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प्राचीन काल से ही भारतीय समाज में सोने (धातु) की बहुत अधिक महत्ता रही है और यही कारण है कि इसका उपयोग सदियों पहले से ही लोगों द्वारा किया जा रहा है। ऐसा कोई भी समारोह नहीं है जहां सोने का प्रयोग न किया जा रहा हो। देखने में तो यह सुंदर लगता ही है किंतु इसमें कई अन्य उपयोगी गुण भी निहित हैं जो सदियों से ही लोगों को प्रभावित करते रहे हैं। यह परमाणु संख्या 79 वाला एक रासायनिक तत्व है जिसे प्रतीक ‘Au’ से संदर्भित किया जाता है।
अपने शुद्धतम रूप में यह बहुत चमकदार, मुलायम, पीला तथा नमनीय होता है जो स्वतंत्र रूप से चट्टानों में जमा होता है। यह एक कीमती धातु है जिसका उपयोग कई वर्षों से सिक्के, गहने और अन्य कलाओं में किया जा रहा है। शुरूआती दौर में मनुष्यों द्वारा जिस धातु का उपयोग किया गया वह सोना ही थी। उस समय इसे या तो मुक्त अवस्था में या मूल अवस्था में पाया गया था। 40,000 ई.पू. में प्राकृतिक सोने की एक छोटी सी मात्रा स्पेन की गुफाओं में पाई गई थी। मिस्र में भी पूर्व-वंश काल की शुरुआत में सोने से बनी कलाकृतियों को उकेरा जाता था, अर्थात 5वीं सहस्राब्दी ईसा पूर्व के अंत में तथा चौथी सहस्राब्दी ईसा पूर्व की शुरुआत में सोने ने अपनी पहली उपस्थिति दर्ज की थी।
चौथी सहस्त्राब्दी की शुरुआत में, मेसोपोटामिया और बाल्कन में भी सोने की कलाकृतियाँ दिखाई देती हैं। सिंधु घाटी सभ्यता काल में भी सोने का उपयोग आभूषणों के लिए किया जाता था। प्राचीन मिस्र के 19वें राजवंश (1320–1200 ईसा पूर्व) में एक सोने की खान का सबसे पुराना ज्ञात मानचित्र तैयार किया गया था जबकि 1900 ईसा पूर्व के 12वें राजवंश में सोने के लिए पहला लिखित संदर्भ दर्ज किया गया था। इसके अतिरिक्त सोने के औषधीय अनुप्रयोगों का भी हज़ारों साल पुराना इतिहास है।
जैसे-जैसे समय बीतता गया वैसे-वैसे सोने की उपयोगिता भी बढ़ती गयी तथा यह भारत में सबसे अधिक पसंद की जाने वाली धातु के रूप में उभरा। बाज़ारों में इसकी कीमतें कभी अधिक तो कभी कम होती हैं। हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में सोने की कीमतों में भारी गिरावट का अनुभव किया गया। इसका कारण अमेरिका और चीन के बीच अंतरिम व्यापार सौदे की दिशा में हुए कुछ सकारात्मक घटनाक्रमों को माना जा रहा है। इस अवधि के दौरान प्रति 10 ग्राम पर सोने की कीमतें लगभग 500 रुपये घट गयी थीं। इस गिरावट का अन्य मुख्य कारण भारत में सोने की खुदरा मांग में कमी भी है।
इसके परिणामस्वरूप भारत में डीलरों (Dealers) द्वारा घरेलू सोने की कीमतों पर 3 डॉलर प्रति आउंस तक की छूट की भी पेशकश की गयी थी। घरेलू कीमत में 12.5% आयात कर और 3% GST शामिल है। इस वर्ष के त्यौहारों पर भी सोने की बिक्री में कमी देखी गयी। व्यापारियों का कहना है कि जब तक अर्थव्यवस्था पुनर्जीवित नहीं होती, तब तक मांग बढ़ने की संभावना नहीं है। पिछले साल के त्यौहारी समय के दौरान आभूषणों की मांग लगभग 180.1 टन थी जबकि निवेश की मांग 56.4 टन थी। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (World Gold Council) के आंकड़ों के मुताबिक 2018 में सोने की कुल मांग 760.4 टन थी।
संदर्भ:
1. https://en।wikipedia।org/wiki/Gold
2. https://bit।ly/2rmX2x4
3. https://bit।ly/2KSHDvl
4. https://bit।ly/2sigDyQ
चित्र सन्दर्भ:-
1. https://bit.ly/2RfVu2C
2. http://www.peakpx.com/76711/gold-with-gemstones-necklace-and-bangle-bracelet
3. https://pxhere.com/en/photo/748060
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