वेलेंटाइन डे का इतिहास

धर्म का उदयः 600 ईसापूर्व से 300 ईस्वी तक
14-02-2019 12:45 PM
वेलेंटाइन डे का इतिहास

भारत में भी बीते वर्षों से वेलेंटाइन डे मनाने का प्रचलन काफी बढ़ गया है। भारतीय युवा वैलेनटाइन डे को धूमधाम से मनाने लगे हैं। परंतु क्या आप इस दिन से जुड़े इतिहास के बारे में जानते हैं? क्या आपको पता है ये पश्चिमी देशों में किस वजह से मनाया जाता है? पश्चिमी देशों के इतिहासकारों के अनुसार वेलेंटाइन डे का शुभारंभ ईसाइयों के एक सेंट वेलेंटाइन के नाम से हुआ था। सेंट वेलेंटाइन से जुड़ी कई किंवदंतियाँ हैं। कैथोलिकों का मानना है कि 14 फरवरी को सेंट वेलेंटाइन की शहादत को याद किया जाता है, जो तीसरी शताब्दी में रोमन पादरी थे।

सेंट वेलेंटाइन की कई किंवदंतियाँ हैं, प्राचीन स्रोतों से पता चलता है कि कई सेंट वैलेंटाइन थे जिनकी मृत्यु 14 फरवरी को हुई थी। उनमें से दो को 269-270 ईस्वी में रोमन सम्राट क्लॉडियस गोथिकस के शासनकाल के दौरान निष्पादित किया गया था, उस समय जब ईसाइयों का उत्पीड़न आम था। इस बात की जानकारी हमें बेल्जियम के भिक्षुओं के माध्यम से मिलती है जिन्होंने अपना जीवन दुनिया भर में पांडुलिपि अभिलेखागार से संतों के जीवन के बारे में साक्ष्य इकट्ठा करने में बिताया।

"एक्टा" में पुनर्मुद्रित एक मध्ययुगीन किंवदंती के अनुसार, वेलेंटाइन नामक एक रोमन पुजारी को सम्राट गोथिकस के शासनकाल के दौरान गिरफ्तार किया गया था और एस्टेरियस नाम के एक अभिजात की हिरासत में रखा गया था। वेलेंटाइन ने एस्टेरियस की अंधी बेटी का इलाज किया था जिससे वो देखने लगी थी। इस कारण एस्टेरियस और उनके पूरे परिवार ने ईसाई धर्म अपना लिया था, जिसका पता सम्राट गोथिकस को चल गया और उसने उन सभी को मार डालने का आदेश दिया और वेलेंटाइन का सिर कलम करवा दिया था। एक अन्य किंवदंती के अनुसार तीसरी शताब्दी में वेलेंटाइन इटली के टेर्नी में एक बिशप था, जिसने बीमार को चंगा किया था। वे जिन लोगों की मदद करते थे उन्हें वे ईसाई धर्म को अपनाने को कहते थे। इस कारण उन्हें मौत की सजा दी गई थी।

कुछ लोगों का यह भी मानना है कि रोम में तीसरी सदी में राजा क्लैडियस का शासन था। एस समय रोमन सेना सैनिकों की कमी से जूझने लगी। क्लैडियस का मानना था कि विवाहित पुरुष अच्छी तरह से लड़ नहीं सकते हैं, इसलिए उसने सेना में परम्परागत विवाह पर रोक लगा दी। उस वक्त रोम में संत वेलेंटाइन पादरी थे। वह रोमन राजा क्लॉडिअस के आदेश के ख़िलाफ़ थे। उन्होंने गुप्त रूप से सैनिकों का विवाह कराना शुरू कर दिया। इस बात की जानकारी जब राजा को हुई तो उसने उनकी मौत का फरमान सुना दिया। जब उनको मौत दी जानी थी उससे पहले वे जेल में थे और वहां रहते हुए उन्होने रोमन कानून के अनुसार न्याय करने वाले एक आदमी “एस्टेरियस” की नेत्रहीन बेटी के लिए प्रार्थना की थी जिससे उसकी बेटी की आंखों की रोशनी आ गई थी। इससे प्रभावित होकर एस्टेरियस ने ईसाई धर्म अपना लिया। इसके बाद वेलेंटाइन को ईसाई विवाह करने के लिये तीन-भागों नें सजा सुनाई गई, पहले उन्हें पिटा गया फिर उन पर पत्थरबाजी कि गई और अंत में सर काट दिया गया। तभी से वेलेंटाइन को मानव प्रेम के मसीहा के रूप में विश्व में याद किया जाता है।

कुछ लोग यह भी मानते हैं कि आधुनिक वेलेंटाइन डे, प्राचीन रोम के लुपेर्केलिया के त्यौहार से विरासत में मिला हो सकता है। जिसे प्राचीन रोमन द्वारा 13 फरवरी और 15 फरवरी के बीच मनाया जाता था। इस त्यौहार में, पुरुष महिलाओं को बकरियों और कुत्तों की खाल के साथ मारते थे। इतिहासकार नोएल लेन्स्की ने बताया कि युवा महिलाएं बकरियों और कुत्तों की खाल से मार खाने के लिये लाइन में लगी रहती थी, उनका मानना था कि इससे उनमें प्रेम और उर्वरता बढ़ेगी। बाद में, पोप गेलैसियस I ने 5वीं शताब्दी में बुतपरस्त अनुष्ठानों को निष्कासित करने के सेंट वैलेंटाइन के साथ लुपर्केलिया को बदल दिया। इसके बाद यह दिन रोमांस के दिन के रूप में मनाया जाने लगा।

संदर्भ:
1.http://www1.cbn.com/st-valentine-real-story
2.https://theconversation.com/the-real-st-valentine-was-no-patron-of-love-90518
3.https://www.npr.org/2011/02/14/133693152/the-dark-origins-of-valentines-day

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