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आज 26 सितम्बर के दिन को विश्व अंतर्राष्ट्रीय परमाणु हथियार पूर्ण उन्मूलन दिवस के रूप में मना रहा है। यह एक ऐसा दिन है जो हमें परमाणु हथियारों से होने वाले दुष्प्रभावों तथा इसके निष्क्रियण से होने वाले फायदों की बार-बार याद दिलाता है। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य भी यही है कि प्रत्येक व्यक्ति या समुदाय परमाणु हथियारों के निष्क्रियण या उन्मूलन से होने वाले लाभों से अवगत हो। अंतर्राष्ट्रीय परमाणु हथियार पूर्ण उन्मूलन दिवस के प्रस्ताव को पारित करने के लिए पहले अमेरिका के न्यूयॉर्क में 26 सितम्बर, 2013 को परमाणु निशस्त्रीकरण को लेकर एक उच्च स्तरीय बैठक का आयोजन किया गया था जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दिसम्बर, 2013 में इस प्रस्ताव को पारित किया। परमाणु हथियारों का उत्पादन सर्वप्रथम मैनहट्टन परियोजना द्वारा किया गया था। यह परियोजना ठीक उस समय संचालित की गयी थी, जब भारत अंग्रेज़ों का गुलाम था तथा पूरे भारत, यहाँ तक कि जौनपुर के स्वतंत्रता सेनानी भी भारत को अंग्रेज़ों से मुक्त कराने की कोशिश कर रहे थे।
मैनहट्टन परियोजना द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान चलायी गयी थी जिसके तहत परमाणु हथियारों का उत्पादन किया गया था। परियोजना का नेतृत्व करने वाले देश संयुक्त राष्ट्र और कनाडा थे। यह परियोजना जिला मैनहट्टन में चलायी जा रही थी इसलिए इसे मैनहट्टन परियोजना नाम दिया गया। परियोजना में बनाए गये बमों की डिज़ाईन (Design) परमाणु भौतिक विज्ञानी रॉबर्ट ओपेनहाइमर द्वारा लॉस एलामोस प्रयोगशाला में की गयी थी। यह प्रोजेक्ट 1939 में शुरू हुआ जिसने 1,30,000 से अधिक लोगों को रोज़गार दिया। इस परियोजना में 90% से अधिक लागत कारखानों के निर्माण के लिए व्यय हुई जबकि हथियारों के विकास और उत्पादन के लिए 10% से कम लागत का उपयोग किया गया था। परियोजना का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव हिरोशिमा और नागासाकी में देखा गया जब वहां संयुक्त राष्ट्र अमेरिका द्वारा क्रमशः 6 अगस्त 1945 और 9 अगस्त 1945 को परमाणु बम गिराए गये। इन बम विस्फोटों में लगभग 1,29,000-2,26,000 लोग मारे गये जिनमें से अधिकांश सामान्य नागरिक थे। अगले दो से चार महीनों में, परमाणु बमों के तीव्र प्रभाव से हिरोशिमा में 90,000-146,000 और नागासाकी में 39,000-80,000 लोग बमों के विकिरण से उत्पन्न बीमारी, चोटों, जलने, कुपोषण आदि के कारण बड़ी संख्या में मारे गये। इन बमों का दुष्प्रभाव आज भी वहां बना हुआ है।
परमाणु हथियारों से होने वाले दुष्प्रभावों की रोकथाम के लिए 2013 से पूर्व 2009 में संकल्प 64/35 के तहत महासभा ने 29 अगस्त को परमाणु हथियारों के परीक्षणों के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय दिवस घोषित किया था। 2014 के बाद से परमाणु हथियारों के पूर्ण उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस प्रतिवर्ष मनाया जा रहा है। महासभा, सदस्य राज्यों, संयुक्त राष्ट्र प्रणाली और गैर-सरकारी संगठनों, शिक्षाविदों, सांसदों, जनसंचार माध्यमों और व्यक्तियों सहित नागरिक समाज के संकल्पों के अनुसार इस अंतर्राष्ट्रीय दिवस का हर साल स्मरण किया जाता है तथा परमाणु हथियारों के पूर्ण उन्मूलन के लिए मानवता द्वारा उत्पन्न खतरे के बारे में सार्वजनिक जागरूकता और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
वास्तव में परमाणु निरस्त्रीकरण का उद्देश्य परमाणु हथियारों को कम या समाप्त कर दुनिया को परमाणु-हथियार-मुक्त बनाना है ताकि भविष्य में हिरोशिमा और नागासाकी जैसी भयावह घटनाएं न हो सकें। परमाणु निरस्त्रीकरण समूहों में परमाणु निरस्त्रीकरण अभियान, शांति आंदोलन, ग्रीनपीस (Greenpeace), सोका गक्कई इंटरनेशनल (Soka Gakkai International), ग्लोबल ज़ीरो (Global Zero), परमाणु हथियारों के लिए अंतर्राष्ट्रीय अभियान और परमाणु एज पीस (Atomic Age Peace) फाउंडेशन अभियान आदि शामिल हैं। परमाणु हथियारों को पूर्ण रूप से खत्म करने के संदर्भ में कई बड़े परमाणु-विरोधी प्रदर्शन किये गये। इसका सबसे बड़ा प्रदर्शन 12 जून, 1982 को न्यूयॉर्क शहर के सेंट्रल पार्क (Central park) में किया गया जिसमें दस लाख से भी अधिक लोग शामिल थे। यह अमेरिकी इतिहास का सबसे बड़ा राजनीतिक प्रदर्शन और परमाणु-विरोधी प्रदर्शन था। परमाणु हथियारों के विकास तथा इसके उपयोग को खत्म करने के उद्देश से 1970 में परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी- NPT) विकसित की गयी। यह संधि अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों का एक हिस्सा है जिसका उद्देश्य परमाणु हथियारों के विस्तार को रोकना और शांतिपूर्ण कार्यों के लिए इनके इस्तेमाल को बढ़ावा देना है। शुरूआत में यह संधि पांच देशों अमेरीका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ़्रांस के बीच हुई थी जिसके बाद अन्य कई देश भी इसका हिस्सा बने। संधि के तहत NPT के सदस्य देश न तो किसी ग़ैर-परमाणु देशों को यह हथियार दे सकते हैं और न ही इस संदर्भ में इनकी मदद कर सकते हैं। इन देशों को यह छूट दी गयी है कि, परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के लिए परमाणु हथियारों को विकसित किया जा सकता है। इज़रायल, पाकिस्तान तथा भारत इस संधि का हिस्सा नहीं हैं पर परमाणु क्षमता रखते हैं।
यह संधि परमाणु हथियारों के विकास को बढ़ावा देने के विरुद्ध है। क्योंकि परमाणु हथियार पूरी पृथ्वी के विनाश का कारण बन सकते हैं। हिरोशिमा और नागासाकी में दिखे प्रभावों से इस बात का अनुमान लगाया जा सकता है कि मानव जीवन के लिए यह हथियार कितने खतरनाक हैं। विभिन्न देशों या संगठनों द्वारा इनके अनुचित उपयोग से बचने के लिए यह आवश्यक है कि परमाणु हथियार पर पूर्ण रूप से प्रतिबंधित हो।
क्या आपने कभी सोचा है कि कभी यदि जौनपुर में परमाणु हमला होता है तो वह कितने क्षेत्र को प्रभावित करेगा? इसका अनुमान आप इस लिंक (https://nuclearsecrecy.com/nukemap/) पर जा कर मानचित्र में जौनपुर ढूंढ कर लगा सकते हैं।
संदर्भ:
1.https://en.wikipedia.org/wiki/Manhattan_Project
2.https://en.wikipedia.org/wiki/Atomic_bombings_of_Hiroshima_and_Nagasaki
3.https://www.un.org/en/events/nuclearweaponelimination/background.shtml
4.https://en.wikipedia.org/wiki/Nuclear_disarmament
5.https://www.nti.org/analysis/reports/nuclear-disarmament/
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