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जीवाणु संक्रमण अन्य संक्रमणों से भिन्न होती हैं, ये एकल कोशिका जीव हैं जो मानव, जानवरों, पौधों और ग्रह के सभी हिस्सों में प्रचुरता में रहते हैं। दो प्रकार के जीवाणु हो सकते हैं, एक अच्छे जो हमारी निकायों को ठीक से काम (पाचन से किण्वन तक) करने में मदद करते हैं और एक बुरे जीवाणु जो संक्रमण की वजह होते हैं। जैसा बताया गया है कि एक प्रतिशत से भी कम जीवाणु मनुष्यों को बीमार कर सकते हैं। जीवाणु संक्रमण की गंभीरता मुख्य रूप से जीवाणु के प्रकार, प्रभावित व्यक्ति के सामान्य स्वास्थ्य, और अन्य कारकों पर आधारित होती है, जो संक्रमण में वृद्धि या कमी कर सकती है। जीवाणु संक्रमण मामूली बीमारियों जैसे कि गला खराब होना और कान के संक्रमण से अधिक खतरनाक स्थितियों जैसे, मेनिनजाइटिस (meningitis) और एन्सेफलाइटिस (encephalitis)। वहीं कुछ आम जीवाणु संक्रमण निम्न हैं :-
साल्मोनेला (Salmonella) :- साल्मोनेला वो संक्रमण है, जिसमें खाद्य विषाक्तता का प्रभाव ज्यादा होता है जो विशेषकर नॉनताइफ़ॉईडल (non-typhoidal) सैल्मोनेले जीवाणु (जो खासकर जानवरों और मनुष्य की आंत में पाया जाता है) से होता है।
ई-कोलाई (E. coli) :- ई-कोलाई आमतौर पर मनुष्य के आंतों में पाए जाने वाला एक प्रकार का जीवाणु है, जो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (gastrointestinal) बीमारी (जिसे गैस की बीमारी भी कहते है) का कारण बनते हैं।
क्षय रोग :- क्षय रोग एक उच्च संक्रामक बीमारी है, जो माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्युलोसिस (Mycobacterium tuberculosis) नामक जीवाणुओं की वजह से होती हैं। यह फेफड़ों और अन्य अंगों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है।
मेथिसिलिन-रेसिस्टेंट स्टेफिलोकोकस ऑरियस (एमआरएसए) (Methicillin-resistant Staphylococcus aureus (MRSA)) :- एमआरएसए एक एंटीबायोटिक-प्रतिरोध बैक्टीरिया है जो घातक हो सकता है, विशेष रूप से कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में।
क्लॉस्ट्रिडियम डिफिसाइल (Clostridium difficile) :- यह आमतौर पर आंतों में पाए जाते हैं और अतिवृद्धि होने पर यह गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल बीमारी का कारण बन सकते हैं।
बैक्टीरियल निमोनिया (Bacterial pneumonia) :- विभिन्न जीवाणु के एक श्रेणी के कारण बैक्टीरियल निमोनिया होता है।
बैक्टीरियल वेजिनोसिस (Bacterial vaginosis) :- यह एक प्रकार का योनि संक्रमण है, जो खुजली, निर्वहन और कष्टदायक लघुशंक का कारण बन सकता है।
वाइब्रियो वल्निफिकस (Vibrio vulnificus) :- यह एक "मांस खाने" वाला जीवाणु है, जो दुर्लभ रूप में गर्म समुद्री जल में पाया जाता है।
हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (Helicobacter pylori) :- एच.पाइलोरी पेट के अल्सर (ulcers) और क्रोनिक गैस्ट्रिटिस (chronic gastritis) से संबंधित जीवाणु हैं।
बैक्टीरियल मैनिंजाइटिस (Bacterial meningitis) :- यह एक गैर-विषाणु बीमारी है जो कई अलग-अलग प्रकार के जीवाणु से होती हैं और मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी की झिल्ली के सूजन का कारण बनती हैं।
गोनोरिया (Gonorrhea) :- यह निसेरिया गोनोरेया (Neisseria gonorrhoeae) नामक जीवाणु से होता है, जो यौन संक्रमित संक्रमण की वजह से फैलता है।
वहीं अधिकांश जीवाणु संक्रमणों का एंटीबायोटिक्स (Antibiotics) की मदद से इलाज किया जा सकता है, एंटीबायोटिक्स जीवाणु के प्रकार पर आधारित होती है। और बीमारी का अंदाजा रक्त या लघुशंक की जांच से किया जा सकता है, हालांकि कभी-कभी बीमारी के लक्षणों की समीक्षा और परिस्थितियों के कारण का अनुमान लगा कर भी बीमारी का पता लगाया जाता है। यदि आप जीवाणु संक्रमण से ग्रस्त हैं, तो चिकित्सक के पास दिखाएं और चिकित्सक के निर्देश अनुसार एंटीबायोटिक दवा का चिकित्सक द्वारा निर्धारित अवधि तक लें।
ये तो हमने आपको बताया जीवाणु संक्रमण के बारे में, तो अब बात करते हैं विषाणुजनित संक्रमण के बारे में। विषाणु अकोशिकीय अतिसूक्ष्म जीव हैं जो केवल जीवित कोशिका में ही वंश वृद्धि कर सकते हैं। इन्हें मारना काफी मुश्किल होता है, यही कारण है कि चिकित्सा विज्ञान द्वारा अब तक पहचानी गयी यह सबसे गंभीर संक्रमणीय बीमारियों में से एक है। विषाणु आमतौर पर एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति पर खांसी, छींक, वमन यौन संभोग या हाइपोडर्मिक (hypodermic) सुइयों को साझा करने जैसी गतिविधियों के माध्यम से संक्रमित शारीरिक तरल पदार्थ का शरीर पर पहुंचने से या संक्रमित जानवरों या कीड़ों के काटने के माध्यम से फैलते हैं।
जीवाणु और विषाणु में कई चीजें आम हैं, जीवाणु और विषाणु दोनों माइक्रोस्कोप (Microscope) के बिना देखा जाने के लिए बहुत छोटे होते हैं। अधिकांश जीवाणु हानिरहित होते हैं, और कुछ वास्तव में भोजन को पचाने में मदद करते हैं, जिससे बीमारी पैदा करने वाले सूक्ष्म जीवों को नष्ट कर दिया जाता है। 1% से भी कम जीवाणु लोगों में बीमारियों का कारण बनता है। विषाणु प्रोटीन का एक छोटा सा खंड है, जिसमें अनुवांशिक सामग्री होती है। यदि जीवाणु के बगल में एक विषाणु रखा जाएं, तो विषाणु जीवाणु के सामने काफी छोटा दिखायी देगा। उदाहरण के लिए, पोलियो वायरस स्ट्रेप्टोकॉक्सी (Streptococci) जीवाणु (0.003 मिमी लंबा) से लगभग 50 गुना छोटा होता है। विषाणु चार मुख्य प्रकार के होते हैं :-
आईकोसाहेड्रल (Icosahedral) :- इसका बाहरी खोल (जिसे कैप्सिड (capsid) कहते है) 20 समतल पक्षों से बना होता है, जो उसे एक गोलाकार देता है। अधिकांश विषाणु आईकोसाहेड्रल होते हैं।
हेलिकल (Helical) :- इसमें कैप्सिड का आकार एक रॉड की तरह होता है।
इनवेलोपेड (Enveloped) :- कैप्सिड एक ढिली झिल्ली में पायी जाती है, जो अधिकांश आकार बदलती रहती है , लेकिन अक्सर गोलाकार दिखाई देती है।
कॉम्प्लेक्स (Complex) :- इसमें एक कैप्सिड के बिना आनुवंशिक सामग्री लेपित होती है।
विषाणु कोशिकाओं के अंदर छिपकर शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए काफी चुनौतीपूर्ण होता है। साथ ही इस तक एंटीबॉडी का पहुंचना काफी मुश्किल होता है। वहीं टी-लिम्फोसाइट्स (T-lymphocytes) नामक कुछ विशेष प्रतिरक्षा प्रणाली कोशिकाएं विषाणु युक्त कोशिकाओं को पहचानती हैं और उन्हें मार देती हैं। वहीं खसरा, मम्प्स (mumps), हेपेटाइटिस (hepatitis A) और हेपेटाइटिस बी (hepatitis B) जैसे कई गंभीर विषाणुजनित संक्रमण के प्रतिकूल टीकाकरण संभव है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) की अध्यक्षता में विश्वव्यापी टीकाकरण अभियान, चेचक को खत्म करने में कामयाब रहा। हालांकि कुछ विषाणु जो सर्दी की वजह बनते हैं के प्रभाव को कम करने के लिए कोई टीकाकरण नहीं मिल पाया है क्योंकि इन विषाणुओं ने समय के साथ अपना प्रारूप बदल दिया है।
संदर्भ :-
1. https://www.verywellhealth.com/what-is-a-bacterial-infection-770565A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
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