बौद्ध धर्म में भी मछलियों को दिया गया है महत्वपूर्ण स्थान

विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)
04-07-2019 11:03 AM
बौद्ध धर्म में भी मछलियों को दिया गया है महत्वपूर्ण स्थान

मछली का प्रयोग प्राचीन काल से ही किसी न किसी रूप में किया जा रहा है। कहीं यह सम्मान का प्रतीक है तो कहीं निर्माण का। आप सभी ने मत्स्य और मनु की कहानी को अवश्य ही सुना होगा जो बताती है कि किस प्रकार एक मछली सृष्टि की रचना में सहायता करती है। कई अन्य संस्कृतियों में भी मछली का प्रतीकवाद सृष्टि के निर्माण को संदर्भित करता है जिसका एक उदाहरण बौद्ध धर्म भी है जहां इसे हिंदू धर्म के समान ही खुशी और सौभाग्य का प्रतीक माना गया है।

बौद्ध धर्म के आठ शुभ प्रतीकों में मछली भी शामिल है जो कल्याण, खुशी और स्वतंत्रता का प्रतिनिधित्व करती है। बौद्ध मत के अनुसार मछली निर्भयता की स्थिति में रहने, कष्टों के समुद्र (दुख) में डूबने से बिना डरे और स्वतंत्र रूप से अनायास ही किसी जगह से पलायन करने का प्रतीक है। क्योंकि मछलियां अक्सर साथ में तैरती हैं इसलिए मछलियों के एक जोड़े को बौद्ध प्रतीकों में चित्रित किया गया है जो पानी के साथ मछलियों के सम्बंध को दर्शाता है। पानी सभी जीवों के जीवन का आधार है और इस प्रकार यहां भी मछली सृष्टि की रचना का प्रतिनिधित्व कर रही है। पानी में इनकी उपस्थिति इस प्रकार होती है जैसे कि एक मानव भ्रूण मां के पेट में रहता है तथा संसार में आने पर सबको खुशी और समृद्धि देता है। इस प्रकार मछली भी सभी को खुशी और समृद्धि प्रदान कर रही है। बौद्ध मत का मानना है कि यह दो सुनहरी मछलियाँ शरीर और मन के बीच के संतुलन को भी व्यक्त करती हैं जो हमें उच्च-चेतना तक पहुँचने में मदद करता है- जिसे बौद्ध निर्वाण या समाधि कहते हैं। जब मनुष्य का शरीर और मन असंतुलित होता है तो वह भ्रम सहित क्रोध, घृणा, ईर्ष्या और अन्य भय-आधारित भावनाओं का शिकार हो जाता है। और इसलिये उसे संतुलन की आवश्यकता है।

जापानी शचीहोको (Shachihoko) जिसका सिर बाघ के समान तथा शरीर मछली के समान होता है, हर मंदिर और महल की छत पर दिखायी देती है जिसे बौद्ध धर्मानुसार परिश्रम और परमानंद का प्रतीक माना गया है। इसे बुद्ध की लम्बी भौहों का प्रतीक भी माना जाता है। एक अन्य मछली की प्रतिकृति जिसे मोकूग्यो (Mokugyo) कहा जाता है, अपनी आँखों के लिए जानी जाती है। क्योंकि मछलियाँ पानी में रहती हैं इसलिए उनकी आँखें हमेशा नाम रहती हैं और इसलिए अधिकतर मछलियों की पलकें नहीं होती और अधिक सटीकता से देखने के लिए इनकी आँखें बड़ी भी होती हैं। ये आँखें इस बात का संकेत देती हैं कि ईश्वर हमारा हर कर्म हर वक़्त देख रहा होता है। इसी प्रकार जापान की प्रसिद्ध कैटफ़िश (Catfish) नमाज़ू (Namazu) के विषय में भी यह धारणा है कि भूकंप आने पर यह सभी जीवों को चेतावनी देकर उनकी रक्षा करती है। इन सभी प्रतिकृतियों का संदर्भ बौद्ध धर्म से है।

बौद्ध प्रतीकों में उपस्थित सुनहरी मछली को प्राचीन वैदिक पौराणिक कथाओं से लिया गया है जिसमें भगवान विष्णु खुद को एक मछली में बदल लेते हैं तथा मनु की बाढ़ से रक्षा कर पृथ्वी के निर्माण में सहायक बनते हैं। हिंदू कहानी के अनुसार मछली के रूप में भगवान विष्णु ने मानव जाति को बचाया तथा उसे जीवन और समृद्धि का पुरस्कार दिया। दो सुनहरी मछलियाँ मूल रूप से भारत की दो मुख्य पवित्र नदियों गंगा और यमुना का प्रतिनिधित्व करती हैं जो चंद्र और सौर प्रणालियों से जुड़ी हुई हैं। बौद्ध परंपराओं में भी इन नदियों का बहुत अधिक धार्मिक महत्व है। सुरुचिपूर्ण सौंदर्य, आकार और जीवन काल के कारण मछलियों को बौद्ध धर्म में पवित्र स्थान दिया गया है।

एक और रोमांचक तथ्य यह है कि मछलियों का सम्बंध जौनपुर से 30 किमी पश्चिम में स्थित एक कस्बे से भी है जिस कारण कस्बे को मछलीशहर नाम दिया गया है। गौतम बुद्ध के काल में यह कस्बा ‘मच्छिका खंड’ के रूप में जाना जाता था क्योंकि यह वो स्थान है जहां बुद्धवादी भिक्षु (भगवान गौतम बुद्ध सहित) सक्रिय रूप से आवागमन करते थे। कहा जाता है कि एक सूफी फ़कीर ने शर्की बादशाह को एक मछली भेंट की जो उसके लिए शुभ साबित हुयी और जब उसने यहां शर्की राज्य की स्थापना की तो इसका नाम मछलीशहर रख दिया। जौनपुर शहर में भी रोहू प्रजाति की मछली बड़े पैमाने पर पाई जाती हैं और इस प्रजाति के एक जोड़े की कलाकृति को आप यहां स्थित शाही पुल पर भी देख सकते हैं जिसे जादुई मछली कहा जाता है। वास्तव में यह कोई जादू नहीं बल्कि इस पर बनाये गये निशानों की संरचना है जो किसी जादू से कम नहीं लगते। दाहिने तरफ से देखने पर बायीं मछली एकदम सपाट और बिना निशान के दिखाई देती है जबकि बायीं तरफ से देखने पर वही मछली पूरी कलाकृति के साथ दिखती है। ठीक ऐसा ही दूसरी मछली को देखने पर भी अनुभव होता है।

ये सभी तथ्य इस बात की ओर संकेत करते हैं कि चाहे धर्म कोई भी हो पर हर किसी में मछली की उपयोगिता बहुत ही महत्वपूर्ण है।

संदर्भ:
1. https://mastermindcontent.co.uk/the-symbolic-meaning-of-two-golden-fish-in-buddhism/
2. https://www.seiyaku.com/customs/fish/fish-buddhist.html
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Ashtamangala
4. https://www.hamarajaunpur.com/2016/10/blog-post_28.html
5. https://en.wikipedia.org/wiki/Machhlishahr
6. https://jaunpur.prarang.in/posts/1172/machhlishahr
7. https://jaunpur.prarang.in/posts/1080/postname

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.