कोरोना के कारण मत्स्य व्यापार पर मंडराता हुआ संकट

मछलियाँ व उभयचर
14-05-2020 09:00 AM
कोरोना के कारण मत्स्य व्यापार पर मंडराता हुआ संकट

व्यापार में कभी नफा कभी नुकसान तो लगा ही रहता है परन्तु जब व्यापार अत्यंत ही सूक्ष्म हो और जिसमे नुकसान की गुंजाइश ज्यादा हो तो ऐसे में जीवन कितना कठिन हो सकता है इसका अंदाजा सिर्फ वे ही लगा सकते हैं जो कि उस माहौल से गुजरे हुए हों।

हाल की वैश्विक महामारी कोरोना (Corona) के कारण पूरा विश्व मानो थम सा गया है, धंधा, व्यापार आदि सुप्तावस्था में चले गए हैं और क्या बड़ा क्या छोटा हर प्रकार का व्यापार इस समय में ठप सा हो गया है। इस महामारी से सबसे ज्यादा मार यदि किसी को झेलना पड़ रहा है तो वो है समाज के निचले तबके के लोग जो छोटा मोटा व्यवसाय कर के अपना पेट पालते हैं। इन्ही में से एक समुदाय है मछुआरों का जो कि मत्स्य के माध्यम से अपना जीवन गुजर बसर करता है। इस महामारी की शुरुआत के बाद से ही पूरा देश बंदी की चपेट में है जिस कारण से मछली पकड़ने का पूरा व्यवसाय मानो बंद सा ही हो गया है।

मछली निर्यातकों की दुकाने बंद हैं, बर्फ की उपलब्धता नहीं है, मजदूरों की कमी है, बंदरगाह पूरी तरह से खाली हैं ऐसे में मछुआरों के सामने अपनी आजीविका को लेकर एक अत्यंत ही बड़ी समस्या है। भारत में एक बहुत बड़ी आबादी मछली उद्योग से जुडी हुयी है जो कि 16 मिलियन (Million) से ज्यादा की है अब ऐसे में यह बंदी उनकी खाद्य सुरक्षा में सेंध लगाने का कार्य कर रही है। इस बंदी से एक अत्यंत ही बड़ी आबादी जो कि समुद्री मछलियों को खाते हैं इस बंदी में जब मछलियाँ बाजार में उपलब्ध नहीं हैं तो ऐसे में इस महामारी के कारण उनके खाद्य सारणी में भी एक बहुत ही बड़ा सेंध लगा है। बाजार बंद है जिसके कारण लोग मछलियाँ खरीद नहीं पा रहे हैं अब ऐसे में मछुआरे मछली पकड़ के भी क्या ही कर सकते हैं क्यूंकि बाजार ही बंद है। ऐसी स्थिति में जो मछुआरे मछली पकडे भी हैं और जिनको बाजार मिला भी है तो वे मछली को आधे से भी कम दामों पर बेचने के लिए विवस हैं जिसके कारण उनको बड़े नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।

यदि भारत के सकल घरेलु उत्पाद में देखा जाए तो मत्स्य पालन क्षेत्र की हिस्सेदारी करीब 1.03 फीसद है तथा इसने सन 2017-18 के दौरान करीब 1.75 ट्रिलियन (Trillion) रुपये का योगदान दिया था। अब उपरोक्त दिए आंकड़ों से यह आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि मत्स्य उद्योग का भारत के आर्थिक राजस्व में एक अहम् योगदान है। अगर भारत के कृषि सकल घरेलु उत्पाद की बात करें तो यह कुल 6.58 फीसद (लगभग) हिस्सा साझा करता है। भारत से बड़ी संख्या में मछलियों का निर्यात दूसरे देशों में किया जाता है जिसमें होटल (Hotel) उद्योग प्रमुख हैं परन्तु इस बंदी में होटल उद्योग लगभग पूरी तरह से ठप हैं ऐसे में यह एक और समस्या है इस क्षेत्र में। अब कुछ ही दिनों के बाद मानसून की बंदी भी शुरू हो जायेगी जो कि 15 जून से शुरू होगी इस दौरान मछली पकड़ना पूर्ण रूप से बंद हो जाएगा ऐसे में इस महामारी की मार और भी बड़ी तेजी से लोगों के रोजगार पर पड़ेगी।

सरकार द्वारा जारी किये गए राहत में मत्स्य क्षेत्र के उद्योगों या लोगों का नाम अभी तक नहीं है ऐसे में उम्मीदों पर काले बदल मंडरा रहे हैं। भारत का 70 फीसद समुद्री भोजन अमेरिका और यूरोप (America and Europe) में निर्यात किया जाता है जो वर्तमान समय में पूर्ण रूप से ठप है क्यूंकि यह सभी देश वर्तमान समय में कोरोना के संकट द्वारा पूर्ण रूप से जकड लिए गए हैं। भारत में बड़े और छोटे दोनों पैमानों पर मछली पालन का कार्य किया जाता है ऐसे में यहाँ पर एक अत्यंत ही विकट संकट खड़ा हो गया है।

चित्र (सन्दर्भ):
1. मुख्य चित्र में जाल बिछाते हुए दो मछुआरे दिखाई दे रहे हैं। (Peakpx)
2. दूसरे चित्र में समुद्र में मछलियां पकड़ता हुआ मछुआरा दिख रहा है। (Freepik)
3. तीसरे चित्र में पकड़ी हुई मछलियां दिखता एक मछुआरा। (publicdomainpictures)
4. चौथे चित्र में समूह में मछलियां पकड़ते तटीय मछुआरे (pexels)
5. अंतिम चित्र में जाल फेंकते हुए मछुआरे दिख रहा है। (picseql)
सन्दर्भ :
1. https://bit.ly/2WYOMzw
2. https://bit.ly/2zDfXrC
3. https://bit.ly/3dIC1zH
4. https://bit.ly/3dLlR8P

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