जौनपुर के लिए अच्छा विकल्प है, मोतियों का उत्पादन

समुद्री संसाधन
30-11-2019 11:49 AM
जौनपुर के लिए अच्छा विकल्प है, मोतियों का उत्पादन

गहने किसी भी स्त्री के सौंदर्य में चार चाँद लगाने का कार्य करते हैं। दुनिया भर में विभिन्न गहनों की मांग बड़े स्तर पर है जो की वर्तमान काल में अरबों रूपए का व्यापार है। जौनपुर में ही यदि देखा जाए तो यहाँ पर गहनों की दुकाने बहुत ही बड़ी संख्या में देखने को मिलती हैं। गहनों में मात्र हीरे, सोने और चांदी ही नहीं आते अपितु मोती भी आता है। मोती भला किसे नहीं पसंद है?

मोती आज एक बहुत ही बड़े व्यापार के रूप में निखर कर सामने आया है। आइये जानते हैं कि मोती किस प्रकार से बनाया जाता है और इसकी खेती आदि किस प्रकार से की जाती है। मोती की खेती से जुड़े फायदे के बारे में भी इस लेख में हम पढेंगे। मोती गोल आकार के होते हैं और ये जीवित ओयस्टर या सीपी के अन्दर उत्पादित होते हैं। वैसे मोती विभिन्न रंगों में पाए जाते हैं जो की इस प्रकार से हैं- गुलाबी, हरे, सफ़ेद, काले आदि। इनका प्रयोग विभिन्न प्रकार के गहनों आदि के निर्माण के लिए किया जाता है। मोती के आकार के बारे में कहा जाता है कि वे गोल होते हैं परन्तु एक पूर्ण रूप से गोल मोती अत्यंत ही दुर्लभ होता है।

जब हम बाजार में एक दम गोल और सस्ते मोती देखते हैं तो इसका सीधा मतलब होता है कि वो मोती नकली हैं क्यूंकि मोती कभी भी एकदम सुक्रिष्ट गोल नहीं हो पाता और अगर होता है तो इसका मतलब वह अत्यंत ही कीमती है। मोती एक मात्र ऐसा रत्न है जो की किसी जीव के अन्दर बनता है अन्यथा यदि देखा जाए तो बाकी के सभी रत्न पृथ्वी के गर्भ में बनते हैं। अब मोती कैसे एक जीव के अन्दर बनता है यह प्रश्न तो वास्तव में महत्वपूर्ण है तो इसका जवाब कुछ ऐसा है- जब किसी सीपी के अन्दर किसी प्रकार का बाहरी पदार्थ घुस जाता है तब वह सीपी एक नैक्रे नामक पदार्थ या रसायन छोड़ता है जो की परत दर परत उस बाहरी पदार्थ के ऊपर जमता है और सीपी का निर्माण करता है।

सामान्यतया अन्दर रखे पदार्थ के आकार का ही मोती बनता है। समुद्र या नदी में स्वरुप से मोती बनने में करीब 7 साल तक का समय लग सकता है जो की अत्यंत ही ज्यादा है। कृषि में करीब 1 से 2 वर्ष के अन्दर मोती का निर्माण किया जा सकता है जिसे की साफ़ पानी का मोती कहा जाता है। इसकी कृषि के लिए अत्यंत धैर्यवान होने की आवश्यकता है और इसमें अत्यंत ही ध्यान देने की आवश्यकता होती है कि सीपी कहीं मर ना जाए। एक सीपी एक बार में 3 मोती तक उत्पादित कर सकती है लेकिन जिस सीपी में एक ही मोती का उत्पादन हो वह अत्यंत ही अच्छी गुणवत्ता वाला होगा।

मोती की कृषि एक अत्यंत ही लाभप्रद उद्योग है जिसे की जौनपुर में भी बड़ी संख्या में किया जा सकता है इससे करीब 1 से 2 लाख रूपए प्रति महीने आराम से कमाया जा सकता है। जिस प्रकार से इस कृषि में फायदा अधिक है उसी प्रकार से इस कृषि में सँभल कर कृषि करने की भी आवश्यकता होती है। अतः यह कृषि करने से पहले इसके बारे में और जानकारी कृषि केन्द्रों से ले लेनी चाहिए। सरकार भी इस कृषि पर करीब 25 लाख रूपए तक सब्सिडी रेट पर आर्थिक मदद करती है जिससे मोती उत्पादन करने वाले किसानों को मदद मिल जाती है।

सन्दर्भ:-
1.
https://www.gemrockauctions.com/learn/did-you-know/how-are-pearls-made
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Cultured_pearl
3. https://bit.ly/2qB5AA6
4. https://www.thebetterindia.com/89574/sanjay-gandate-pearl-farmer-gadchiroli/
5. https://krishijagran.com/agripedia/get-upto-25-lakh-subsidy-for-pearl-cultivation/
चित्र सन्दर्भ:-
1.
https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Cultured_pearl_oyster.jpg
2. https://pixabay.com/pt/photos/shell-de-a-praia-p%C3%A9rola-praia-areia-3480818/
3. https://pixabay.com/pt/photos/p%C3%A9rolas-j%C3%B3ias-colar-brilho-beleza-2651960/
4. https://pixabay.com/pt/photos/ostra-luz-mar-shell-de-1327311/
5. https://bit.ly/2DvCkOo

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