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विश्व में ग्रेगोरियन कैलेंडर का उपयोग व्यापक रूप से देखने को मिलता है। यह कैलेंडर अक्टूबर 1582 में प्रस्तावित किया गया, जिसका नाम पोप ग्रेगोरी तेरवें (XIII) के नाम पर रखा गया। ग्रेगोरियन कैलेंडर के सामान्य वर्ष में 365 दिन, फरवरी (28 और 29 दिन) को छोड़कर 30 और 31 दिन के 11 महीने होते हैं। इन वर्षों को सप्ताह (सात दिन) में विभाजित किया गया है, जो एक वर्ष में 52 या 53 होते हैं। इन सब का निर्धारण अंतर्राष्ट्रीय मानक के आधार पर होता है, हालांकि अंतर्राष्ट्रीय मानक के अनुसार सोमवार से सप्ताह की शुरूआत होती है, किंतु अमेरिका और कनाडा जैसे कई देशों में रविवार से सप्ताह की शुरूआत मानी जाती है।
ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक चार वर्ष बाद अधिवर्ष (लीप वर्ष) आता है, जो सामान्यतः 366 दिन का होता है। यह वर्ष 4 से पूर्णतः विभाजित होता है तथा एक अतिरिक्त दिन फरवरी माह में जुड़ जाता है, जिससे यह 29 दिन की हो जाती है। शताब्दी वर्ष (जैसे 1700, 1800 और 1900, 2000) 100 से पूर्णतः विभाजित होते हैं, किंतु लीप वर्ष में वे ही शामिल किये जाते हैं, जो 400 से पूर्णतः विभाजित हों। इन 400 वर्षों में 303 वर्ष सामान्य वर्ष होते हैं, जिनमें 365 दिन होते हैं और 97 लीप वर्ष होते हैं। प्रत्येक वर्ष में 365 दिन, 5 घंटे, 49 मिनट और 12 सेकंड होते है। कैलेंडर चक्र हर 400 साल में पूरी तरह से दोहराता है, जो 146,097 दिनों के बराबर होता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर में 1 जनवरी को वर्ष का पहला दिन माना गया है।
ग्रेगोरियन कैलेंडर से पूर्व जूलियन कैलेंडर प्रचलन में था, इसमें अनेक त्रुटियां थीं, जिसमें वर्ष के 10 दिनों का अंतर भी शामिल है, जिन्हें 1582 के ग्रेगोरियन कैलेंडर में घटा दिया गया तथा अन्य त्रुटियों को भी समाप्त किया गया जैसे-जूलियन कैलेंडर में प्रत्येक चार वर्ष के बाद लीप वर्ष निर्धारित किया गया था किंतु इसमें विषुव समीकरण (रात दिन बराबर होने का समय) और संक्रांति जैसी कई खगोलीय घटनाओं की निर्धारित तिथियों में कोई परिवर्तन नहीं किया गया था। ग्रेगोरियन कैलेंडर में वसंत विषुव और शीतकालीन संक्रांति जैसी घटनाओं के अनुसार परिवर्तन किया गया। जूलियन कैलेंडर के स्थान पर ग्रेगोरियन कैलेंडर को प्रतिस्थापित कर दिया गया।
इस पद्धति को भिन्न-भिन्न ईसाई देशों में भिन्न-भिन्न वर्षों में स्वीकार किया गया। इस नवीन पद्धति (नये कैलेंडर) को इटली, फ्रांस, स्पेन और पुर्तगाल ने 1582 ई० में, प्रशिया ने 1610, हॉलैंड और फ़्लैंडर्स ने 1583 ई० में, पोलैंड ने 1586 ई० में, हंगरी ने 1587 ई० में, जर्मनी और नीदरलैंड के प्रोटेस्टेंट प्रदेश तथा डेनमार्क ने 1700 ई० में, जापान ने 1873 ई० में चीन ने 1912 ई० में, बुल्गारिया ने 1916 ई० में, तुर्की और सोवियत रूस ने 1917 ई० में तथा यूगोस्लाविया और रोमानिया ने 1919 ई० में अपनाया। ब्रिटेन में 2 सितम्बर 1752 को ग्रेगोरियन कैलेंडर को अपनाया गया। जिसके पश्चात इनका समय ग्यारह दिन आगे बढ़ गया। इस कारण यहां कुछ लोगों द्वारा सरकार से अपने 11 दिन वापस मांगने की मांग भी रखी गयी। ग्रेगोरियन कैलेंडर का प्रमुख उद्देश्य ईसाई धार्मिक पर्व ईस्टर की दिनांक की गणना के नियमों का निर्धारण करना था, जो जूलियन कैलेंडर में हुयी त्रुटी के कारण अपनी वास्तविक तिथि से भिन्न हो गया था।
हालाँकि ग्रेगोरियन कैलेंडर का नाम पोप ग्रेगरी XIII के नाम पर रखा गया है, लेकिन यह लुइगी लिलियो (जिसे अलॉयसियस लिलियस के नाम से भी जाना जाता है) द्वारा डिजाइन किए गए कैलेंडर का एक रूपांतरण है, जो एक इतालवी चिकित्सक, खगोलशास्त्री और दार्शनिक थे। उनका जन्म 1510 के आसपास हुआ था और उनके कैलेंडर के आधिकारिक रूप से पेश किए जाने से छह साल पहले 1576 में उनकी मृत्यु हो गई थी।
संदर्भ :
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Gregorian_calendarA. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
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