केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कार्य

नगरीकरण- शहर व शक्ति
22-01-2019 02:37 PM
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कार्य

पर्यावरण संरक्षण में प्रदूषण नियंत्रण की भूमिका अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि प्रदूषण बढ़ने से पर्यावरण दूषित होता है। बढ़ती आबादी, शहरीकरण, औद्योगिकीकरण के मामलों में अनियोजित और अवैज्ञानिक विकास ने पर्यावरण को प्रदूषित किया है। भारत सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण के लिये अनेक प्रयास किये हैं तथा स्पष्ट नीतियाँ तैयार की हैं। इनमें से एक है जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974। यह उस समय अस्तित्व में आया जब देश में पहले से ही औद्योगिकीकरण और शहरीकरण के कारण घरेलू और औद्योगिक अपशिष्टों के उपचार के लिए जरूरतों को महसूस किया गया, इसलिए, जल प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण तथा पानी की शुद्धता को बनाए रखने या बहाल करने के लिए जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 को बनाया गया। इस अधिनियम के प्रावधानों के अन्तर्गत प्रत्येक राज्य में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तथा केन्द्रीय स्तर पर केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की स्थापना की गई।

केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड देश में प्रदूषण नियंत्रण के कार्यान्वयन की सर्वोच्च संस्था है। इसकी स्थापना जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा 3 के तहत 1974 में की गई थी। केंद्रीय बोर्ड को संपत्ति के अधिग्रहण, धारण और निपटान की शक्ति के साथ स्थायी उत्तराधिकार वाले निकाय के रूप में माना जाता है। वहीं इस अधिनियम की धारा 4 के तहत राज्य बोर्डों का गठन राज्य सरकार द्वारा किया गया और इसे राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कहा गया। जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 में कई प्रावधान शामिल किए गए हैं, जिन्होंने जल प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सशक्त बनाया है। जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा 16, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कार्य से संबंधित है, जबकि धारा 17 राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की शक्तियों और कार्यों से संबंधित है। जल प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की भूमिका को समझने के लिए, बोर्डों की शक्तियों और कार्यों को समझने की आवश्यकता है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कार्य
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कार्य पर्यावरण मानकों को निर्धारित करना, परिवेश मानकों को बनाये रखना और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों की गतिविधियों का समन्वय करना है। जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा 16 के अनुसार, केन्द्रीय बोर्ड को निम्न कार्य सौंपे गए हैं:

(a) केंद्र सरकार को सलाह देना
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्र सरकार को जल एवं वायु प्रदूषण के निवारण एवं नियंत्रण तथा वायु गुणवत्ता में सुधार से संबंधित किसी भी विषय में परामर्श दे सकता है।

(b) राज्य बोर्ड के साथ समन्वय
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राज्य बोर्डों की गतिविधियों का समन्वयन करता है तथा उनके बीच उत्पन्न विवादों को सुलझाता है।

(c) राज्य बोर्डों को तकनीकी सहायता / मार्गदर्शन
राज्य बोर्डों की तकनीकी सहायता व मार्गदर्शन उपलब्ध करना, वायु प्रदूषण से संबंधित समस्याओं तथा उसके निवारण तथा नियंत्रण उपशमन के लिए अनुसंधान और उसके उत्तरदायी कारणों की खोज करना भी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कार्यों में शामिल है।

(d) प्रशिक्षण कार्यक्रम
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा जल तथा वायु प्रदूषण के निवारण तथा नियंत्रण अथवा उपशमन के कार्यक्रम में संलग्न व्यक्तियों के लिए प्रशिक्षण आयोजित किया जाता है तथा योजनाएं तैयार की जाती है।

(e) व्यापक कार्यक्रम का आयोजन
ये जल तथा वायु प्रदूषण की रोकथाम अथवा नियंत्रण, निवारण पर एक विस्तृत जन-जागरूकता कार्यक्रम, मास मीडिया (Mass Media) के माध्यम से आयोजित करता है।

(f) राज्य बोर्ड के रूप में कार्य
संशोधन अधिनियम, 1988 के द्वारा, केंद्रीय बोर्ड किसी भी राज्य बोर्ड के ऐसे कार्य कर सकता है, जो जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा 18 (2) के तहत एक आदेश में निर्दिष्ट किए गये हों।

(g) सांख्यिकीय/तकनीकी डेटा का प्रकाशन
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जल प्रदूषण और उसके प्रभावी निवारण, नियंत्रण अथवा रोकथाम के लिए किये गये उपायों के संबंध में तकनीकी तथा सांख्यिकी आंकड़ों को संग्रहित और संकलित कर प्रकाशित करता है।

(h) नदियों अथवा कुओं के लिए मानक निर्धारित करना
केंद्रीय बोर्ड का कार्य संबंधित राज्य सरकारों के परामर्श से नदियों अथवा कुओं के लिए मानकों को निर्धारित करना तथा संशोधित करना अथवा रद्द करना है।

(i) राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रम का निष्पादन
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कार्य जल तथा वायुप्रदूषण की रोकथाम अथवा निवारण एवं नियंत्रण के लिए एक राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम की योजना तैयार करना तथा उसे निष्पादित कराना है।

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कार्य
जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा 17 के अनुसार राज्य बोर्ड को निम्नलिखित कार्य करने होते हैं:

(a) व्यापक कार्यक्रम की योजना बनाना
राज्य में नदियों और कुओं के जल की गुणवत्ता बनाये रखना तथा नियंत्रित क्षेत्रों में जल प्रदूषण रोकने, नियंत्रित करने या उन्मूलन के लिए और इसके निष्पादन को सुरक्षित करने के लिए एक व्यापक कार्यक्रम की योजना बनाना।

(b) सलाहकार के रूप में कार्य
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड राज्य सरकार को जल प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण या उन्मूलन से संबंधित किसी भी मामले पर तथा किसी भी उद्योग के स्थान (जहां एक नदी या कुएं के प्रदूषित होने की संभावना है) से संबंधित सलाह देने का कार्य करता है।

(c) सूचना का प्रसार
जल प्रदूषण तथा उनके निवारण तथा नियंत्रण से संबंधित मामलों में सूचना का प्रसार करना भी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कार्यों में शामिल है।

(d) जांच और अनुसंधान को प्रोत्साहित करना
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कार्य जल प्रदूषण और रोकथाम, नियंत्रण की समस्याओं से संबंधित जांच और अनुसंधान में भागीदारी करने के लिये प्रोत्साहित, संचालन और भाग लेना है।

(e) प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सहयोग से जल तथा वायु प्रदूषण के निवारण तथा नियंत्रण के कार्यक्रम में संलग्न व्यक्तियों के लिए प्रशिक्षण आयोजित किया जाता है तथा योजनाएं तैयार करना होता है।

(f) सीवेज (Sewage)/व्यवसायिक बहि:स्राव संयंत्रों का निरीक्षण
मल तथा व्यावसायिक बहि:स्राव व उत्सर्जन के शुद्धिकरण संयंत्रों की जांच तथा निरीक्षण करना तथा पानी के उपचार के लिए संयंत्रों की स्थापना से संबंधित योजनाओं, विनिर्देशों या अन्य आंकड़ों की समीक्षा करना, इसके शुद्धिकरण के लिए काम करना, मल तथा व्यावसायिक बहि:स्राव के निपटान की प्रणाली तैयार करना।

(g) पानी के निर्वहन के लिए मानकों का निर्धारण
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कार्य मल तथा व्यावसायिक बहि:स्राव के लिए मानकों को संशोधित करना तथा अपशिष्टों के निर्वहन के परिणामस्वरूप प्राप्त होने वाले पानी की गुणवत्ता के लिए और राज्य के पानी का वर्गीकरण करना है।

(h) सीवेज के उपचार के किफायती तरीके
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, विभिन्न क्षेत्रों में मिट्टी, जलवायु और जल संसाधनों की खराब स्थितियों के संबंध में सीवेज/ व्यावसायिक बहि:स्राव के उपचार के किफायती और विश्वसनीय तरीके विकसित करता है।

(i) सीवेज के उपयोगीकरण के संबंध में विधियाँ
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कृषि में सीवेज और उपयुक्त व्यावसायिक अपशिष्टों के उपयोग के तरीकों को विकसित करता है।

(j) सीवेज के निपटान के तरीके
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, भूमि पर सीवेज और व्यावसायिक अपशिष्टों के निपटान के कुशल तरीकों को विकसित करता है तथा साथ ही साथ ये सीवेज के उपचार के लिए मानक भी निर्धारित करता है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की शक्तियां

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड निम्नलिखित शक्तियों के साथ निहित है:

1. राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को निर्देश देने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा 18 द्वारा सशक्त किया गया है।
2. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा दिए गए किसी भी निर्देश का पालन न करने की स्थिति में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के किसी भी कार्य को करने की शक्तियां हैं।
3. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा 33A के तहत किसी भी उद्योग के संचालन या समापन, निषेध या विनियमन या बिजली, पानी या किसी अन्य सेवा की आपूर्ति के निषेध या विनियमन के लिये निर्देश जारी करने का अधिकार है।

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की शक्तियां

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 द्वारा दी गई निम्नलिखित शक्तियां प्राप्त हैं:

1. सूचना प्राप्त करने की शक्ति (धारा 20)
2. विश्लेषण के लिए अपशिष्टों के नमूने लेने की शक्ति (धारा 21)
3. प्रवेश और निरीक्षण की शक्ति (धारा 23)
4. नए आउटलेट (Outlet) और नए प्रवाहों पर प्रतिबंध लगाने की शक्ति (धारा 25)
5. किसी उद्योग आदि की स्थापना के लिए सहमति देने से इनकार करने या वापस लेने की शक्ति (धारा 27)
6. कुछ विशेष कार्यों को करने की शक्ति (धारा 30)
7. नदी या कुएं के प्रदूषण के मामले में आपातकालीन परिचालन करने की शक्ति (धारा 32)
8. नदियों या कुओं में पानी के प्रदूषण को रोकने के लिए अदालतों को आवेदन करने की शक्ति (धारा 33)
9. निर्देश देने की शक्ति (धारा 33A)

उपरोक्त विवरण से आप समझ ही गये होंगे कि केन्द्रीय बोर्ड और राज्य बोर्ड विभिन्न विषयों पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर देश को प्रदूषण नियंत्रण संदर्भ में एक कुशल मानव-संसाधन देने का प्रयास कर रहे हैं। इससे प्रदूषण नियंत्रण कार्यक्रम को बहुत बल मिला है। पर इसमें जन सामान्य की भी अहम भूमिका है और प्रत्येक नागरिक को अपनी भूमिका को समझना होगा। तभी हमारा पर्यावरण पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त हो सकेगा।

संदर्भ:
1.http://shodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/99825/13/13_chapter%204%20final.pdf

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.