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गरमियाँ आते ही खीरे की मांग में भी काफी वृद्धि देखने को मिलती है। खीरे में पानी की भरपूर मात्रा होती है, इसलिए लोग गर्मी से राहत पाने के लिए इसका सहारा लेते हैं। लगभग 3000 वर्षों से उत्पादित किए जाने वाले खीरे की उत्पत्ति भारत में हुई थी और अभी तक इसकी कई किस्में पाई गई हैं, जिसमें सबसे आम कुकुमिस हिस्ट्रिक्स (Cucumis hystrix) है। शायद यूनानियों या रोमन द्वारा यूरोप के अन्य भागों में इसे पेश किया गया था। खीरे की खेती के आलेख 9 वीं शताब्दी में फ्रांस में, 14 वीं शताब्दी में इंग्लैंड में और 16 वीं शताब्दी के मध्य में उत्तरी अमेरिका में दिखाई दिए थे।
प्लिनी द एल्डर (Pliny the Elder) के अनुसार, सम्राट टिबेरियस (Tiberius) को गर्मियों और सर्दियों के दौरान दैनिक रूप से अपनी मेज पर खीरा चाहिए होता था। जिसके लिए संपूर्ण वर्ष खीरे की खेती करने के लिए रोमन ने कथित तौर पर कृत्रिम तरीकों (ग्रीनहाउस के समान) का उपयोग किया था। शारलेमेन (Charlemagne) ने 8 वीं / 9 वीं शताब्दी में अपने बागानों में खीरे उगाए थे। 14 वीं शताब्दी की शुरुआत में उन्हें कथित तौर पर इंग्लैंड में लाया गया था और इसके बाद लगभग 250 साल बाद फिर से पुन: प्रवेशित किया गया था। स्पेनियों (इतालवी क्रिस्टोफर कोलंबस (Italian Christopher Columbus) के माध्यम से) ने 1494 में हैती (Haiti) (आधिकारिक तौर पर 'हाइती गणराज्य' केरिबियन देश है।) में खीरे लाए।
16 वीं शताब्दी के दौरान, यूरोपीय तस्करों, व्यापारियों, गैवल हंटर्स और खोजकर्ताओं ने अमेरिका की स्वदेशी (Indigenous/Native american) कृषि उत्पादों के लिए बार्टर करना शुरू कर दिया। वहीं मैदानी और पर्वत की जनजातियों ने स्पेनिश से सीखा कि यूरोपीय फसलों को कैसे उगाया जाए। मैदानों के किसानों में मंडन (Mandan) और अबेनकी (Abenaki) शामिल थे। उन्होंने स्पेनिश से खीरे और तरबूज का उत्पादन करना सीखा और उन्हें उन फसलों में जोड़ा, जो पहले से ही बढ़ रही थीं, जिसमें मकई और सेम, कद्दू, स्क्वैश और लौकी के पौधे की कई किस्में शामिल हैं।
ऐसा माना जाता है कि मई 2011 ई. में कोलाई से संक्रमित खीरे के सेवन से लगभग दस लोगों की मृत्यु हुई थी, जिसके चलते जर्मनी, ऑस्ट्रिया और चेक गणराज्य में खुदरा विक्रेताओं द्वारा खीरे की बिक्री बंद कर दी गई थी। प्रकोप में काबू पाने के बाद, 2016 में खीरे का विश्व उत्पादन 80.6 मिलियन टन था, जिसका नेतृत्व चीन ने कुल 77% के साथ किया था। भारत में खीरे को 3,00,000 हेक्टेयर में और उगाए गए बीज के रूप में 50 टन संकर बीज और 800 टन ओपी (OP) बीज के रूप में लगभग रु. 60 करोड़ के बाजार मूल्य के साथ उगाए जाने का अनुमान है।
वहीं खीरे विभिन्न आकार और किस्मों में आते हैं, ऐसे ही खीरे की एक अद्भुत किस्म दोसाकाई है। ये थोड़ी रहस्यमयी किस्म है, क्योंकि कुछ शोध इसे ककड़ी परिवार का सदस्य बताते हैं, जबकि अन्य दावा करते हैं कि यह केवल एक नींबू ककड़ी है जिसे एक अलग नाम से जाना जाता है। हालांकि, दोसाकाई पारिभाषिक रूप में एक तरबूज है, लेकिन इनमें खीरे जैसी प्रवृत्ति देखी जा सकती है। वे थोड़े चित्ताकर्षक होते हैं, जिनमें धब्बेदार, ठोस या बाघ-धारीदार त्वचा होती है, इनका रंग गहरे हरे रंग से लेकर जीवंत सूर्यास्त नारंगी हो सकता है। ये आकार में काग़ज़ी नींबू की तरह छोटे या चकोतरे के जीतने बड़े भी हो सकते हैं।
दोसाकाई भारत का मूल फल है और उत्कृष्ट भारतीय भोजन के लिए एक आदर्श अनुरूप है। आप उन्हें अचार, चटनी और सांबर करी, एक दाल और मिश्रित सब्जी के सूप में नाश्ते या खाने के साथ खाते हुए देख सकते हैं। हालांकि इन्हें कच्चा खाया जा सकता है, लेकिन यदि पक्का कर खाया जाए तो ये काफी स्वादिष्ट होते हैं।
चित्र सन्दर्भ:
1. मुख्य चित्र में सामान्य खीरा और उसके कटे हुए छोटे छोटे टुकड़े दिखाई दे रहे हैं। (Pixabay)
2. दूसरे चित्र में एक और बेल पर लगे हुए खीरे, वही दूसरी और खीरे का अचार है। (Pexels, Flickr)
3. तीसरे चित्र में दोसकाई खीरा दिखाया गया है। (Wallpaperflare)
4. चौथे चित्र में खीरे का अचार है। (Picsql)
5. पांचवे चित्र में दोसकाई खीरे हैं। (freepik)
6. छठे चित्र में सब्जी बनाने वाले खीरे दिखाए गए हैं। (Wikimedia)
7. अंतिम चित्र में अब्राहम द्वारा बनायीं गयी पेंटिंग में लॉबस्टर के साथ खीरे को भी चित्रित किया है। (wikimedia)
संदर्भ :-
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Cucumber
2. https://www.feastmagazine.com/cook/mystery-shopper/article_3f36ad16-6611-11e9-85ca-130f693e1a4c.html
3. https://www.biologydiscussion.com/vegetable-breeding/cucumber-origin-production-and-varieties-india/68566
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