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आधुनिक स्मार्टफोन्स (Smart Phones) से लेकर बायोमेट्रिक बैंकिंग (Biometric Banking) प्रणाली जैसी सुविधाओं वाले इस आधुनिक युग में फेशियल रिकग्निशन (Facial Recognition) जैसी तकनीक कई क्षेत्रों में अपनी जगह बना रही है। भारत के 983 रेलवे स्टेशनों (जौनपुर सहित) में फेशियल-रिकग्निशन कैमरों सहित महंगे निगरानी उपकरण मिलते हैं। पर क्या सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा की ऐसी पश्चिमी स्मार्ट सिटी (Smart city) तकनीकें वास्तव में भारत जैसे बड़े देश में उपयोगी सिद्ध होंगी? जहाँ जर्मनी जैसे संपन्न देशों में भी रेलवे स्टेशनों पर फेशियल-रिकग्निशन कैमरे अभी तक सटीकता की कमी के कारण फायदेमंद साबित नहीं हुए हैं, क्या भारत में इतनी बड़ी और महंगी तकनीक का इस्तेमाल वाजिब है?
जहां हाल के वर्षों में, सार्वजनिक पारगमन सुरक्षा चिंताओं में काफी वृद्धि देखी गई है और आतंकवादी गतिविधि का खतरा हमेशा मौजूद रहता है, वहाँ ट्रेन और मेट्रो स्टेशनों (Metro Stations) में, वीडियो (Video) निगरानी प्रणाली ऐसे कार्यों को रोकने में मददगार सिद्ध हो सकती है। इसके अतिरिक्त, सुरक्षा कैमरे (Cameras) स्टेशनों के भीतर अपराध और बर्बरता को रोकने में भी मदद कर सकते हैं और यात्रियों को सुरक्षित यात्रा प्रदान कर सकते हैं। साथ ही इस तकनीक की मदद से, यात्रियों को टिकट (Ticket) और अन्य पहचान दस्तावेज़ों की आवश्यकता के बिना उनके चेहरे से पहचाना जा सकता है।
रेलवे स्टेशनों में सुरक्षा कैमरों के लाभ निम्नलिखित हैं :-
• आतंकवाद से सुरक्षा - परिवहन के सार्वजनिक साधनों को आतंकवाद के लिए उच्च-जोखिम लक्ष्य माना जाता है। रेल और मेट्रो स्टेशनों में तैनात निगरानी कैमरे इस तरह की गतिविधि के बारे में सतर्क करने में सहायता करते हैं।
• अपराध की जांच – साथ ही वीडियो निगरानी की फुटेज (Footage) उन घटनाओं की जांच करने में बेहद उपयोगी साबित होती है जहां अपराध या आतंकवादी कार्य को अंजाम दिया गया हो। रिकॉर्ड (Record) किए गए फुटेज का विश्लेषण करके, सुरक्षा अधिकारी संदिग्धों की पहचान कर सकते हैं और इस बात पर विचार कर सकते हैं कि भविष्य में ऐसे किस्सों को होने से रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।
• यात्रियों को सुरक्षित रखते हैं – यात्रा करते समय यात्रियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज़ सुरक्षित रेल प्रणाली होती है। वर्तमान समय में कई नागरिक मेट्रो से दैनिक यात्रा करते हैं, ऐसे में उनके लिए मेट्रो की यात्रा चिंता मुक्त होनी चाहिए। सुरक्षा कैमरे उपयोगकर्ताओं को सुरक्षा प्रदान करने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
जहां वीडियो निगरानी प्रणाली के काफी फायदे हैं, वहीं इससे कुछ जोखिम भी हो सकते हैं, जैसे जुलाई 2019 में, हैदराबाद के राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे में फेशियल-रिकग्निशन प्रणाली को यात्रियों पर परखने के आधार पर शुरू किया गया था। हालांकि इसने मानवाधिकार समूहों और इंटरनेट (Internet) अधिवक्ताओं के बीच संभावित गोपनीयता उल्लंघन और बढ़ती निगरानी जैसे विषय को और अधिक बढ़ा दिया। क्योंकि ऐसा मानना है कि ऐसी किसी भी परियोजना को स्थापित करने या परखने के लिए भारत में कोई कानूनी अधिकार या रूपरेखा मौजूद नहीं है, जो इस प्रणाली को अवैध घोषित करती है, जबकि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के निजता के अधिकार के अनुसार इस तरह की व्यवस्थापक रूपरेखा होनी आवश्यक है। साथ ही यदि सुरक्षा कैमरा क्षतिग्रस्त हो जाता है या उससे किसी प्रकार की छेड़छाड़ की गई हो, तो इससे सिग्नल (Signal) खो जाने की संभावनाएं बनी रहती हैं। इसलिए इस तरह की स्थिति होने के समय पर उस स्थान में अन्य सुरक्षा कैमरे स्थापित किये जाने चाहिए। वहीं सुरक्षा कैमरा प्रणाली पर संपूर्ण रूप से निर्भर नहीं होना चाहिए, सुरक्षा कैमरा मौजूद होने के बावजूद भी सुरक्षा कर्मियों की भौतिक उपस्थिति अभी भी बहुत महत्वपूर्ण है और इसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए।
संदर्भ:
1. https://bit.ly/3a0Axid
2. https://bit.ly/2STQlO6
3. https://www.videosurveillance.com/subway-stations-train-stations.asp
4. https://bit.ly/2HVbkdf
5. https://www.railway-technology.com/news/indian-railways-video-surveillance/
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