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नये साल के आगमन के साथ ही विभिन्नताओं के गढ़ भारत वर्ष में भी पर्वों का आगमन शुरू हो गया है। जिसका शुभारंभ मकर संक्रांति से किया जा रहा है, यह पर्व संपूर्ण भारत में भिन्न-भिन्न रूप में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार जनवरी माह के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन मनाया जाता है, इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है। मकर संक्रांति, एक हिंदू त्योहार है जिसमें मुख्यतः सूर्य देव (सूर्य) का आभार व्यक्त किया जाता है तथा लोग सर्दियों के इस फसल त्योहार में प्रकृति प्रदत्त प्रचुर संसाधनों और अच्छी उपज के लिए प्रकृति का धन्यवाद करते हैं।
इस त्योहार में लोग घरों की साज सज्जा करने के साथ साथ शानदार भोज की व्यवस्था भी करते हैं, इसमें देश के अधिकांश भागों में पतंग उड़ाना सबसे लोकप्रिय गतिविधि है। मकर संक्रांति के दौरान भारत के अलग-अलग भागों में कई उत्सव जैसे- पोंगल(तमिलनाडु), उत्तरायण (गुजरात), माघी (हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब), भोगाली बिहु (असम), खिचड़ी (उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बिहार), पौष संक्रान्ति या पौष पारबोन (पश्चिम बंगाल), मकर संक्रमण (कर्नाटक), तीला संकरैत (मिथिला) आदि मनाए जाते हैं। भारत के विभिन्न हिस्सों में इस त्योहार को भिन्न-भिन्न परंपराओं के साथ मनाया जाता है। चलिए जानें राज्यवार इस त्योहार के विषय में: आंध्र प्रदेश और तेलंगाना आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में इसे संक्रांति के रूप में चार दिनों तक मनाया जाता है। पहले दिन को ‘भोगी’ नाम से जाना जाता है, इस दिन लोग अपने घर की पुरानी वस्तुओं को बेचते या जला देते हैं तथा नई वस्तुओं से प्रतिस्थापित कर देते हैं, जो परिवर्तन को इंगित करता है। सवेरे, अलाव जलाया जाता है, यह अग्नि रूद्र (भगवान शिव) को दर्शाती है। दूसरे दिन मुख्य रूप से मकर संक्राति मनायी जाती है, इस दिन लोग नये कपडे पहनकर परिवार के साथ मीठा भोग खाते हैं। प्रत्येक घर में एक रंगोली या 'मग्गू' (तेलुगु) बनायी जाती है। तीसरे दिन मवेशियों को आहार खिलाकर मनाया जाता है, जिसे कानुमा के नाम से जाना जाता है। चौथे दिन को मुकनुमा के नाम से जाना जाता है, इस दिन लोग अपने परिवार के सदस्यों के साथ समय व्यतित करते हैं। इसमें बैल दौड़, पतंगबाजी और मुर्गा लड़ाई जैसी मजेदार गतिविधियों की व्यवस्था की जाती है। तमिलनाडु तमिलनाडु में मकर संक्रांति को पोंगल के रूप में मनाया जाता है, यहां भी आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की भांति इस फसल त्योहार को चार दिनों तक बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। पहला दिन भोगी पांडिगई के रूप में जाना जाता है, इस दिन पुरानी वस्तुओं को जलाने और बदले की परंपरा निभाई जाती है। दूसरा दिन थाई पोंगल, थाई तमिल पंचांग का पहला महीना है और पोंगल चावल, मूंग दाल, गुड़ और दूध के मिश्रण से निर्मित एक मीठा व्यंजन है। तीसरे दिन को मट्टू पोंगल के नाम से जाना जाता है, जिसे मवेशियों को आहार खिलाने के रूप में चिन्हित किया जाता है। कुछ गाँव में जल्लीकट्टू का आयोजन भी किया जाता है, इसमें जंगली सांडों की प्रतियोगिता की जाती है। चौथे दिन, जिसे कन्नुम पोंगल के रूप में जाना जाता है, परिवार के सदस्यों के साथ मनाया जाता है। इस त्योहार में किसान प्रकृति, सूर्य, खेत और पशुओं का आभार व्यक्त करते हैं ताकि उनके द्वारा अच्छी फसल प्रदान की जाए। बिहार और झारखंड बिहार और झारखंड में इसे संक्रात या खिचड़ी के नाम से जाना जाता है, जिसे दो दिनों (सक्रात और मक्रात) तक मनाया जाता है। मकर संक्रांति के पहले दिन, लोग तालाबों और नदियों में स्नान करते हैं तथा मीठे मौसमी भोग ग्रहण करते हैं। जिसमें प्रमुख व्यंजन तिलगुड़ (तिल और गुड़ के लड्डू) है, जो भारत भर में प्रसिद्ध है। दूसरे दिन को मकरात कहा जाता, जिसे लोग दाल, चावल, फूलगोभी, मटर और आलू आदि से खिचड़ी बनाकर मनाते हैं। पंजाब लोहड़ी मकर संक्रांति के दौरान मनाया जाने वाला पर्व है, जो मुख्यतः पंजाब क्षेत्र में मनायी जाती है, यह अग्नि और सूर्य देवता को समर्पित त्योहार है। यह त्योहार पारंपरिक रूप से रबी फसलों की कटाई से जुड़ा है। गन्ने की फ़सल काटने का पारंपरिक समय जनवरी है, इसलिए लोहड़ी को कुछ लोग फ़सल उत्सव के रूप में भी देखते हैं तथा पंजाबी किसान लोहड़ी (माघी) के बाद के दिन को वित्तीय वर्ष के रूप में मनाते हैं। पंजाब के कुछ हिस्सों में लोहड़ी के दिन पतंग उड़ायी जाती है। लोहड़ी की रात में, लोग अग्नि के देवता की पूजा करने और अनुष्ठान करने के लिए अलाव जलाते हैं। गुजरात मकर संक्रांति या उत्तरायण गुजराती लोगों का एक प्रमुख त्योहार है, यह त्योहार सक्रात की भांति दो दिनों तक चलता है। पहला दिन (14 जनवरी) उत्तरायण कहा जाता है, जो सूर्य की उत्तरी आकाश की यात्रा को इंगित करता है। इस दिन संपूर्ण राज्य में पतंग प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है, जिसमें लोग बड़ी संख्या में हिस्सा लेते हैं। अगले दिन को वासी (अर्थात् बासी) उत्तरायण कहा जाता है। उंधियू चिक्की (तिल, मूंगफली और गुड़ का मिश्रण) जैसे व्यंजन तैयार किये जाते हैं। महाराष्ट्र महारष्ट्र में मकर संक्राति के महोत्सव को तीन दिनों तक बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। जिसमें लोग तिलगुड़, हलवा, पूरन पोली का आदान-प्रदान करते हैं। पहले दिन को भोगी के रूप में जाना जाता है, दूसरे को संक्रांत के रूप में और तीसरे दिन को किंक्रांत के रूप में जाना जाता है। महाराष्ट्र में संक्रात के दिन दानव संकरासुर पर देवी संक्रांति की विजय का जश्न भी मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं, काले कपड़े पहनकर और हल्दी-कुमकुम (हल्दी-सिंदूर) लगाकर एकत्रित होती हैं तथा कपड़े और बर्तन के रूप में उपहारों का आदान-प्रदान करती हैं। पश्चिम बंगाल पश्चिम बंगाल में मकर संक्रांति को पौष पारबोन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पुली पीठे, पातिशप्ता, मालपोआ, नर्केल नाडु, तिल नाडु जैसी मिठाईयां बनाई जाती हैं। पौष शब्द बंगाली महीने का नाम है तथा पारबोन का अर्थ बंगाली में त्योहार है। पश्चिम बंगाल के पारंपरिक गंगा सागर आनंदोत्सव के लिए भी प्रसिद्ध है। लाखों भक्त गंगा नदी और बंगाल की खाड़ी के संगम पर भोर से पहले स्नान के लिए आते हैं तथा भगवान शिव और देवी गंगा की पूजा करते हैं। मकर संक्रांति में हिंदू धर्म के देवताओं की भी पूजा की जाती है। कुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समागम कुंभ मेले के दौरान होता है, जिसका आयोजन भी मकर संक्राति में किया जाता है। यह मेला भारत के केवल चार स्थानों हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक, उज्जैन में आयेजित किया जाता है। तीर्थयात्री देश के कोने-कोने से इस मेले में नदी में स्नान करने तथा देवी देवताओं की पूजा के लिए एकत्रित होते हैं।A. 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