समयसीमा 237
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 948
मानव व उसके आविष्कार 725
भूगोल 236
जीव - जन्तु 275
ब्रह्मांड की उत्पत्ति के संदर्भ में विभिन्न वैज्ञानिकों और विद्वानों द्वारा अनेक सिद्धांत और तर्क दिये गये हैं। किंतु अभी भी इसे एक महान रहस्य माना जाता है जोकि ब्रह्मांड का सबसे बडा रहस्य है। हालांकि ब्रह्मांड में अन्य रहस्य जैसे जीवन की शुरुआत कैसे हुई? चेतना क्या है?नकारात्मक ऊर्जा क्या है? आदि रहस्य भी हैं किंतु इन रहस्यों का मूल ब्रह्मांड की उत्पत्ति को ही माना जाता है।
ब्रह्मांड की उत्पत्ति के संदर्भ में कई वैज्ञानिकों द्वारा कई सिद्धांत दिये गये जिनमें से बिग बैंग (big bang) सिद्धांत का सबसे अधिक समर्थन किया गया। मानक बिग बैंग सिद्धांत के अनुसार ब्रह्मांड का जन्म लगभग 13.7 अरब साल पहले हुआ था। इसकी उत्पत्ति तेजी से विस्तार करने वाले गुब्बारे के समान थी। प्रारंभ में, ब्रह्माण्ड केवल ऊर्जा के द्वारा ही विस्तार करता था। यह ऊर्जा कुछ कणों में परिवर्तित हुई जिससे हाइड्रोजन और हीलियम जैसे हल्के परमाणु इकट्ठे हुए। इस सिद्धांत के अनुसार 13.7 अरब साल पहले ब्रह्मांड सिमटा हुआ था। इसमें हुए एक विस्फोट के कारण इसमें सिमटा हर एक कण फैलता गया जिसके फलस्वरूप ब्रह्मांड की रचना हुई। यह विस्तार आज भी जारी है जिसके चलते ब्रह्मांड आज भी फैल रहा है।
हालांकि ब्रह्मांड की उत्पत्ति के संदर्भ में कई धार्मिक मत भी दिये जाते हैं जिनका अध्ययन धार्मिक ब्रह्माण्ड विज्ञान में किया जाता है। धार्मिक ब्रह्माण्ड विज्ञान, ब्रह्मांड की उत्पत्ति, विकास और सम्भावित भाग्य की व्याख्या धार्मिक दृष्टिकोण के आधार पर करता है। विभिन्न धर्मों की विभिन्न परंपराओं और पौराणिक कथाओं में ब्रह्मांड की उत्पत्ति के लिए यह व्याख्या की गयी है कि यह किस प्रकार से अस्तित्व में आया और इससे जुडी चीजों का महत्व क्यों है? धार्मिक दृष्टिकोण के आधार पर ब्रह्मांड की उत्पत्ति के लिए सात आयाम दिये जाते हैं जोकि अनुष्ठान, अनुभव और भावनात्मक, कथा और पौराणिक, सिद्धांत, नैतिक, सामाजिक और भौतिकता हैं। धार्मिक पौराणिक कथाओं में यह उल्लेखित किया गया है कि ब्रह्मांड की उत्पत्ति किसी देवता या देवताओं के समूह द्वारा किया गया है। धार्मिक ब्रह्माण्ड विज्ञान, खगोल विज्ञान और इसी तरह के क्षेत्रों के अध्ययन के परिणामों से प्राप्त वैज्ञानिक तर्कों और सिद्धांतों से बिल्कुल अलग है। धार्मिक ब्रह्मांड विज्ञान अनुभवात्मक अवलोकन, परिकल्पना के परीक्षण और सिद्धांतों के प्रस्तावों तक सीमित नहीं है। ब्रह्मांड की उत्पत्ति और निर्माण को लेकर हर धर्म में अलग-अलग मत दिये जाते हैं। बौद्ध धर्म के अनुसार ब्रह्मांड का न तो कोई शुरूआती बिंदु है और न ही अंतिम। यह सभी अस्तित्व को शाश्वत मानता है। इसका विश्वास है कि ब्रह्मांड की रचना किसी भगवान द्वारा नहीं की गयी है।
बौद्ध धर्म ब्रह्मांड को हमेशा अविरल और प्रवाहमान मानता है। हिंदू ब्रह्मांड विज्ञान का भी यही मानना है कि सभी चीजों का अस्तित्व चक्रीय है। प्राचीन हिंदू ग्रंथ ब्रह्मांड की उत्पत्ति के लिए कई सिद्धांतों को प्रस्तावित करते हैं और उनकी चर्चा करते हैं। वैकल्पिक सिद्धांत एक ऐसे ब्रह्माण्ड का वर्णन करते हैं जिसे चक्रीय रूप से किसी देवता या देवी द्वारा सृजित और नष्ट किया गया। या फिर इसे किसी भी रचनाकार द्वारा नहीं बनाया गया। इस्लाम धर्म के धार्मिक ब्रह्मांड विज्ञान का मानना है कि ब्रह्मांड की रचना भगवान ने की, जिसमें पृथ्वी का भौतिक वातावरण और मानव शामिल हैं। इसका सर्वोच्च लक्ष्य प्रतीकों की एक पुस्तक के रूप में ब्रह्मांड की कल्पना करना है ताकि आध्यात्मिक उत्थान के लिए ध्यान और चिंतन किया जा सके।
कुरान में ब्रह्मांड की रचना के संदर्भ में निम्नलिखित उद्धरण उल्लेखित किया गया है:
“ब्रह्मांड हमने ताकत के साथ बनाया और वास्तव में, हम इसके विस्तारक हैं।"
संदर्भ:
1. https://www.livescience.com/1774-greatest-mysteries-universe.html
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Religious_cosmology
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Religious_interpretations_of_the_Big_Bang_theory
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.