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ब्रह्मांड कई आश्चर्यचकित चीज़ों से मिलकर बना है जिनमें से ‘क्वेसर’ (Quasar) भी एक है। क्वेसर एक अत्यंत चमकदार सक्रिय ब्रह्मांडीय नाभिक (Active Galactic Nucleus-AGN) है, जिसमें एक अत्यंत विशाल और व्यापक ब्लैक होल (Black Hole) गैसीय ऐक्रीशन डिस्क (Gaseous Accretion Disk) से घिरा रहता है। ब्लैक होल का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान से लाखों से लेकर अरबों गुना अधिक है। जैसे ही डिस्क में गैस ब्लैक होल की तरफ बढ़ती है, वैसे ही ऊर्जा एक विद्युत चुम्बकीय विकिरण के रूप में उत्सर्जित होती है, जिसे विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम में देखा जा सकता है। क्वासरों द्वारा विकिर्णित की गई शक्ति बहुत अधिक होती है तथा इसे आकाशगंगा में सबसे अधिक चमकदार पिंड माना जाता है।
क्वेसर शब्द की उत्पत्ति अर्ध-तारकीय (तारे जैसे) रेडियो स्रोत के संकुचन के रूप में हुई है, क्योंकि क्वेसर को पहली बार 1950 में एक अज्ञात रेडियो-तरंग उत्सर्जन के स्रोत के रूप में पहचाना गया था। जब इन्हें प्रत्यक्ष तरंग दैर्ध्य की उपस्थिति में फोटोग्राफिक छवियों में देखा या पहचाना जाता था तो ये फीके तारे के प्रकाश के समान दिखाई देते थे। क्वेसरों की उच्च-रिज़ॉल्यूशन (Resolution) वाली तस्वीरें जो विशेषकर हबल स्पेस टेलीस्कोप (Hubble Space Telescope) से ली गयी हैं, यह दर्शाती हैं कि क्वेसर आकाशगंगाओं के केंद्रों में स्थित होते हैं। क्वेसर के अवलोकित गुण कई कारकों पर निर्भर करते हैं जैसे ब्लैक होल का द्रव्यमान, गैस अभिवृद्धि की दर, पर्यवेक्षक के सापेक्ष अभिवृद्धि डिस्क का उन्मुखीकरण, जेट की उपस्थिति या अनुपस्थिति आदि।
क्वेसर बहुत ही व्यापक दूरी पर पाए जाते हैं। वैज्ञानिकों ने दूर स्थित आकाशगंगा के ऊर्जावान कोर की खोज की तथा पाया कि यह कोर प्रारंभिक ब्रह्मांड में पायी जाने वाली सबसे चमकीली वस्तु से भी अधिक चमकीली है। इस कोर की पहचान क्वेसर के रूप में की गयी जिसकी चमक 600 खरब सूर्यों के प्रकाश के बराबर मानी गयी। क्वेसर 12.8 बिलियन प्रकाश वर्ष दूर है तथा यह माना जाता है कि क्वेसर प्रति वर्ष 10,000 सितारों का उत्पादन करता है। क्वेसर को पहली बार 2010 में WISE अंतरिक्ष यान द्वारा किए गए ऑल-स्काई इंफ्रारेड सर्वेक्षण (All-sky infrared survey) में खोजा गया था जोकि हमारी मिल्की वे (Milky Way) की तुलना में लगभग 10,000 गुना अधिक चमकदार पाया गया। एक नए शोध के अनुसार क्वेसर आस-पास की आकाशगंगाओं पर निर्भर हुए बिना भी बहुत अधिक चमक सकता है और इसलिए यह आकाशगंगा निर्माण के बारे में मौजूद सिद्धांतों को संभावित रूप से चुनौती देता है।
शोधकर्ताओं ने यह पता लगाया है कि क्वेसर आकाश गंगा में तब से मौजूद है जब ब्रह्मांड अपने सबसे चमकीले पिंडों जैसे तारों और आकाशगंगाओं का निर्माण कर रहा था। नए खोजे गए सबसे चमकीले क्वेसर को J043947.08 + 163415.7 के रूप में सूचीबद्ध किया गया है जो पृथ्वी से 12.8 बिलियन प्रकाश वर्ष की दूरी से 600 ट्रिलियन सूर्य के बराबर प्रकाश के साथ चमकता है। इस प्रकार का उज्ज्वल और दूरस्थ क्वेसर अत्यंत दुर्लभ है। खगोलविदों का कहना है कि उन्हें इस प्रकार के क्वेसर को खोजने से पूर्व इस प्रकार की दूरी वाले क्वेसर को खोजने में 20 वर्षों का समय लगा।
संदर्भ:-
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Quasar
2. https://www.space.com/42962-brightest-quasar-early-universe-600-trillion-suns.html
3. https://thewire.in/space/brightest-object-universe-qasar-active-galaxies
4. https://earthsky.org/space/astronomers-find-the-brightest-quasar-yet
5. https://phys.org/news/2016-02-astronomers-reveal-black-holes-power.html
चित्र सन्दर्भ:-
1. https://www.flickr.com/photos/esoastronomy/albums/72157629072798804
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