अथर्ववेद में भी मिलता है लाह कीड़े के उपयोग का वर्णन

तितलियाँ व कीड़े
07-02-2020 09:00 AM
अथर्ववेद में भी मिलता है लाह कीड़े के उपयोग का वर्णन

भारत जैसे कृषि प्रधान देश में फसलों की खेती के साथ-साथ कीड़ों की खेती भी की जाती है। इन कीड़ों की खेती के अंतर्गत मधुमक्खी पालन, रेशम कीट पालन तथा ‘लाह’ या ‘लाख’ कीटों की खेती की जाती है। लाह की खेती मुख्य रूप से झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और भारत के महाराष्ट्र राज्य में की जाती है। वहीं बांग्लादेश, म्यांमार, थाईलैंड (Thailand), लाओस (Laos), वियतनाम (Vietnam), चीन के कुछ हिस्सों और मैक्सिको (Mexico) में भी लाख का उत्पादन होता है।

दरसल लाख कीट वो कीट होते हैं जो लाख का उत्पादन करते हैं, जिनमें से सबसे अधिक खेती केरिया (Kerria) लाख की होती है। ये कीड़े एक लाल रंग का रेशेदार स्राव देते हैं, जिसे विभिन्न रंगों, सौंदर्य प्रसाधनों, लकड़ी के परिष्करण रोगन और पॉलिश (Polish) में उपयोग करने के लिए लाख और चपड़े में परिवर्तित किया जाता है। वहीं चपड़ा भारत और थाईलैंड के जंगलों में पेड़ों पर मादा लाख कीट द्वारा स्रावित एक राल है। चपड़े को सूखे और तरल रूप में संसाधित करके बेचा जाता है, जिसका उपयोग रंगने और लकड़ी के परिष्कार में उपयोग किया जाता है।

लाख के उपयोग के बारे में प्राचीन हिन्दू साहित्य अथर्ववेद में भी वर्णन मिलता है। अध्याय 5 और छंद 5 को लक्षा सूक्ति (छंद) भी कहा जाता है। यह पूरा छंद लाख और इसके उपयोग के लिए समर्पित है।
इसमें कई प्राचीन प्रथाओं का वर्णन है, उदाहरण के लिए इस छंद का दूसरा श्लोक स्पष्ट रूप से बताता है :-
“जो तुझे (लाख) पीता है, वो लंबे समय तक जीता है। तुम मानव को जीवन देते हो और उन्हें रोग मुक्त बनाते हो" वहीं चपड़े का सबसे पहला लिखित प्रमाण 3,000 वर्ष पहले का है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि इसका उपयोग पहले से ही किया जा रहा है। प्राचीन भारतीय महाकाव्य महाभारत के अनुसार, एक पूरे महल को सूखे चपड़े की मदद से बनाया गया था। लाख कीट काफी सुस्त जीवन शैली जीते हैं, ये आमतौर पर पेड़ की टहनियों में कक्षों के अंदर पाए जाते हैं। साथ ही ये अपविकसित होते हैं, यानि इनमें पंख नहीं होते हैं बल्कि कई सारे पैर होते हैं। मादा लाख कीट का आकार बड़ा होता है और ये अधिक अपविकसित होते हैं। एक बैग (Bag) जैसे शरीर के साथ ये लगभग 4-5 मिमी तक लंबे होते हैं। इनके सिर में एक छोटा सा स्पर्श-सूत्र और सूंड देखी जा सकती है। लेकिन सबसे रोचक बात तो यह है कि मादा के पास आँख, पैरों और पंखों की कमी होती है, जिसकी वजह से मादा लार्वा एक ही जगह बैठने के बाद दुबारा कभी नहीं चलती है।

कुछ नर कीट में पंख होते भी हैं और नहीं भी होते हैं, साथ ही ये आकार (1.2-1.5 मिमी) में भी छोटे होते हैं। आमतौर पर इनके शरीर के तीन भाग होते हैं: सिर, वक्ष और पेट। सिर में ऐन्टेना (Antennae) और आँख की एक जोड़ी होती है। मुंह के हिस्से की अनुपस्थिति के कारण वयस्क नर कीड़े भोजन का सेवन नहीं करते हैं। इन कीटों के जीवन चक्र में मुख्य रूप से तीन चरण शामिल होते हैं : अंडा, अर्भक और वयस्क। जिसमें परिपक्व नर की संयोजन के बाद मृत्यु हो जाती है और निषेचन के बाद मादा तेज़ी से विकसित होती है, क्योंकि वे उस समय अधिक मात्रा में पौधों का रस लेती हैं और राल को बाहर निकालती हैं, जिससे एक बड़े आकार का कक्ष बनता है। एक निषेचित मादा लगभग 200-500 अंडे देती है। अंडों को ऊष्मायन कक्ष में रखा जाता है जिसमें वे संलग्न होते हैं। इस प्रकार, मादा द्वारा निकाला गया स्राव मुख्य रूप से लाख में योगदान देता है। भारत द्वारा सन 1700 से लेकर 1800 तक लाख के रंग का महत्वपूर्ण मात्रा में निर्यात किया गया था। कृत्रिम रंगों के आने के बाद से ही इसके उत्पादन में गिरावट देखी जाने लगी और 1940 के अंत के बाद, प्रतिस्थापन के कारण सीडलैक (Seedlac) और चपड़े के उत्पादन में भी गिरावट आ गई। 1950 के दशक के मध्य में, भारत ने लगभग 50,000 टन स्टिकलैक (Sticklac) का उत्पादन किया और लगभग 29,000 टन का निर्यात किया था। वहीं 1980 के दशक के उत्तरार्ध में आंकड़े क्रमशः 12,000 टन और 7,000 टन थे।

1992-93 तक, भारत द्वारा लाख का निर्यात 4,500 टन तक गिर गया था। इसी अवधि में, थाइलैंड का उत्पादन कुछ हद तक बढ़ गया, उनके द्वारा मुख्य रूप से सीडलैक का 1990 के दशक में लगभग 7,000 टन का वार्षिक निर्यात किया गया। चीन ने 1990 के दशक में प्रति वर्ष केवल 500 टन चपड़े का निर्यात किया था लेकिन आंतरिक रूप से उनके द्वारा अधिक लाख (4,000-5,000 टन स्टिकलैक) का उत्पादन किया गया था और सिर्फ युन्नान (Yunnan) और कुछ छोटे प्रांत में 2,000-3,000 टन चपड़े का उत्पादन देखा गया था।

संदर्भ:
1.
https://en.wikipedia.org/wiki/Kerriidae
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Lac
3. http://naturekhabar.com/en/archives/3138
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Shellac
चित्र सन्दर्भ:-
1.
https://en.wikipedia.org/wiki/Lac#/media/File:Kerria-lacca.jpg
2. https://bit.ly/2UvF1ZV
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Shellac#/media/File:Shellac.JPG

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.