समयसीमा 237
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 948
मानव व उसके आविष्कार 725
भूगोल 236
जीव - जन्तु 275
सम्पूर्ण पृथ्वी पर अनेकों पर्वत मालाएं उपस्थित हैं जो कि पृथ्वी के अलग-अलग भूभागों को विभाजित करती हैं। उन्हीं पर्वतमालाओं में से एक है ‘विन्ध्य’ पर्वत माला। यह पर्वत श्रंखला बिहार, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात तक फैली हुयी है। यह कहना कदाचित गलत नहीं होगा कि विन्ध्य पर्वत माला भारत के सबसे लम्बे क्षेत्र में फैली हुयी पर्वत मालाओं में से एक है। यह पर्वत माला पहाड़ों और पठारों दोनों के संयोग से बनी हुयी है। इसका फैलाव मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी के अंतर्गत आता है। विन्ध्य पर्वत माला भारत में पाए जाने वाले डायनासोर (Dinosaur) के जीवाश्मों का सबसे बड़ा संग्रहकर्ता भी है। नर्मदा की घाटी में बेलसर, मांडू, उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में सलखन जीवाश्म केंद्र आदि इसके परिचायक हैं। भारत में पाई जाने वाली सबसे प्राचीन आदिमानव की खोपड़ी भी इसी पर्वत श्रंखला से प्राप्त हुयी है हथनौरा नामक जगह पर नर्मदा नदी में। भारत का सबसे प्राचीन पाषाणकालीन पुरास्थल भीमबेटका भी इसी पर्वतमाला में उपस्थित है। यह पर्वत श्रंखला भारत में पाषाणकालीन लोगों के रहने वालों के लिए स्वर्ग था। यही कारण है की सबसे प्राचीन भित्ति चित्र इसी पर्वतमाला में प्राप्त हुए हैं जिसके खोजकर्ता कार्लाइल थे। भित्तिचित्रों के कारण ही उत्तर प्रदेश में एक पूरे जिले का नाम ही चित्रकूट रखा गया है।
विन्ध्य पर्वतमाला का भारतीय धर्मशास्त्र में एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। इस पर्वतमाला को कई प्राचीन लेखों में दक्षिणी आर्यावर्त की सीमा के रूप में जाना जाता था। प्राचीन विन्ध्य प्रदेश का नाम विन्ध्य पर्वतमाला के नाम पर रखा गया था। विन्ध्य नाम का विषद विवरण अमरकोश में देखने को मिलता है जहाँ पर कहा गया है कि विन्ध्य नाम संस्कृत से निकला है। कहा जाता है कि यह पर्वतमाला इतनी ऊंची थी कि ये सूर्या का भी मार्ग अवरुद्ध कर देती थी जिसके कारण इसकी एक दिशा में अत्यंत ही घनी छाया पड़ी रहती थी। एक बार एक ऋषि वहां से गुज़रे और उन्होंने विन्ध्य पर्वत से कहा कि वह झुक जाए और जब तक मैं वापस ना आ जाऊं तब तक ऐसे ही झुके रहे। विन्ध्य ने यह बात मान ली और वह झुक गया तब से लेकर आजतक न वो ऋषि आये और न ही विन्ध्य पर्वत खड़ा हुआ। रामायण में भी विन्ध्य पर्वत की महत्ता को प्रदर्शित किया गया है। विन्ध्य पर्वत माला को विंध्याचल के नाम से भी जाना जाता है। अचल का संस्कृत में अर्थ है पहाड़ अर्था विन्ध्य की पहाड़ी। महाभारत में इस पहाड़ी को विन्ध्यपर्वत नाम से जाना जाता है। ग्रीक भूगोल शास्त्री टोलेमी ने इसको ‘विंडीयस’ के नाम से बुलाया।
विन्ध्य पर्वत माला में ही स्थित मिर्ज़ापुर जिले में स्थित विन्ध्य वासिनी देवी का महत्त्व अत्यंत ही वृहद् है। यह मंदिर जौनपुर से मात्र 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। विंध्यवासिनी का शाब्दिक अर्थ है विन्ध्य क्षेत्र में रहने वाली। ये देवी माता अम्बा या दुर्गा ही हैं जिनको यहाँ पर विंध्यवासिनी कहा जाता है। विंध्यवासिनी का मंदिर गंगा नदी के किनारे पर स्थित है। यह मंदिर माता के शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। माता सती के अंग पृथ्वी पर जहाँ-जहाँ गिरे थे उन स्थानों को शक्तिपीठों का दर्जा दिया गया। लेकिन विंध्यांचल वह स्थान है जहाँ पर देवी ने अपने जन्म के बाद रहने का सोचा था। कृष्ण के जीवन से और देवी के विन्ध्य क्षेत्र में आने से भी एक घटना वर्णित है। विंध्यवासिनी देवी को कजला देवी के नाम से भी जाना जाता है। माता काली विंध्यवासिनी के रूप में इस क्षेत्र में निवास करती हैं। इस मंदिर में लाखों की संख्या में लोग शीश नवाने नमन करने आते हैं, तथा नवरात्रि के समय पर यह क्षेत्र दर्शनार्थियों से भरा रहता है।
संदर्भ:-
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Vindhya_Range
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Fossil_parks_in_India
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Vindhyavasini
चित्र सन्दर्भ:-
1. https://www.flickr.com/photos/internetarchivebookimages/14779899204/
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.