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जौनपुर शर्की साम्राज्य का प्रमुख केन्द्र था। जौनपुर के शर्की वंश की स्थापना मलिक सरवर ने की थी।
शर्की साम्राज्य की राजनीति में बीबी राजी ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । यह अपने पति के जीवनकाल के दौरान तथा उसकी मृत्यु के बाद भी सत्ता में मार्गदर्शक की भूमिका निभाती रहीं। वह सैय्यद सुल्तान मुबारक शाह की बेटी थी और यह अपनी बुद्धिमत्ता और परोपकारी स्वभाव के लिए जानी जाती थी। अपने बेटे (सुल्तान हुसैन शाह शर्की) के शासनकाल के दौरान, इन्होंने सत्ता की शक्ति अपने हाथों में ले ली तथा अपने कल्याण और प्रजा की देखभाल की। ऊपर दी गयी तस्वीर जौनपुर के लाल दरवाज़ा मस्जिद की है जिसे बीबी राजी ने बनवाया था।
बीबी राजी का विवाह शर्की युवराज से हुआ था, महमूद शर्की ने इस विवाह का प्रस्ताव 1427 ई. में दिल्ली के सैय्यद शासकों और जौनपुर के शर्कियों के बीच दोस्ती को मजबूती प्रदान करने के लिए स्वीकार किया था। लोदियों ने सैय्यदों पर विजय प्राप्त कर सत्ता हड़प ली। बीबी राजी ने लोदियों से अपने पूर्वजों का बदला लेने के लिए अपने पति को उनके विरूद्ध अभियान चलाने के लिए विवश किया। परिणामस्वरूप सुल्तान महमूद शर्की ने दिल्ली की सेना के खिलाफ मार्च किया और वर्ष 1452 में नरेला की लड़ाई लड़ी तथा लोदियों को हराया। कुतुब खान को बंदी बनाकर दिल्ली ले जाया गया तथा बीबी राजी के कारण इनके साथ उदारतापूर्वक व्यवहार किया गया। अंतत: इस प्रकार दोनों परस्पर विरोधी दलों के बीच शांति संधि हुई।
वर्ष 1457 ई. में सुल्तान महमूद शर्की के आकस्मिक निधन हो गयी, बीबी राज़ी ने राजकुमार भीखान खान को मोहम्मद शाह शर्की की उपाधि पर सिंहासन पर बैठाया। जल्द ही बीबी राजी को अपनी गलती का एहसास हुआ क्योंकि नया सुल्तान एक चालाक और स्वार्थी व्यक्ति था। उसे अपनी माँ से या अपने भाइयों से कोई लगाव नहीं था। उसने जौनपुर के कोतवाल को आदेश दिया कि वह कुतुब खान लोदी और हसन खान को मार डाले, जिन्हें बीबी राजी के निरीक्षण में रखा गया था।
अपने इरादे को पूरा करने के लिए सुल्तान किसी भी सीमा तक जा सकता था। उसने अपनी माता और अन्य राजकुमारों के समक्ष शांति वार्ता का प्रस्ताव रखा। जब बीबी राजी बातचीत के लिए गईं तो जौनपुर के कोतवाल ने हसन खान को सुल्तान मोहम्मद शर्की के आदेश पर मार दिया। कन्नौज पहुँचने पर जब यह समाचार बीबी राजी को मिला तो उन्हें सुल्तान मोहम्मद शर्की की दुष्टता का एहसास हुआ। जब वह राजकुमार हसन खान की मृत्यु का शोक मना रही थी, तो सुल्तान ने उन्हें उनके अन्य बेटों को जल्द ही मारने की धमकी दी। इस घटना ने बीबी राजी को एक बड़ा कदम उठाने के लिए विवश कर दिया और उन्होंने तुरंत हुसैन शाह शर्की को सिंहासन पर बैठाकर रईसों के साथ तख्तापलट (शांतिपूर्ण क्रांति) कर दिया।
सुल्तान मुहम्मद शर्की का विरोध करने के लिए मलिक मुबारक गंग और मलिक अली गुजराती ने नए सुल्तान का साथ दिया और इस लड़ाई में सुल्तान मुहम्मद मारा गया। इसकी मौत की योजना भी बीबी राजी ने बनायी जिसने बड़ी चतुराई से एक पहरेदार को रिश्वत देकर सुल्तान के तीर से सिरे हटवा दिये, जिस कारण उसके पास लड़ने के लिए तलवार ही शेष रह गयी थी और वह आसानी से मारा गया।
सुल्तान हुसैन शाह ने अपनी माँ का सम्मान किया और उनकी अनुभवी सलाह पर कार्य किया। बीबी राजी की मृत्यु 1477 ई. में इटावा में हुई। इस घटना से सुल्तान बहुत दुखी हुआ। यहां तक कि सुल्तान बहलोल लोदी ने भी इनकी मृत्यु पर शोक अभिव्यक्त किया क्योंकि वह दिल से इनका बहुत सम्मान करते थे।
संदर्भ:
1. http://ir.amu.ac.in/4402/1/DS%204034.pdfA. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
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