र में इंसान का पक्षियों के साथ प्रेमाकर्षण दिखाया है। (piksql)
2. दूसरे चित्र में व्यंग्य चित्र के माध्यम से मनुष्य और पंछियों के रिश्ते को दिखाया है। (Pikist)
3. तीसरे चित्र में पक्षियों के सौंदर्य को दिखाया है, जो आत्मीय शांति प्रदान करता है। (Unsplash)
4. अंतिम चित्र में मनुष्य और पक्षियों के स्वाभाविक प्रेम का बखान है। (Wallpaperflare)
सन्दर्भ:
1. https://bit.ly/2Cle6sR
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Biophilia_hypothesis
3. https://bit.ly/2BeeR6r
4. https://bit.ly/2YaB3r3
5. https://bit.ly/37LtAC0
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