जलियांवाला बाग हत्याकांड का गांधी जी पर प्रभाव

उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक
12-04-2019 07:00 AM
जलियांवाला बाग हत्याकांड का गांधी जी पर प्रभाव

13 अप्रैल 1919 जलियांवाला बाग हत्याकांड जिसे अमृतसर हत्याकांड के नाम से भी जाना जाता है, इस घटनाक्रम ने राष्ट्रव्यापी रूप में सभी पर एक गहरा प्रभाव छोड़ा और साथ ही इस हत्याकांड का महत्वपूर्ण प्रभाव महात्मा गाँधी पर भी हुआ। इस हत्याकांड के बाद उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ कई ठोस कदम उठाए। जलियांवाला बाग हत्या कांड ने भारतीय राष्ट्रवादियों को स्वतंत्रता के मार्ग पर ला खड़ा कर दिया था।

प्रथम विश्व यूद्ध के दौरान महात्मा गांधी ने भारत के लिए आंशिक स्वायत्तता जीतने की उम्मीद में सक्रिय रूप से अंग्रेजों का समर्थन किया था, लेकिन अमृतसर हत्याकांड के बाद वह आश्वस्त हो गए कि भारत को पूर्ण स्वतंत्रता के अतिरिक्‍त और कुछ भी स्वीकार नहीं करना चाहिए। शुरुआत में अमृतसर में हुए जलियांवाला हत्याकांड की खबर महात्मा गाँधी को तीन प्रमुख स्त्रोतों से प्राप्त हुई जोकि काफी मिश्रित रूप में थी। पूरे एक महीने बाद घटना की जानकारी स्पष्ट होने पर उन्होंने सत्याग्रह सम्मेलन का आयोजन करवाया तथा साथ ही उन्होंने वायसराय (Viceroy) से पंजाब में अशांति मार्शल लॉ के प्रशासन और मार्शल लॉ ट्रिब्यूनल (Martial law tribunal) द्वारा पारित किए गए वाक्यों को संशोधित करने के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की मांग की।

ऐसा प्रतीत होता है कि रवींद्रनाथ टैगोर को गांधी जी से पहले पंजाब के हत्याकांड के बारे में सारी जानकारी प्राप्त हो चुकी थी। 7 जून से पहले ही यंग इंडिया (Young India) में उनके द्वारा नाइटहुड (Knighthood) की उपाधि को त्यागने का पत्र प्रकाशित हो चुका था। 21 जुलाई को जब महात्मा गांधी जी ने रौलट एक्ट (Rowlatt act) के खिलाफ नागरिक अवहेलना को रोका तब उन्होंने केवल किचलू और सत्यपाल के खिलाफ किए गए कानूनी मुकदमें के बारे में अपनी जानकारी का वर्णन किया। अप्रैल से जुलाई तक के मूलपाठ से संकेत मिलता है कि 1919 के अगस्त महीने तक पंजाब के "भयावह घटना” की जानकारी उन्हें बहुत कम थी। जब महात्मा गांधी को पंजाब में प्रवेश करने से रोकने वाले प्रतिबंधात्मक आदेश को 15 अक्टूबर को वापस ले लिया गया। वह तुरंत लाहौर गए और वहां उनका विशाल अभिनंदन किया गया। 4 नवंबर को उन्होंने जलियांवाला बाग का दौरा किया। साथ ही वे बार-बार जांच की प्रगति पर अपनी राय व्यक्त कर रहे थे ।

वायसराय को भेजे हुए अपने पत्र के दो महीने बाद गांधी जी ने ब्रिटिशों पर अपनी रुचि को छोड़ दिया और मानेकत्रिपुन्नम (अश्विन की पूर्ण रात्रि) की तीर्थयात्रा में भाग ले लिया। इस बात पर कोई संदेह नहीं है कि 1919 की घटनाओं के बाद गांधी जी में काफी बदलाव आ गया था। इसके अलावा गांधी जी का अंग्रेजों के प्रति अपने दृष्टिकोण में भी काफी बदलाव आ गया था।

संदर्भ :-

1. https://www.mytutor.co.uk/answers/6269/A-Level/History/How-significant-was-the-Amritsar-Massacre/
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