बरसात में फैलने वाले जानलेवा मलेरिया के लक्षण एवं उपचार

विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा
25-07-2019 02:19 PM
बरसात में फैलने वाले जानलेवा मलेरिया के लक्षण एवं उपचार

बरसात का मौसम अपने साथ ढेर सारी बीमारियां लेकर आता है। इनमें से कई बीमारियां जल जनित और मच्छर जनित हैं। दरसल बरसात के मौसम में जगह-जगह पर गंदे पानी का ठहराव होने लगता है और इस पानी में कई जीवाणु, कीटाणु, प्रोटोज़ोआ (Protozoa) आदि पनपने लगते हैं। इस गंदे जल के कारण बरसात के मच्छरों की आबादी भी बढ़ने लगती है जो मलेरिया जैसी भयावह बीमारी का कारण बनते हैं। जौनपुर में गोमती नदी के जगह जगह ठहराव और उसके दूषित हो जाने के कारण जौनपुर भी जल जनित और मच्छरजनित रोगों से प्रभावित हो रहा है तथा डेंगू (Dengue), मलेरिया (Malaria), मस्तिष्क ज्वर आदि के पीड़ित हो गया है। इन पीड़ितों में मलेरिया से ग्रसित रोगियों की संख्या बहुत अधिक है।

मलेरिया एक मच्छर जनित संक्रामक रोग है जो मनुष्यों और अन्य जानवरों को प्रभावित करता है। दरसल मादा एनोफिलीस (Anopheles) मच्छर की लार ग्रंथि में उपस्थित परजीवी प्लास्मोडियम (Plasmodium) मलेरिया का कारण बनता है। जब यह मच्छर किसी को काटता है तो प्लास्मोडियम त्वचा के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर जाता है तथा हानिकारक प्रभाव उत्पन्न करता है। रक्तप्रवाह के साथ इस परजीवी की आबादी भी बढ़ने लगती है। मादा 'एनोफिलीस' मच्छर गंदे पानी में पनपते हैं तथा आमतौर पर सूर्यास्त के बाद काटते हैं। मनुष्यों में मलेरिया उत्पन्न करने वाले परजीवियों में पी. फाल्सीपेरम (P. falciparum), पी. मलेरिये (P. malariae), पी. ओवेल (P. ovale) आदि मुख्य हैं। आमतौर पर सूक्ष्मदर्शी द्वारा रक्त का परीक्षण करने पर मलेरिया की पहचान की जाती है।

मादा एनोफिलीस मच्छर प्लास्मोडियम परजीवी के लिये वहाँ के रूप में कार्य करती है तथा रोग पैदा करने वाले प्लास्मोडियम के बीजाणुज (स्पोरोज़ाइट - Sporozoite) को मानव शरीर में प्रवेश करवाती है। बीजाणुज रक्त वाहिकाओं के माध्यम से यकृत कोशिकाओं तक जाते हैं तथा यहां अलैंगिक रूप से प्रजनन करते हैं। इस प्रकार हज़ारों अंशाणुओं (मेरोज़ाइट - Merozoites) का उत्पादन होता है जो लाल रक्त कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं तथा विभिन्न प्रकार के हानिकारक प्रभावों को उत्पन्न करते हैं।

मलेरिया के लक्षण

मलेरिया के लक्षणों को दो श्रेणियों में बांटा गया है: अपूर्ण और गंभीर मलेरिया जिनके लक्षण निम्नलिखित हैं:

अपूर्ण मलेरिया: अस्पष्ट मलेरिया में मामूली लक्षण प्रदर्शित होते हैं किंतु यदि इन पर ध्यान न दिया जाए या उपचार न करवाया जाये तो यह गम्भीर रूप ले सकता है। इसके लक्षण 6 से 10 घंटे तक रहते हैं जो कि हर दूसरे दिन फिर से प्रदर्शित होते हैं। अस्पष्ट मलेरिया में कपकपी के साथ ठंड, बुखार, सिरदर्द, उल्टी, थकावट, पसीना आदि लक्षण प्रदर्शित होते हैं।

गंभीर मलेरिया: गम्भीर मलेरिया की पुष्टि लाक्षणिक और प्रयोगशाला साक्ष्यों के माध्यम से होती है जिसमें अंग शिथिलता के लक्षण प्रकट होते हैं। गंभीर मलेरिया के लक्षणों में बुखार और ठंड लगना, अचेतन होना, उदासीनता, बेहोशी और ऐंठन, सांस की तकलीफ, एनीमिया (Anemia) के संकेत, असामान्य रक्तस्राव, पीलिया, आदि शामिल हैं। गम्भीर मलेरिया का ठीक प्रकार से उपचार न करने पर यह जानलेवा हो सकता है।

उपचार
मलेरिया का उपचार करने के लिये मरीज़ को पूर्णतया स्वस्थ होने तक चिकित्सीय निगरानी मे रखना अनिवार्य है।
मलेरिया के उपचार के लिये मलेरिया-रोधी दवाओं का उपयोग करना चाहिए।
उपचार में उन लोगों का भी इलाज किया जाना चाहिए जिनमें मलेरिया के लक्षण प्रदर्शित नहीं होते। इससे संक्रमण की सम्भावना कम हो जाती है।
मलेरिया के उपचार के लिये आर्टीमिसिनिन-आधारित संयोजन चिकित्सा- एसीटी (Artemisinin-based combination therapy-ACT) का उपयोग करने की सलाह दी जाती है। यह अपूर्ण मलेरिया के इलाज के लिये बहुत अधिक प्रभावशाली है।
आर्टेमिसिनिन जिसे पादप आर्टीमिसिया एनुआ (Artemisia annua) से प्राप्त किया जाता है, का उपयोग मलेरिया के उपचार में किया जाता है जो रक्तप्रवाह में मौजूद प्लास्मोडियम परजीवी की आबादी को कम करता है।
मलेरिया के उपचार में आयुर्वेदिक औषधियों जैसे आंवला, नीम, कुटकी एवं शिकाकाई के मेलजोल से बने अनेक चूर्ण और वटियों इत्यादि का प्रयोग करना चाहिए।

बरसात के मौसम में मलेरिया होने की सम्भावना बहुत अधिक होती है इसलिए आवश्यक है कि इसके प्रति कुछ सावधानियां बरती जायें जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
जितनी जल्दी हो सके मलेरिया के संदिग्ध लक्षणों के लिए चिकित्सा पर ध्यान दें।
संक्रमण से बचने के लिये विभिन्न देशों में यात्रा करने से बचें।
घर से बाहर जाने से पहले मलेरिया रोधी दवाओं का प्रयोग अवश्य करें।
सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें।
बरसात के मौसम में रक्त दान करने से बचें ताकि संक्रमण से बचा जा सके।
• घर के आस-पास कीट निरोधकों का छिड़काव करें।

संदर्भ:
1.
https://bit.ly/2LBAykE
2.https://en.wikipedia.org/wiki/Malaria
3.https://www.medicalnewstoday.com/articles/150670.php

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